समाचारों में क्यों? =>सिंचाई और डेªनेज पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग (ICID) की उच्च निर्णयन निकाय अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक कनाडा के सस्काटून में आयोजित हुई जिसमें तेलंगाना सरकार के निर्मल जिले में गोदावरी नदी पर और कामरेड्डी जिले के पेड्डा चेरूवु सदार्मट एनीकूट का नामांकन स्वीकार कर लिया है। और इसे सिंचाई एवं डेªनेज पर अन्तर्राष्ट्रीय आयोग (ICID) में विरासत सिंचाई संरचना के रूप में पंजीकृत कर लिया है।
सदार्मट एनीकूट =>विरासत सिंचाई संरचना पुरस्कार सिंचाई सुविधा हेतु एक योग्य मान्यता प्राप्त हुई है, जिसने 1891-92 में अपने निर्माण के बाद वर्तमान में खानापुर और केडे मंडल में 13,100 एकड़ में डिज़ाईन किए गये धान की फसलों के लिए बहुमूल्य जल उपलब्ध कराया है। =>इसने क्षेत्र के लोगों के लिए एक पिकनिक स्थान का भी कार्य किया है जो लगभग 40,000 वर्ग मील के अपने क्षेत्र के रूप में विशाल नहीं है, लेकिन पुराने अविभाजित आदिलाबाद करीम नगर और निज़माबाद जिलों में फैला हुआ है। =>एनीकट, तेलगू शब्द ‘अना-कट्टा’ का अंग्रेज़ी रूपांतरण है, जिसका अर्थ एक वर्षों ‘पुश्ता/बांध होता है। इसे नवाब इकबाल-उद-दौला ने निर्मित कराया था, जो विकारूल उमरा बहादुर नाम से 1891-92 में शासक था। सीई विलिकंसन उस समय वहां का ताल्लुकदार था। ओटली इसके इंजीनियर थे तथा खानापुर हैदराबाद निज़ाम खासन के दौरान नवाबों की एक जागीर थी। =>सदार्मट पुश्ता/बांध बाएं किनारे पर 437.4 मीटर लंबा और दाहिनी तरफ 23.8किमी0 लंबा है। बायें तरफ के नहर की लंबाई 21.5 मीटर जबकि दाहिनी तरफ के नहर की लंबाई 10 किमी0 है। और डिस्ट्रीब्यूट्री 12 किमी0 लंबी है। जिससे क्रमशः 57,00 एकड़ और 4000 एकड़ की सिंचाई होती है। एनीकट पर अधिकतम बाढ़ प्रवाह 7.76 लाख क्यूसेक है। 4 हज़ार मिलियन घन फीट पानी उपयोग में आता है।
पेड्डा चेरूवु =>पेड्डा चेरूवु (तेलगू में बड़ा टैंक) िज़ला मुख्यालय शहर के बाहरी इलाके में स्थित 618 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और 1897 में हैदराबाद राज्य के छठे निज़ाम मीर महबूब अली खान के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। =>इसमें 1-8 किमी लंबी टैंक और 145 मीटर नदी बांध एवं जलमार्ग है। इसका जल ग्रहण क्षेत्र 68-97 वर्ग किमी से भी अधिक फैला हुआ है। तथा कुल बाढ़ प्रवाह 8860 क्यूसेक है। =>0-175 हजार मिलियन फीट की क्षमता के साथ यह कामरेड्डी, सारम्पाली, नरसंपल्ली और पुराने राजपेट में 900 एकड़ से ज़्यादा सिंचाई के लिए जल प्रदान करता है। यह क्षेत्र के निवासियों के लिए पेयजल भी प्रदान करता है। स्थानीय महिलायें नवरात्र उत्सव के दौरान इसके बांध पर बथुकम्मा खेलती हैं और इसके जल में डुबकी लगाती हैं। =>यह उस क्षेत्र के निवासियों के लिए एक पिकनिक स्थल है, लोग आराम के लिए इसके बांध पर आते हैं और प्रकृति के मनोरम दृश्य का अवलोकन करते हैं। परिणामतः सरकार आवश्यक बुनियादी ढांचा निर्मित कर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहती है। =>इसके अलावा, इस टैंक को काकतीय मिशन के दूसरे दौर के तहत एक लघु टैंक पुश्ते के रूप में विकसित किया गया है, जिसकी अनुमानित लागत 6-6 करोड़ है। इसका 80%कार्य पूर्ण हो चुका है और शेष कार्य शीघ्र ही पूर्ण हो जायेगा।
इंटरनेशनल कमीशन ऑन इंरिगेशन एंड डेªनेज (प्ब्प्क्) के विषय में =>1950 में स्थापित सिंचाई एवं डेªनेज पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग एक प्रमुख वैज्ञानिक, तकनीकी, अन्तर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी, गैर-सरकारी संगठन है। =>यह सिंचाई, जल निकासी और बाढ़ प्रबंधन के क्षेत्र में विश्व भर के विशेषज्ञों का एक पेशेवर नेटवर्क है। इसका मुख्य उद्देश्य ‘‘सतत कृषि जल प्रबंधन’’ के प्रोत्साहन से लेकर ‘‘टिकाऊ ग्रामीण विकास के माध्यम से जल सुरक्षा और विश्व को गरीबी, भुखमरी से मुक्ति दिलाना है।
विरासत सिंचाई संरचना =>2012 में आस्टेªलिया के एडीलेड में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की 63वीं बैठक में, यह सुझाव दिया गया था कि यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त विश्व धरोहर स्थलों की तज़र् पर ऐतिहासिक सिंचाई संरचनाओं की मान्यता के लिए एक प्रक्रिया शुरू की जायेगी। =>यह प्रस्तावित किया गया कि दस्तावेज़ में निर्धारित मापदंड को पूरा करने वाली ऐतिहासिक सिंचाई/जल निकासी संरचना को ‘‘विरासत सिंचाई संरचना के रूप में पहचान की जायेगी। ‘‘विरासत सिंचाई संरचना’’ के रूप में मान्यता देने के मुख्य उद्देश्य हैं-
=>इन सिंचाई संरचनाओं से टिकाऊ सिंचाई पर दर्शन व ज्ञानार्जन। =>इन ऐतिहासिक सिंचाई संरचनाओं की रक्षा एवं संरक्षण।
विरासत सिंचाई संरचना बनाम यूनेस्को विश्व विरासत स्थल =>यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के लिए समावेशन का मतलब है, ऐसे स्थलों की यथास्थिति सदैव बरकरार रखना। लेकिन सिंचाई संरचनाओं के लिए इसे निर्धारित करना सही नहीं होगा। क्योंकि लोगों को बेहतर जल उपयोग दक्षता के लिए पुरानी संरचना को अधिक कुशल बनाने का अधिकार है।
=>विरासत सिंचाई संरचना की मान्यता मिलने से संबंधित सरकारों का ध्यान संरचना के लिए संसाधन प्रदान करने और उसके रख-रखाव की ओर जाएगा। आईसीआईडी के विशेषज्ञों की एक टीम के माध्यम से यथा संभव स्थायी संरक्षण और सुरक्षित प्रबंधन के लिए परियोजना प्राधिकरण को छोटे पैमाने पर तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। विभिन्न प्रकार की प्रकाशित सामग्री (कॉफी टेबल प्रकाशन, वेब पेजेज़ इत्यादि) के माध्यम से आईसीआईडी को इन विरासत सिंचाई संरचनाओं को सार्वजनिक ज्ञान और खाद्य प्रदान करने की उनकी भूमिका जनता के सामने लाना चाहिए।
Pic courtesy:Telangana Today
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