समाचारों में क्यों?
=>भारतीय प्रधानमंत्री, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने संयुक्त रूप से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बांग्लादेश में तीन परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इसमें शामिल हैंµ
मुख्य बिन्दु:
=>2015 में भारतीय प्रधानमंत्री की बांग्लादेश की यात्र के दौरान, बांग्लादेश को अतिरिक्त 500 मेगावॉट बिजली आपूर्ति करने का निर्णय लिया गया था। यह पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच परेषण-लिंक का उपयोग कर किया जा रहा है। इस परियोजना के पूर्ण होने के साथ, 1.16 गीगावॉट बिजली अब भारत से बांग्लादेश तक आपूर्ति की जा रही है।
=>अखौरा- अगरतला रेल कनेक्टिविटी दोनों देशों के बीच सीमापार कनेक्टिविटी में एक और लिंक प्रदान करेगी।
500 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली
=>वर्तमान में भारत, बांग्लादेश को 660 मेगावॉट बिजली निर्यात करता है, जिसमें 500 मेगावॉट बहरामपुरµभेरमरा कनेक्शन और त्रिपुरा के माध्यम से 160 मेगावॉट को कमिला पॉवर ग्रिड में स्थानांतरित किया जाता है।
कलौरा-शहबाजपुर खंड
=>कुलौरा-शहबाजपुर रेलवे खंड पुनर्वास परियोजना ट्रांस एशियाई रेलवे नेटवर्क के हिस्से के रूप में बांग्लादेश और भारत के बीच टेरेन लिंक बहाल करेगा।
=>इस परियोजना के तहत, लगभग 53 किमी ड्युअल गेज रेल लाइनों, पुलों, पुलियों, स्टेशनों और अवसंरचना का निर्माण किया जाएगा और गैर-इंटरलॉक रंगीन प्रकाश सिग्नलिंग सिस्टम स्थापित किया जाएगा।
अखौरा-अगरतला रेल लिंक
=>एडवेंट्ज ग्रुप के टेक्समैको रेल और इंजीनियरिंग लिमिटेड ने त्रिपुरा में अगरतला और बांग्लादेश के चटगांव के उप-जिले अखौरा के बीच 45 किमी दोहरी गेज लाइन बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट हासिल किया है।
=>भारत द्वारा बांग्लादेश को उसके अवसंरचना ओर सामाजिक क्षेत्र के विकास के लिए दिए जाने वाले 4.5 बिलियन डॉलर के लाईन ऑफ क्रेडिट का तृतीय भाग के रूप में है। अगरतला-अखौरा रेल परियोजना दो पड़ोसी देशों के बीच व्यापार संबंधों को सक्षम बनाने के अलावा, बांग्लादेश को पूर्व से पश्चिम तक पूर्ण कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
=>प्रोजेक्ट के पूर्ण होने से, अगरतला और कोलकाता के बीच की दूरी 1000 किमी से अधिक तक कम होने की उम्मीद है।
=>इसके अलावा इससे भारत की चटगांव बंदरगाह तक पहुंच भी सुनिश्चित होगी, जो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का केन्द्र माना जाता है।
=>रेल लिंक न केवल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि यह परिवहन के माध्यम से रूपांतरण को भी प्रवाहित करेगा। त्रिपुरा के लिए, रेलवे लिंक का अर्थ सड़कों के माध्यम से क्षेत्रीय पहुंच को बढ़ाना है, न कि हवाई या राज्य राष्ट्रीय राजमार्ग NH44 के माध्यम से।
=>यह उत्तर पूर्वी भारत को ‘अस्थलक्ष्मी’ और ‘हीरा’ में विकसित करने के प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। 18 फरवरी के विधानसभा चुनाव से पूर्व त्रिपुरा में अपने चुनावी अभियानों में से एक के दौरान, प्रधानमंत्री ने कहा था कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो त्रिपुरा को ‘हीरा’ में बदल दिया जायेगा, जो राजमार्गों आई- वे या इंटरनेट सेवायें, सड़कों तथा हवाई मार्गों के विकास के लिए एक संक्षिप्त नाम है। पूर्वोत्तर के आठ राज्यों का उल्लेख करते हुये, उन्होंने कहा था कि यह क्षेत्र ‘अस्थलक्ष्मी’ के रूप में विकसित किया जायेगा।
=>अगरतला- अखौरा रेल परियोजना के अलावा, नदी फेनी पर एक पुल का निर्माण किया जा रहा है जो बांग्लादेश के फेनी जिले के साथ दक्षिणी त्रिपुरा में सबरूम से जुड़ेगा। इसका परिचालन होने से चटगांव बंदरगाह से त्रिपुरा की दूरी केवल 66 किमी दूर होगी।
Pic courtesy:Punjab Kesari
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