समाचारों में क्यों? =>यूरोपीय संघ ने सदस्य देशों से आग्रह किया है कि वे एक साथ मिलकर यूरोप के भिन्न-भिन्न समय क्षेत्रें के कारण होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए काम करें। यह आह्नान मौसमी घड़ी में परिवर्तन को खत्म करने की योजना घोषणा करने के बाद किया गया। =>यूरोपीय आयोग वसंतऋतू में घड़ियों को एक घंटे आगे और शरद ऋतू में एक घंटे पीछे करने की प्रथा को समाप्त करना चाहता है। इसके पीछे तर्क यह है कि इससे अन्यायपूर्ण व्यवधान होता है।
आगे क्या? =>यूरोपीय संघ के प्रत्येक देश को यह निर्धारित करने के लिए कहा जा रहा है कि क्या वे गर्मियों या सर्दियों के निर्धारण तरीके पर स्थायी रूप से बने रहना चाहते हैं या नहीं? =>यह समय परिवर्तन वर्ष में दो बार करने की प्रथा को समाप्त कर देना, लेकिन संभावना है कि बेल्जियम और नीदरलैंड जैसे पड़ोसी देश एक घंटा आगे हो सकते हैं।
चिंताएं: =>इस प्रस्ताव के कारण एक नई ब्रेगि्ज़ट पहेली शुरू हो सकती है। यदि इसे आगे बढ़ाया जाता है, तो यूरोपीय संघ के सदस्य देश आयरलैंड घड़ियाें में परिवर्तन पर सहमत नहीं होगा, लेकिन ब्रिटिश शासित उत्तरी आयरलैैंड वसंत और शरद ऋतू में घड़ियों में एक बार समय परिवर्तन की प्रथा को खत्म कर सकता है। =>ब्रिटिश सरकार का कहना है कि ‘डेलाइट सेविंग टाईम के परिवर्तन की कोई योजना नहीं है।’’ जिसका अर्थ है कि हर साल छः माह के लिए आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड एक घंटा आगे होंगे।
यूरोपीय संघ के वर्तमान समय क्षेत्र क्या हैं? =>तीन मानक समय क्षेत्रः तीन राज्य ग्रीनविच मध्य समय का अनुकरण करते हैंµयूके, आयरलैंड, और पुर्तगाल। =>17 राज्य ‘केन्द्रीय यूरोपीय समय’ का अनुकरण करते हैं, जिसे ग्रीनविच माध्य समय प्लस वन (GMT+1) कहा जाता है। =>8 राज्य ‘पूर्वी यूरोपीय समय’ का अनुकरण करते हैं, जिसे ‘ग्रीनविच माध्य समय प्लस टू’ (GMT+ 2 ) कहते हैं।
अंतर: => वर्तमान मौसमी घड़ी में बदलाव आंशिक रूप से विवादास्पद है, क्योंकि स्कैंडेनेविया और दक्षिणी यूरोप द्वारा अनुभव किये जाने वाले डेलाइट घंटों में एक बड़ा अंतर पाया जाता है। => नार्डिक देशों (डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नार्वे, स्वीडेन, इत्यादि) में सर्दियों में रातें लंबी और गर्मियों में छोटी होती हैं। दक्षिण में यह पैटर्न सभी मौसमाेंं में अधिक समान दिखता है। => इसके अतिरिक्त और भी असंगतियां हैं, उदाहरण के लिए, पड़़ोसी देशों-पुर्तगाल और स्पेन, स्वीड्न और फिनलैंड में भिन्न-भिन्न टाईम ज़ोन हैं।
समय परिवर्तन की प्रथा को दो बार वार्षिक कब और क्यों अपनाया गया था? =>अमेरिकी राजनेता बेंजामिन फ्रेंकलिन को 1784 में जर्नल डी पेरिस में प्रकाशित एक व्यंग्यात्मक निबंध में घड़ी के बदलाव के विचार को श्रेय दिया जाता है। =>दो बार वार्षिक परिवर्तन का प्रचलन-गर्मियों में एक घंटे आगे, सर्दियों में एक घंटा पीछे-1916 में जर्मन और आस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्यों द्वारा अपनाया गया था, ताकि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान बिजली की बचत की जा सके। इसी वर्ष ब्रिटिश तथा फ्रांस साम्राज्य ने भी घड़ी में बदलाव का विचार पेश किया।
अन्य देशों का उदाहरण =>कृषक समुदाय के दबाव में यूरोप के कई देशों और अमेरिका ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच इसे प्रस्तुत करने से पूर्व इसे प्रथा को बंद कर दिया था। विशेष रूप से 1970 के दशक में तेल संकट के कारण। =>1998 से ग्रीष्मकाल का आरंभ मार्च के अंतिम रविवार और शीतकालीन समय की शुरुआत अक्टूबर के अंतिम रविवार से होती है, और यह प्रथा संपूर्ण यूरोपीय संघ में सामंजस्यपूर्ण हो गई है। =>कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका (कुछ राज्यों के अपवाद के साथ), मेक्सिको, जार्डन, न्यूज़ीलैंड, लेबनान, इज़राइल और क्यूबा सभी दो बार वार्षिक घड़ी में परिवर्तन लागू करते हैं। =>लेकिन मेक्सिकों और कई एशियाई देशों को छोड़कर अफ्रीका में सभी वर्षों में घड़ियाँ एक समान रहती हैं।
समय के साथ छेड़-छाड़ =>द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान पर अमेरिकी कब्जे़ के दौरान 1948 में घड़ी में परिवर्तन शुरू किया गया, लेकिन स्वतंत्रता के बाद 1952 में इसे समाप्त कर दिया गया था। =>चीन ने भी 1986 में मौसमी घड़ी में बदलाव किया, लेकिन परीक्षण अनिर्णायक साबित हुआ और 1991 में एक स्थिर मानक समय को पुनः लागू किया गया। =>रूस ने भी अपने यहां समय को पीछे एवं आगे किया, 1917 में प्रथम बार परिवर्तन किया गया तथा अंत में, असंख्य प्रयोगों एवं विरोध प्रदर्शन के बाद पूरे वर्ष के लिए 2014 में सदी के समय को निर्धारित किया गया। =>बेलारूस, आइसलैंड और अर्जेंटीना भी घड़ी परिवर्तन कर चुके हैं, जैसा कि चिली 2015 में कर चुका था। हालांकि अगले वर्ष ही इसे रद्द कर दिया गया, जिसके कारण विश्व अभी भी सीजन के अनुसार समय के साथ छेड़ छाड़ के सवाल पर विभाजित है।
Pic courtesy: TimeTemperature.com
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