KLAIAS: उम्मीदवारों के बीच एक आम धारणा यह कि यह परीक्षा निष्कासन प्रक्रिया पर आधारित है न कि चयन प्रक्रिया पर, इस परीक्षा को सफलतापूर्वक क्वालीफाई करने के बाद भी क्या आप इस प्रकार की धारणा से सहमत हैं?
अनुभव सिंह: यह एक आंशिक सत्य है, न कि पूर्ण सत्य! प्रारंभिक परीक्षा के संदर्भ में ये बात कही जा सकती है लेकिन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार के चरण इस तरह ड़िजाइन किये गए हैं कि जिससे उम्मीदवारों की प्रशासनिक अभिरुचि और योग्यता परखी जा सके। वास्तव में प्रारंभिक परीक्षा के बाद के चरण निष्कासन या एलिमिनेशन प्रक्रिया पर नहीं बल्कि चयन प्रक्रिया पर आधारित हैं।
KLAIAS: आपने यह सफलता किस प्रकार अर्जित की? क्या आपने परीक्षा के लिये कोई विशिष्ट रणनीति अपनाई थी? इस परीक्षा में सफल होने के लिये आप किन रणनीतियों की सिफारिश करना चाहेंगे?
अनुभव सिंह: मैंने अपने निजी जीवन और तैयारी के मध्य एक संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया था। मैं परिवार और दोस्तों के साथ समय भी बिताता था, साथ ही साथ तैयारी के लिये 8-10 घंटे भी निकाल लेता था। मैं समझता हूँ कि मेरी सफलता में इसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
KLAIAS:आपकी सफलता के प्रेरणा स्रोत क्या थे? अपनी सफलता के लिये आप किसे श्रेय देना चाहेंगे?
अनुभव सिंह: सर्वप्रथम, मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, परिवार और मित्रों को दूंगा, जो सदैव मेेरे लिये संपूर्ण तैयारी के दौरान मजबूती, उत्साह और निरंतर सहायता के स्रोत रहे हैं।
KLAIAS: क्या आपने लंबे चौड़े सामान्य अध्ययन पाठ्यक्रम को तैयार करने हेतु प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की तैयारी एक साथ की थी या आपने दोनों को अलग अलग तैयार किया?
अनुभव सिंह: मेरे अनुसार, प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार की तैयारी की प्रकृति भिन्न-भिन्न है। सर्वप्रथम तो अपको अपने व्यक्तित्व पर काम करना चाहिये, ताकि यदि आपको साक्षात्कार देने का अवसर मिलता है तो आप उसमें बेहतर परफार्म कर सकें। पाठ्यक्रम को एकीकृत करना चाहिये, विशेष रुप से जो विषय एवं मुद्दे प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में कॉमन हैं तथा उसके उपरांत मुख्य परीक्षा की दृष्टिकोण से पाठ्यक्रम की तैयारी करनी चाहिये। जब 3 या 4 माह बचे हों, तो प्रारंभिक परीक्षा पर केन्द्रित होना श्रेयस्कर है।
KLAIAS: इस परीक्षा के लिये समाचार पत्र का अध्ययन कितना प्रासंगिक है? अपने सामान्य अध्ययन तैयारी के दौरान इसे किस प्रकार इस्तेमाल किया?
अनुभव सिंह: यदि आप 2-3 पूर्व वर्षों के प्रश्न पत्रें को देखें,प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा दोनों के, तो आप पायेंगे कि अधिकतर प्रश्न अत्यंत गत्यात्मक प्रकृति के हैं, वे चाहे राष्ट्रीय घटनाओं से संबंधित हों या अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं से। अतः आपको समाचार-पत्रों को ध्यानपूर्वक पढ़ने की आवश्यकता है तथा उनमें आने वाले मुद्दों का गहराई में विश्लेषण करने की आवश्यकता है। किंतु समाचार पत्र के महत्वपूर्ण एवं आवश्यक भागों में विभेद करने की योग्यता होनी चाहिये।
KLAIAS: क्या आपने इथिक्स प्रश्न पत्र के लिये कोई विशिष्ट रणनीति अपनाई थी? इस प्रश्न पत्र में आपने केस अध्ययन के लिये कैसे तैयारी की?
अनुभव सिंह: मुझे दर्शन शास्त्र और साहित्य में सदैव रूचि रही है, जहाँ तक सैद्धांतिक पक्ष की बात है मुझे इसके लिये अधिक तैयारी की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन केस अध्ययन भाग वास्तव में महत्वपूर्ण भी है और अंकदायी भी मैंने इथिक्स से संबंधित टॉपर्स के सुझावों को ग्रहण किया तथा रूझानों को विश्लेषित करने का प्रयास किया उन रूझानों को समझा एवं उन्हेें फॉलों किया। इथिक्स प्रश्न पत्र का उद्देश्य उम्मीदवारों के नैतिक पक्षों के परीक्षण के साथ-साथ उम्मीदवारों की अभिवृति का भी परीक्षण करना है।
KLAIAS: तैयारी के लिये नोट्स बनाने के संदर्भ में आपकी क्या राय है?
अनुभव सिंह: तैयारी के दौरान नोट्स इस प्रकार बनाने चाहिये ताकि परीक्षा के समय उन नोट्स को कम समय में दोहराया जा सके अन्यथा यह एक निरर्थक अभ्यास के सिवा कुछ नहीं है। नोट्स संक्षिप्त तरीके से बनाने चाहिये।
KLAIAS: आपका वैकल्पिक विषय क्या था? जब आप वैकल्पिक विषय का चयन कर रहे थे तब आपके दिमाग में क्या था?
अनुभव सिंह: मेरा वैकल्पिक विषय गणित था। मैं समझता हूँ कि वैकल्पिक विषय के चुनाव की बुनियादी कसौटी आपकी रुचि तथा उस विषय विशेष में स्कोर करने की क्षमता होनी चाहिये।
KLAIAS: तैयारी के दौरान आपने विभिन्न सामान्य अध्ययन एवं वैकल्पिक विषय के मध्य समय को कैसे प्रबंधित और विभाजित किया?
अनुभव सिंह: मैं इस परीक्षा में दो बार सम्मिलित हुआ। अपने प्रथम प्रयास में मैंने वैकल्पिक विषय के लिये 70 प्रतिशत समय दिया था, क्योंकि पाठ्यक्रम लंबा था इसलिये इस विषय को पूर्ण रूप से तैयार करने के लिये मुझे अतिरिक्त समय देना पड़ा। परिणामस्वरुप सामान्य अध्ययन और निबंध प्रश्न पत्र में मेरे कम अंक आये। अतः दूसरे प्रयास में मैंने इस गलती को सुधारने का प्रयास किया। चूंकि मैं वैकल्पिक विषय को पहले ही तैयार कर चुका था। अतः मैंने सामान्य अध्ययन, निबंध तथा साक्षात्कार की तैयारी पर अत्यधिक समय दिया।
KLAIAS: प्रतिदिन आधार पर आपने अध्ययन के लिये कितना समय दिया? आपकी राय में इस परीक्षा की तैयारी के लिये एक औसत उम्मीदवार को कितने समय की आवश्यकता होती है?
अनुभव सिंह: गुणवत्ता, मात्र से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती है, यदि एक औसत उम्मीदवार, जो तैयारी हेतु ईमानदार तथा गंभीर है, उसे इस परीक्षा के पाठ्यक्रम को पूर्ण रुप से तैयार करने के लिये डेढ़ वर्ष की आवश्यकता होगी। जहाँ तक प्रतिदिन अध्ययन घंटे की बात है, तो इसके लिये 8-10 घंटे पर्याप्त हैं।
KLAIAS: आपकी लेखन शैली क्या थी? क्या आपने उत्तर लेखन पैराग्राफ प्रारुप में किया या बुलेट पॉइंट प्रारुप में?
अनुभव सिंह: उत्तर लेखन चाहे आप पैराग्राफ प्रारुप में करें बुलेट पॉइंट प्रारुप में, उम्मीदवारों को दोनों लेखन शैलियों में अंक प्रदान किये जाते हैं। मैं समझता हूँ कि उत्तर में प्रस्तुत की जा रही सामग्री और उस सामग्री का प्रस्तुतीकरण अपेक्षाकृत कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। पैराग्राफ एवं बुलेट पॉइंट प्रारुप की अपेक्षा प्रश्न की प्रकृति तथा उसका उत्तर लिखने की योग्यता यह कसौटी निर्धारित करती है कि उसे किस प्रारूप में प्रस्तुत करना है।
KLAIAS: उत्तर लेखन के दौरान आपने 200 शब्द सीमा को किस प्रकार मैनेज किया?
अनुभव सिंह: सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आपको टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करना चाहिये तथा निरंतर उत्तर लेखन का अभ्यास इस तरह करना चाहिये, जिससे आपके अंदर यह कौशल विकसित हो जाए कि उत्तर का भूमिका भाग कितना, उत्तर का मुख्य भाग एवं निष्कर्ष भाग कितना होना चाहिये।
KLAIAS: क्या आपने कोई टेस्ट सीरीज ज्वॉइन किया था? क्या आप समझते हैं कि इस परीक्षा की तैयारी में ऐसे टेस्ट सीरीज सहायक हैं?
अनुभव सिंह: जहाँ तक मुख्य परीक्षा की तैयारी की बात है, मैं समझता हूँ कि टेस्ट सीरीज अत्यंत सहायक हैं।
KLAIAS: पूर्व वर्षों के प्रश्न पत्रों के अभ्यास के संदर्भ में आपकी क्या राय है?
अनुभव सिंह: पूर्व वर्षों के प्रश्न पत्र, प्रश्नाें के विस्तार तथा रुझानों पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालते हैं। पूर्व वर्षों के प्रश्नों को देखने से आपको यह ज्ञात होगा कि प्रश्न का स्तर, प्रकृति तथा इस परीक्षा की मांग क्या है? और यह प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा दोनों के लिये समान रूप से महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिये, प्रारंभिक परीक्षा में यदि आपके पास किरण पत्रिका के सामान्य अध्ययन प्रश्नों का सोल्व्ड है, तो आप परीक्षा के रुझानों के विस्तार को पहचानने में सक्षम हो सकेंगे तथा इससे आपको परीक्षा के संदर्भ में एक अच्छी अन्तर्दृष्टि प्राप्त होगी।
KLAIAS: तैयारी के दौरान आपने अपने उत्साह और एकाग्रता को कैसे बनाये रखा। सामान्य भटकाव को नजरअंदाज करने के लिये आपने क्या किया?
अनुभव सिंह: मैं समझता हूँ प्रतिदिन 24 घंटे में आठ घंटे अध्ययन को समर्पित करना ही तैयारी के संदर्भ में वास्तविक मुद्दा है, आप 2 घंटे परिवार और दोस्तों आदि के साथ बिता सकते हैं या आप कोई फिल्म देख सकते हैं। तैयारी के दौरान प्राथमिकताओं की सीमा निर्धारित कर लेना चाहिये, जो अत्यंत सहायक होगा।
KLAIAS: आपके अनुसार इंटरनेट एवं ऑनलाइन सामग्री कितनी उपयोगी हैं? आप किन- किन बेवसाइट की सिफारिश करना चाहेंगे?
अनुभव सिंह: मैंने अपनी तैयारी के दौरान इंटरनेट को काफी उपयोगी पाया तथा सरकारी वेबसाइटों (मंत्रलयों, नीति आयोग) के अलावा मैंने फोरम आईएएस, इन साईट ऑन इंडिया इत्यादि वेबसाइट का अनुकरण किया था।
KLAIAS: अंतिम साक्षात्कार की तैयारी कैसे महत्वपूर्ण है। इसके लिये आपने कैसे तैयारी की।
अनुभव सिंह: साक्षात्कार से संबंधित तैयारी के लिये मैंने इसे कई भागों में विभाजित किया था जैसे-
KLAIAS: पूर्व सिविल सेवा परीक्षा की अपनी तैयारी के अनुभव के आधार पर आप अपनी रणनीति बनाने में क्या सुधार करना चाहेंगे? विशेष रूप से उस स्थिति में जब आप परीक्षा में एक से अधिक बार शामिल होने का निर्णय लेते हैं।
अनुभव सिंह: जहाँ तक मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू की तैयारी का सवाल है, मैं रणनीति में कोई परिवर्तन नहीं करुंगा, लेकिन मैं प्रारंभिक परीक्षा के लिये और अधिक समय देना चाहूंगा, वह भी कम से कम 4 माह क्योंकि प्रारंभिक परीक्षा दृष्टिकोण में चीजें तेजी से परिवर्तित हो रही हैं।
KLAIAS: सिविल सेवा परीक्षा के लिये किरण प्रकाशन द्वारा प्रकाशित विभिन्न पत्रिकाओं और पुस्तकों के संदर्भ में आपकी क्या राय है?
अनुभव सिंह: किरण प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सोल्व्ड प्रश्न पत्रों के विषय में मैं पहले ही चर्चा कर चुका हूँ। यह उम्मीदवारों के लिये वास्तव में बेहद महत्त्वपूर्ण है। यदि वे परीक्षा प्रवृत्ति या रुझानों को उत्तरों के साथ समझना चाहते हैं। किरण प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पत्रिका अत्यंत यथार्थपरक और संक्षिप्त होती है, जो भटकाव से बचाती है। प्रत्येक अभ्यर्थी को इसे पढ़ना चाहिये और समसामयिकी नोट्स बनाना चाहिये।
KLAIAS: भविष्य के आगामी सिविल सेवा अभ्यार्थियों के लिये आपकी सलाह क्या है? इस परीक्षा के थकाऊ और लंबी तैयारी प्रक्रिया के दौरान वे किस प्रकार स्वयं के उत्साह को बनाये रख सकते हैं।
अनुभव सिंह: प्रत्येक अभ्यर्थी को परीक्षा को लेकर जीवन-मरण का मुद्दा नहीं बनाना चाहिये, सफलता या असफलता आपके जीवन को परिभाषित नहीं कर सकती। आपको इस अवधारणा को समझना चाहिये।
इस परीक्षा को ही अपना जीवन न समझें, आपके जीवन के अन्य आयाम भी हैं, उन्हें भी देखने का प्रयास कीजिए, जब आप इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हों। इस तरह से आप एक संतुलन स्थापित कर सकते हैं तथा इससे तैयारी के दौरान व्यवधान नहीं होगा।
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