प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली चयन समिति द्वारा पिनाकी चंद्र घोष के नाम को अंतिम रूप देकर इसकी सिफारिश की गई है।
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के वर्तमान सदस्य, पिनाकी चंद्र घोष, भारत के पहले भ्रष्टाचार-विरोधी ओम्बुड्समैन या लोकपाल नियुक्त होने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली लोकपाल चयन समिति द्वारा उनके नाम का चयन किया गया है। इस नियुक्ति की अधिसूचना जल्द ही जारी होने की उम्मीद है। जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष भारत के पहले लोकपाल होंगे। लोकपाल अधिनियम, जिसमें केंद्र और राज्यों में लोकायुक्त या लोक सेवक भ्रष्टाचार के मामलों को देखने के लिए एंटी-ग्राफ्ट बॉडी लोकपाल की स्थापना की परिकल्पना की गई थी, इसे 2013 में पारित किया गया था। श्री घोष को 1997 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए थे, और 2013 में उच्चतम न्यायालय में उनकी पदोन्नति से पहले आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश बने थे।
कौन हैं पिनाकी चंद्र घोष?
पिनाकी चन्द्र घोष (जन्म 2 मई 1952) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति से पूर्व उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था, और इससे पूर्व वे कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायधीश थे। श्री घोष वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं। न्यायमूर्ति पिनाकी चन्द्र घोष कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश स्वर्गीय श्री न्यायमूर्ति संभू चंद्र घोष के पुत्र हैं। वे कलकत्ता शहर के उत्तरी प्रांत के एक प्रसिद्ध परिवार, जोरासांको के दीवान बरनासी घोष के परिवार में पाँचवीं पीढ़ी के वकील हैं।
प्रथम लोकपाल की नियुक्ति की एक संक्षिप्त कार्यवाही
लोकपाल की नियुक्ति में देरी पिछले 3 वर्षों से एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम को 2014 की शुरुआत में ही अधिसूचित किया गया, लेकिन अभी तक किसी को भी इस पद पर नियुक्त नहीं किया गया था। इस कारण लोकपाल की नियुक्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी। केंद्र सरकार ने अदालत में अपना पक्ष रकहते हुए कहा था कि लोकपाल को विपक्ष के नेता के बिना नियुक्त नहीं किया जा सकता है और लोकसभा में वर्तमान में विपक्ष का कोई नेता नहीं है। न्यायालय ने 2016 के अपने फैसले में केंद्र द्वारा इस दलील को ठुकरा दिया और यह स्पष्ट कर दिया था कि चयन समिति में विपक्ष के नेता की अनुपस्थिति लोकपाल की नियुक्ति को अमान्य नहीं करेगी। लोकपाल को नियुक्त करने वाली चयन समिति में प्रधान मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और एक प्रख्यात न्यायविद होते हैं, उपर्युक्त चार सदस्यों द्वारा सिफारिश की जानी चाहिए। बाद में सुप्रीम कोर्ट के 2016 के फैसले को लागू नहीं करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की गई, लेकिन इन मुद्दों के बावजूद, पैनल ने अपने अधिनियमन के 3 साल बाद प्रथम लोकपाल की नियुक्ति करने जा रही है।
लोकपाल अधिनियम – 2013 के संक्षिप्त बिंदु
लोकपाल अधिनियम के तहत केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त नामक एक भ्रष्टाचार विरोधी संस्था स्थापित करने का प्रावधान है। इसमें एक चेयरपर्सन और अधिकतम आठ सदस्य होंगे जिनमें से 50 प्रतिशत न्यायिक सदस्य होंगे। इसके 50 प्रतिशत सदस्य SC / ST / OBC, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से होंगे। लोकपाल के दायरे में लोकसेवकों की सभी श्रेणियां शामिल होंगी, जिनमें प्रधानमंत्री भी सशस्त्र बल अपवाद होंगे। लोकपाल अधिनियम ने राज्यों को अधिनियम के प्रारंभ होने के एक वर्ष के भीतर लोकायुक्त का गठन करने का आदेश दिया था। लोकपाल द्वारा निर्दिष्ट मामलों के लिए सीबीआई सहित किसी भी जांच एजेंसी पर अधीक्षण और निर्देश की शक्तियां होंगी। लोकपाल की नियुक्ति पांच सदस्यीय पैनल की सिफारिश के आधार पर की जाती है जिसमें प्रधान मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता, भारत के मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा नामित एक प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल होते हैं।
सरकार ने विपक्ष के नेता की अनुपस्थिति में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता का चयन, पैनल के सदस्य के रूप में नियुक्त करने हेतु लोकपाल अधिनियम – 2013 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। नेता विपक्ष को नामित करने हेतु सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के पास सदन में कुल सदस्यों में से कम से कम 10 % की ताकत होनी चाहिए और कोई भी दल 2014 के आम चुनाव में इस निशान को पार करने में कामयाब नहीं हुआ था। सभी सरकारी और अन्य संस्थान लोकपाल के अंतर्गत आते हैं, जिसमें भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना को लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है। साथ ही यह विधेयक सीबीआई को भी स्वतंत्र रखता है।
Pic courtesy:The Financial Express
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