समाचारों में क्यों? => 1990 से 2016 के बीच, भारत की समुद्र तट रेखा का 33 प्रतिशत क्षरण हुआ है और इसी अवधि में, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत ‘तटीय अनुसंधान हेतु राष्ट्रीय केन्द्र (NCCR) ने हाल ही में एक तकनीकी रिपोर्ट जारी किया, जिसके अनुसार समुद्र तट का लगभग 29 प्रतिशत विस्तार हुआ है। =>एक राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि अपरदन के मामले में सबसे खराब स्थिति पश्चिम बंगाल की है, जहां समुद्रतट के अपरदन का अधिकतम अनुपात पाया गया। अर्थात् वहां 534 किमी- लंबी तट रेखा का 63% हिस्सा अपरदित हो गया है। इसके पुडुचेरी 57% केरल 45% और तमिलनाडु का 41% भाग अपरदित था।
राज्यों की भेद्यता क्यों? =>पश्चिम बंगाल का तटीय विस्तार, बांग्लादेश की सीमा से लगा तथा भारतीय प्रायद्वीप के पूर्वी छोर पर स्थित, विश्व के सबसे बड़े डेल्टाई क्षेत्रें में से एक है। इस तट पर कई नदियां आकर गिरती हैं तथा यह लवणीय-जलीय पौधों या मैंग्रोव का सबसे बड़ा एकल ब्लॉक है। =>पश्चिम बंगाल की 534 वर्ग किमी0 की तटरेखा, नियमित रूप से ज्वार, ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात और तूफान से प्रभावित क्षेत्र है। इस कारण इसका 63% भाग अपरदन से प्रभावित हो रहा है। 1990 से 2016 के बीच, तटीय अपरदन के कारण पश्चिम बंगाल का 99 वर्ग किमी0 भूमि खो गई। राज्य में केवल 16 किमी ज़मीन (अतिरिक्त) की वृद्धि हुई है। =>सुंदरवन द्वीप समूह का सबसे बड़ा द्वीप सागर, जो लगभग 2 लाख लोगों का घर है, अपने पश्चिमी और दक्षिणी-पूर्वी हिस्सों पर गंभीर कटाव का सामना कर रहा है। घोरमारा और मसूनी जैसे द्वीप भी अपरदन का सामना कर रहे हैं। सुंदरवन में जंबुद्वीप और हेनरी द्वीप में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है। =>विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक प्रक्रिया के अलावा, तूफानों की बारंबारता और समुद्र जल स्तर में वृद्धि तथा मानवीय गतिविधियां जैसे मत्स्यपालन, बंदरगाह निर्माण, तथा अन्य विकासात्मक गतिविधियां भी तटीय अपरदन का कारण हैं।
प्रभाव क्या होगा? => पश्चिम बंगाल देश का दूसरा अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है। 2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल में 1,029 लोग प्रति वर्ग किमी में रहते हैं। =>सुंदरवन, जिसमें राज्य की अधिकांश तटरेखा शामिल है, यहां प्रति वर्ग किमी में करीब 1,000 लोग रहते हैं। 80 वर्ग किमी से अधिक तटीय भूमि के नुकसान से द्वीप की आबादी पर अत्यधिक दबाव पड़ेगा। जो समुद्र तट पर केन्द्रित आर्थिक गतिविधियों पर निर्भर है। इसके कारण तटीय एवं द्वीपीय क्षेत्रें से प्रवासन की संभावना है। =>शोधकर्ताओं ने सुंदरवन से निकलने वाले या प्रवासन करने वालों ‘‘जलवायु परिवर्तन शरणार्थी’’ के नाम से संबोधित किया है। तटीय क्षेत्रें के अपरदन के साथ जलवायु परिवर्तन, सुंदरवन से प्रवासन का एक महत्वपूर्ण कारण है, जो राज्य के सर्वाधिक पिछड़े क्षेत्रें में से एक है। रिपोर्टों में कहा गया है कि सुंदरवन के 1,000 निवासियों में से 190 लोग दिन में एक बार भोजन खाते हैं तथा उनमें भी 510 लोग कुपोषित हैं। => प्रवासन किस हद तक है, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि स्कूल ऑफ ओशलोग्राफिक स्टडी जाधवपुर विश्वविद्यालय के हालिया प्रकाश में कहा गया है कि द्वीप पर रहने वाले 75% लोग बाहर से आने वाले वित्त प्रेषण (रेमिटेंस) पर निर्भर हैं। एनसीसीआर शोधकर्ताओं के अनुसार तटीय क्षेत्रें से संबंधित राष्ट्रीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट तटीय क्षेत्रें के निवासियों के तनावों/समस्याओं को हल करने हेतु नीति निर्माण के लिए इनपुट प्रदान करेगा, विशेषरूप से सुन्दरवन में।
अन्य राज्य =>तटीय क्षेत्रें का अपरदन नौ राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में भी देखा गया है। एनसीसीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि विचाराधीन अवधि के दौरान 34% भारतीय तट रेखा में अपरदन की भिन भिन अवस्था थी, जबकि 28% तटरेखाओं में वृद्धि हुई है तथा देश की तट रेखा का 38% स्थिर बना रहा। =>तटीय अपरदन के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि चार राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में 40% से अधिक अपरदन पाया गया है। =>रिपोर्ट में कहा गया है पश्चिमी तट अपेक्षाकृत केरल जैसे कुछ क्षेत्रें में अपरदन स्थिर रहा है। पश्चिम में, समुद्र तट का 48% स्थिर रहा है, जबकि पूर्वी तट का केवल 28% स्थिर माना गया है। जब तटीय क्षेत्रें में वृद्धि की बात आती है, तो ओडिशा (51%) और आंध्र प्रदेश (42%) जैसे राज्यों ने समुद्र तट परिवर्तनों के कारण अधिकतम लाभ दर्ज किया है। गोवा और महाराष्ट्र की तटीय क्षेत्र देश में सर्वाधिक स्थिर तटीय रेखाएं हैं।
रिपोर्ट का महत्व =>जलवायु परिवर्तन और बढ़ते समुद्री जल स्तर ने समस्या को और बढ़ा दिया है, वैज्ञानिकों का कहना है कि नदी घाटियों पर बने बांध ने तटों में गाद प्रवाह को कम कर दिया है। तट के आस-पास निर्माण गतिविधियां, जिसमें निष्कर्षण शामिल है, स्थिति को और खराब कर दिया है। =>इस प्रकार के विश्लेषण से तट संबंधी आपदाओं (तूफान, सुनामी) से निपटने की तैयारी के सुधार में मदद मिलेगी। तट रेखाओं में परिवर्तन न केवल तटीय आधारभूत संरचना के लिए खतरा और अर्थव्यवस्था को संभावित हानि पहुंचाता है, बल्कि मत्स्य उद्योग को भी प्रभावित कर सकता है।
Pic courtesy:picswe.com
Your email address will not be published. Required fields are marked *
© Powered By Current Hunt, Designed & Developed By Quizsolver.com
This function has been disabled for Current Hunt.