यह किसानों को बिना शर्त नकद हस्तांतरण का अनुशंसा करता है साथ ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) के बजाय कृषि संकट को कम करने की सिफारिश की गयी है।
एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) ने विभिन्न पर अपनी आर्थिक विश्लेषण रिपोर्ट “इकोरैप” जारी की है इसमें “ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया” विचार के तहत समष्टिगत आर्थिक दृष्टिकोण में सहयोग की अपेक्षा रखता है। RBI की आवधिक रिपोर्ट बजट और आर्थिक सर्वेक्षण जैसे मुद्दों के सन्दर्भ में केंद्र व् अन्य सरकार से संबंधित वृहद आर्थिक रिपोर्ट है। भारत के सबसे पुराने बैंक ने सिफारिश की है कि केंद्र सरकार को यूनिवर्सल बेसिक इनकम के बजाय कृषि संकट को कम करने के लिए किसानों को बिना शर्त नकद हस्तांतरण का विकल्प चुनना चाहिए।
यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम:
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर रयथु बंधु योजना शुरू करना संभव नहीं है, क्योंकि कई राज्यों में भूमि के आंकड़ों को डिजिटल रूप दिया जाना बाकी है। इकोरैप ने इस सन्दर्भ में झारखंड, बिहार, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों का उल्लेख किया है। इस आधार पर यह रिपोर्ट सरकार को सुझाव देती है कि बिना शर्त नकदी शुरू करना सही रहेगा, स्थानांतरण योजना एक सार्थक प्रभाव और संबंधित समस्याओं के लिए अधिक न्यायसंगत होगा। रिपोर्ट में यह भी खा गया है की सरकार विभिन्न कृषि स्तर की सब्सिडी के बदले किसानों को सीधे नकद सहायता देने की योजना बना रही है।
रिपोर्ट कार्ड “Ecowrap” का विश्लेषण:
एसबीआई विश्लेषण के अनुसार केंद्रीय बजट 2019-20 के लिए सरकार ने 98,100 करोड़ रुपये (फसल) पर कृषि सब्सिडी (प्लस समर्थन) का अनुमान लगाया था, जिसके तहत कृषि बीमा मद में 13,000 करोड़ रूपये, ब्याज सब्सिडी में 15,000 करोड़ रुपये और उर्वरक सब्सिडी में रु 70,100 करोड़ रूपये का प्रावधान था, भारतीय किसानों की स्थिति हेतु नीति आयोग के प्रसिद्ध कृषि-अर्थशास्त्रियों द्वारा रयथु बंधु योजना लागू करने की सिफारिश की गयी थी जो एक प्रकार से हानिकारक है। इस रिपोर्ट के अनुसार अखिल भारतीय स्तर को उर्वरक सब्सिडी, ब्याज और बीमा के खिलाफ शुद्ध किया जाना चाहिए समर्थन करते हैं।
सिफारिशें और सुझाव:
SBI की रिपोर्ट बताती है कि इस बेसिक इनकम स्कीम के बजाय किसानों को चाहिए उनके खाते में प्रत्यक्ष नकदी के रूप में लाभ प्रदान किया जाए। दूसरे शब्दों में यह रिपोर्ट बिना शर्त नकद हस्तांतरण योजना को अधिक न्यायसंगत कह रही है, जहाँ प्रत्येक किसान को एक सार्थक प्रभाव के साथ व्यापक आधार मिलेगा। एसबीआई के अनुमान के अनुसार, यदि कोई किसान सरकार से सब्सिडी के एक या तीनो रूपों का लाभ उठा रहा है, तो वह नकद सहायता के रूप में न्यूनतम 5,335 रूपये से अधिकतम 10,162रुपये प्रति वर्ष प्राप्त करेगा। इसलिए, सरकार को 10000 रुपये की नकद सहायता प्रदान करनी होगी यानि प्रति वर्ष 1,20,000 रुपये और इस तरह की योजना की वार्षिक लागत 1.2 लाख करोड़ रुपये होगी, इसमें प्रस्तावित किरायेदार योजना के तहत किसानों को शायद बाहर रखा जाएगा। इकोरैप ने अन्य देशों के यूनिवर्सल बेस इनकम की स्थिति के बारे में बताया कि “कई देशों ने पाया है कि यूबीआई संरचनात्मक समस्याओं का समाधान नहीं करता है जबकि हस्तान्तरण एक अच्छा उपाय है। एसबीआई का सुझाव है, कि भले ही इकोरैप के सुझावों को दोष माना जाए लेकिन बिना शर्त आय के लिए एसबीआई का तर्क भारतीय के लिए अनुकूल तरीका होगा, इसमें कृषि आर्थिक स्थिति और किरायेदार किसान जैसी महत्वपूर्ण विषयों पर भी सुझाव दिया गया है।
Pic courtesy:Times of India
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