समाचारों में क्यों?
=>भारत ने नई दिल्ली में पहली बार 2 +2 वार्ता की मेजबानी की। उद्घाटन वार्ता जुलाई में आयोजित की गई थी, किन्तु अमेरिका द्वारा ‘अपरिहार्य कारणों’ का हवाला देते हुए इसे स्थापित कर दिया था। इससे पहले यह वार्ता अप्रैल में आयोजित होनी थी, लेकिन स्थगित कर दी गई थी।
2 +2 वार्ता क्या है?
=>यह वार्ता भारत-जापान के बीच दोनों देशों के विदेश और रक्षा सचिवों/मंत्रियों के बीच होने वाली वार्ता के समान है। जून 2017 में व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ भारतीय प्रधानमंत्री की चर्चा के दौरान दोनों देशों के विदेश एवं रक्षा सचिवों के बीच वार्ता पर सहमति बनी थी।
=>इसका उद्देश्य भारत-अमेरिका सामरिक संबंधों को वाणिज्यिक विवादों व वाणिज्यिक वार्ता से अलग करना है।
वार्ता के परिणाम
=>भारत-अमेरिका रक्षा संबंध में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर होने से महत्वपूर्ण प्रगति आई है।
अन्य बिन्दु:
=>दोनों देशों ने व्यापार मुद्दों पर, आतंकवाद से लड़ने के लिए सहयोग, एक मुक्त, खुला और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र इत्यादि मुद्दों पर चर्चा की गई तथा क्षेत्र में टिकाऊ ‘ट्ण वित्तपोषण’ पर भी चर्चा हुई। अंतिम दो बिंदुओं का स्पष्ट रूप से दक्षिण चीन सागर और बेल्ट एवं रोड पहल परियोजनाओं में बीजिंग की भूमिका से संबंधित है।
=>दोनों ने रूस से एस-400 मिसाइलों की खरीद और ईरान से कच्चे तेल के आयात जैसे विवादित मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया।
=>दोनों पक्ष परमाणु आपूर्ति कर्ता समूह में भारत के प्रवेश की दिशा में मिलकर काम करने पर भी सहमत हुए। जनवरी में यू-एस- ने इस विशेष क्लब में सदस्यता के लिए भारत की अनन्य मांग का समर्थन किया था, किन्तु भारत को चीन की तरफ से विरोध का सामना है, जो बराबर इस बात पर जोर देता है कि भारत ने अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है।
=>दोनों पक्षों ने अमेरिकी नौसेना बल केन्द्रीय कमान (NAVCENT) में एक भारतीय संपर्क अधिकारी की तैनाती की घोषणा की, जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और तेज समृद्ध खाड़ी देशों में नौसेना के संचालन का प्रभारी होगा।
CDMCASA क्या है?
=>इसका पूर्ण रूप ‘कम्युनिकेशन कम्पैटिबिलिटी एंड सेक्युरिटी अग्रीमेंट है, और यह उन चार आधारभूत समझौतों में एक है, जो अमेरिका अपने निकट सहयोगियों के साथ करता है, ताकि सेनाओं के बीच इंटर-ऑपरेबिलिटी और उच्च प्रौद्योगिकी की बिक्री में सुविधा प्रदान की जा सके।
=>भारत ने 2002 में ‘सैन्य सूचनाओं की सामान्य सुरक्षा समझौता (GSOMIA) पर हस्ताक्षर किया था, तथा 2016 में ‘लॉजिस्टिकस एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर श्री हस्ताक्षर किया। एक अंतिम समझौता, ‘बेसिक एक्सचेंज एंड कोआपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियो-स्पैशियल कोअप्रेशन (BECA) हस्ताक्षरित किया जाना बाकी है।
=>COMCASA कम्युनिकेशन एंड इंफॉर्मेशन ऑफ सिक्युरिटी मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (CISMOA) का भारत-विशिष्ट संस्करण है। यह तुरंत लागू होता है, और 10 वर्ष की समयावधि के लिए मान्य है।
भारत के लिए इसका अर्थ?
=>कॉमकासा भारत को सी-17, सी-130 और पी-8 आई एस जैसे अमेरिकी मूल के सैन्य प्लेटफॉर्मों से कूटबद्ध संचार के लिए ट्रांसफर विशेष उपकरण खरीदने की अनुमति देता है। वर्तमान में, ये प्लेटफार्म व्यवसायिक रूप से उपलब्ध संचार प्रणालियों का उपयोग करते हैं।
=>यह उन्नत रक्षा प्रणालियों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करेगा और भारत को अपने मौजूदा अमेरिकी प्लेटफॉर्म का बेहतर उपयोग करने में सक्षम करेगा। भारतीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पाठ में विशिष्ट अतिरिक्त प्रावधान शामिल किये गये हैं।
=>यह भारत और अमेरिकी सेनाओं के बीच इंटरऑप्रेलिबिटी को भी सक्षम करेगा। इस तरह के सिस्टम के माध्यम से प्राप्त डेटा को भारत की सहमति के बिना किसी भी व्यक्ति या इकाई को प्रकट या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
=>यह भारतीय सेना को हिंद महासागर क्षेत्र की एक बेहतर तस्वीर प्राप्त करने में सक्षम करेगा, जहां चीनी गतिविधियां बढ़ रही हैं।
Vकॉमकासा, सिस्मोआ का भारत-विशिष्ट संस्करण है, भारतीय समस्त बलों को अमेरिका से प्राप्त सैन्य प्लेटफार्मों की क्षमता का पूर्ण फायदा उठाना होगा। उदाहरण के लिए नौसेना के पी-8 आई सामरिक पर्यवेक्षण विमान, जो एक प्रमुख बल गुणक के रूप में उभरा है, वर्तमान में सीमित क्षमता पर काम कर रहा है।
CENTRIXS :
=>यह गठबंधन वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) का एक संग्रह होता है, जिसे एन्क्लेव के नाम से जाना जाता है और यह एक ‘ग्रेटर इनेबलर’ है, जो टेक्स्ट और वेब-आधारित प्रारूपों में दोनों देशों के बीच शिप-टू-शिप परिचालन वार्तालाप की अनुमति देता है। सिस्मोआ के परिणामस्वरूप, भारत को संयुक्त उद्यम क्षेत्रीय सूचना विनिमय प्रणाली या CENTRIXS अर्थात् Combined Enterprise Regional information Exchange System तक पहुंच प्राप्त होगी, जो अमेरिका का सुरक्षित संचार नेटवर्क प्रणाली है।
=>बोर्ड पर CENTRIXS सिस्टम के साथ नौसेना के जहाज यूएस नौसेना के साथ सुरक्षित रूप से संवाद कर सकते हैं और इस क्षेत्र की व्यापक स्थिति से लाभ उठा सकते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में उनकी बड़ी संख्या में जहाज और विमान तैनात हैं।
=>यहां तक कि सिस्टम के भीतर भी विशिष्ट कोड या कूट का भी सत्यापन हो सकेगा, जिससे दोनों पक्ष संचार या सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
=>हालांकि, चिंताएं निरंतर बनी हुई हैं कि इससे अमेरिकी नौसेना को भी भारत के अपने सुरक्षित संचार नेटवर्क तक पहुंच मिल जाएगी तथा यह भी कि यूएस के साथ साझा की गई सूचना शत्रु देशों पाक व चीन को भी पहुंच सकती है।
प्रथम संयुक्त त्रि-सेवा अभ्यास
=>भारत और अमेरिका 2 +2 वार्ता के उद्घाटन पर प्रथम त्रिसेवाओं के संयुक्त अभ्यास पर सहमत हुये हैं। यह रूस के बाद किसी अन्य देश के साथ भारत द्वारा आयोजित किया जाने वाला दूसरा ऐसा त्रिकोणीय अभ्यास है। यह अभ्यास भारत के पूर्वी तट से आयोजित होने के लिए 2019 में निर्धारित है।
=>रूस के साथ प्रथम त्रिकोणीय सेवा अभ्यास अक्टूबर 2017 में आयोजित किया गया था INDRA- 2017 नामक यह अभ्यास रूस और अमेरिका के साथ सामरिक संबंधों को संतुलित करने और चीन को संदेश देने का भारत का तरीका था।
=>इससे पूर्व भारत ने अन्य अभ्यासों में समवर्ती भागीदारी के बिना केवल संबंधित सेनाओं, नौसेना और वायु सेनाओं के बीच अभ्यास आयोजित किये गये थे।
चिंताएं:
=>हालांकि, व्यापार को संबोधित करते समय, भारत को अपने जीएपी (प्राथमिक प्रणाली की सामान्यीकृत स्थिति) बहाल करने, या वाशिंगटन द्वारा लगाये गये स्टील एवं एल्युमीनियम टैरिफों पर छूट के स्पष्ट आश्वासन प्राप्त नहीं हुये।
=>इसके बजाये यूएस ने स्पष्टतः कहा कि भारत को प्राप्त व्यापार अधिशेष को समाप्त करने के लिए भारत को अमेरिकी तेल और गैस के साथ-साथ विमानों के आयात में वृद्धि करनी चाहिए। अभी यह स्पष्ट है कि क्या केन्द्र ने इस बेहद मुक्त बाज़ार विरोधी मांग को स्वीकार कर लिया है, इस मामले पर चुप्पी परेशान करने वाली है।
=>अमेरिका की दूसरी मांग, नवम्बर तक ईरान से तेल आयात को शून्य करने की मांग है, यह अत्यंत अनुचित है, यह भारत के लिए महंगा इसलिए पड़ेगा, क्योंकि अभी डॉलर मजबूत हो रहा है और ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं साथ ही ईरान के साथ व्यापार भागीदारी भी प्रभावित होगी।
=>4 नवम्बर को पूर्ण मंजूरी मिलने के बाद अमेरिका चाबहार बंदरगाह में भारत के निवेश पर क्या करेगा? इस पर कोई सार्वजनिक वक्तव्य नहीं दिया गया है।
प्रतिबद्धताएं:
=>दोनों देशों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘मेजर डिफेंस पार्टनर (एमडीपी) के रूप में भारत की हैसियत के रणनीति महत्व की पुष्टि की है और भारत की एमडीपी स्थिति के दायरे को विस्तारित करने व रक्षा संबंधों को मजबूत करने तथा बेहतर रक्षा व सुरक्षा समन्वय को बढ़ावा देने के लिए पारस्परिक सहयोग एवं सहमति व्यक्त की है।
=>दोनों देशों ने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लाईसेंस-मुक्त निर्यात, पुनः निर्यात व लाईसेंस अपवाद सामरिक व्यापार प्राधिकरण (STA-1 ) देशों के शीर्ष समूह में भारत के सम्मिलित होने का स्वागत किया है। तथा प्रतिबद्धता व्यक्त की है कि आगे भी अन्य साधनों का पता लगाया जाएगा, जिससे रक्षा उपकरणों व रक्षा विनिर्माण आपूर्ति शृंखला संबंधों में दो तरह से व्यापार विस्तार में संभावनाओं का पता लगाया जाएगा।
=>दोनों औद्योगिक सुरक्षा अनुलग्नक (ISA) पर वार्ता आरंभ करने की तत्परता की भी घोषणा की, जो निकटतम रक्षा उद्योग सहयोग और साझीदारी का समर्थन करेगी।
=>भारत-यूएस रक्षा साझीदारी में प्रौद्योगिकी की अनूठी भूमिका को स्वीकार करते हुये, मंत्रियों ने रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) के माध्यम से सह-उत्पादन व सह-विकास परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने और प्राथमिकता देने तथा रक्षा नवाचार सहयोग के अन्य मार्गों को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
=>इस संदर्भ में, उन्होंने अमेरिकी रक्षा नवाचार इकाई (DIV) और भारतीय नवाचार संगठन-रक्षा उत्कृष्टता के लिए अभिनव नवाचार (DIOi DEX) के बीच इरादे के ज्ञापन निष्कर्ष का स्वागत किया।
उन्होंने क्षेत्र में आतंकियों के छद्म युद्ध के किसी भी उपयोग की निंदा की और इस संदर्भ में पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि वह आतंकियों का अपनी भूमि का उपयोग दूसरे देशों में हमलों के लिए न करने दे। 26/11 मुंबई हमले की 10वीं बरसी की पूर्व संध्या पर, उन्होंने मुंबई, पठानकोट उरी और अन्य सीमा पारीय आतंकी हमलों के षड्यंत्रकारियों को सजा देने को कहा।
=>भारत-प्रशांत क्षेत्र के अतिरिक्त भागीदार
=>आसियान केन्द्रीय की मान्यता और संप्रभुता, क्षेत्रीय अखण्डता, कानून के शासन, सुशासन स्वतंत्र व निष्पक्ष व्यापार के सम्मान के आधार पर दोनों पक्ष एक साथ मुक्त खुले और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र नौवहन एवं ओवरफ्रलाईट को आगे बढ़ाने के लिए अन्य भागीदारों के साथ मिल कर कार्य करने हेतु प्रतिबद्ध थे।
=>भारत-प्रशांत क्षेत्र हेतु आधारभूत संरचना एवं कनेक्टिविटी के महत्व को ध्यान में रखते हुए, दोनों पक्षों ने बुनियादी ढांचे के विकास में पारदर्शी उत्तरदायित्वपूर्ण टिकाऊ वित्तपोषण प्रथाओं का समर्थन करने के लिए अन्य साझीदार देशों के साथ सामूहिक रूप से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।
आगे क्या?
=>अगली 2 + 2 संयुक्त राज्य अमेरिका में 2019 में आयोजित की जानी है।
Pic courtesy:New Indian Express
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