समाचारों में क्यों?
=>हाल ही में जारी किये गये ग्लोबल बर्डन ऑफ रोग अध्ययन 2016 में दिखाया गया कि देश के कम विकसित राज्यों में मधुमेह का प्रसार तीव्रता से हुआ है।
=>रिपोर्ट में मधुमेह की अधिक प्रभावी रोकथाम और प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक राज्य में बीमारी के बोझ के अनुरूप नीति और स्वास्थ्य प्रणाली के सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
मुख्य बिन्दु:
=>मधुमेह पीड़ित लोगों की कुल संख्या 1990 में 26 मिलियन से बढ़कर 2016 में 65 मिलियन हो गई है। भारत में 1990 में मधुमेह का प्रसार 5.5% था, किन्तु 2016 में यह 7.7% हो गया है।
=>सर्वाधिक प्रसार तमिलनाडु और केरल राज्यों में है, इसके बाद दिल्ली, पंजाब, गोवा, कर्नाटक मध्य प्रदेश और त्रिपुरा का स्थान है।
=>1990 से मधुमेह के कारण स्वास्थ्य हानि में वृद्धि सभी प्रमुख गैर संक्रमणीय रोगों में सर्वाधिक था।
=>1990 से 2016 तक मधुमेह के कारण होने वाली कुल मृत्यु में 3% का योगदान है। यह 2025 और 2030 तक मधुमेह के कारण मृत्यु को कम करने के लिए राष्ट्रीय एवं वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने की संभावना को क्षीण करता है।
जोखिम कारक
=>2016 में भारत में मधुमेह में योगदान देने वाले जोखिम कारकों में से, बीएमआई का उच्चतम प्रभाव था, जबकि अन्य कारकों में आहार संबंधी जोखिम, तंबाकू उपयोग, दूसरों के धूम्रपान से अन्य पर प्रभाव, न्यूनतम शारीरिक गतिविधि एवं शराब उपयोग इत्यादि महत्वपूर्ण हैं।
=>20 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में अधिक वजन होने का प्रसार 1990 में 9%प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 20-4% हो गया। मोटापे को नियंत्रित करने, शारीरिक गतिविधि बढ़ाने के लिए, जंक खाद्य पदार्थों पर रोक लगाने के लिए सार्वजनिक सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता है।
आगे की राह
=>मधुमेह के बारे में जागरुकता इसकी रोकथाम का सर्वाधिक उचित उपाय है। यदि इसे नियंत्रित न किया गया, तो मधुमेह की जटिलताएं आने वाले दशकों में भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भारी कीमत चुकाने की संभावना रखती हैं।
=>संभावित रूप से विस्फोटक सार्वजनिक स्वास्थ्य स्थिति में वृद्धि को देखते हुए, यह प्रभावी नीति कार्यान्वयन की मांग करता है। एक मजबूत वित्तीय व मानव संसाधनों के उचित आवंटन तथा एक सुदृढ़ रोग निगरानी व्यवस्था के साथ संयुक्त होने पर, रोकथाम व उपचार के माध्यम से मधुमेह से होने वाली मौतों में कमी लाई जा सकती है तथा देश में बढ़ती बीमारी के बोझ को कम किया जा सकता है।
Pic courtesy:Dailyhunt
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