संसद के मौजूदा सत्र में सुरक्षित और प्रभावी कीटनाशकों को बढ़ावा देने हेतु यह बिल पेश किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सुरक्षित एवं प्रभावी कीटनाशकों को बढ़ावा देने हेतु कीटनाशक प्रबंधन विधेयक – 2020 की मंजूरी दे दी है, जिसे संसद के वर्तमान सत्र में पेश किया जाएगा। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य कीटनाशक अधिनियम, 1968 को प्रतिस्थापित करना है, यह कदम किसानों के लिए सुरक्षित एवं प्रभावी कीटनाशक उत्पादन करने को प्रोत्साहित करेगा। कम कीटनाशकों के उपयोग के कारण खेत में नुकसान होने पर क्षतिपूर्ति प्रदान करने के प्रावधान भी शामिल हैं।
विधेयक के उद्देश्य एवं विशेषताएं: नए मसौदा विधेयक का उद्देश्य किसानों के हित की रक्षा करना है, ताकि उन्हें सुरक्षित एवं प्रभावी कीटनाशक मिल सके। किसानों को उपलब्ध कीटनाशकों, उनकी ताकत, कमजोरियों जैसे जोखिम के बारे में उन वितरकों से सभी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा, जिनसे वे कीटनाशक खरीदना चाहते हैं। इस विधेयक में मौजूदा कीटनाशक अधिनियम, 1968 को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया गया है, जिसे सरकार ने कहा है कि “लंबा समय हो गया है, तत्काल पुन: नियमन की आवश्यकता है। यह किसानों को प्राकृतिक एवं उप-मानक कीटनाशकों से बचाने की आवश्यकता पर बढ़ती चिंता की पृष्ठभूमि में आता है। लोगों के स्वास्थ्य व पर्यावरण पर उनके संभावित प्रभावों का आकलन करने की आवश्यकता पर जोर है। कोई भी व्यक्ति जो कीटनाशक का आयात, निर्माण, या निर्यात करना चाहता है, उसे नए बिल के तहत पंजीकरण कराना होगा। इन व्यक्तियों को किसी भी दावे, अपेक्षित प्रदर्शन, प्रभावकारिता, सुरक्षा, उपयोग के निर्देशों एवं बुनियादी सुविधाओं के बारे में सभी विवरण उपलब्ध कराने चाहिए ताकि कीटनाशक का स्टॉक किया जा सके। जानकारी में पर्यावरण पर कीटनाशक के संभावित प्रभावों का विवरण भी शामिल होगा। कम गुणवत्ता या नकली कीटनाशकों की वजह से कोई भी कृषि हानि होने पर बिल में क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है। मैन्युफैक्चरर्स या डीलर्स से इकट्ठा किया गया जुर्माना एवं सरकार द्वारा लगाए गए फंड का इस्तेमाल केंद्रीय फंड बनाने के लिए किया जाएगा।
विधेयक की सुविधात्मक कार्य: उपलब्ध कीटनाशकों के बारे में सभी जानकारी सार्वजनिक क्षेत्र में, सभी भाषाओं में डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध होगी। विधेयक में उद्योगों एवं निर्माताओं द्वारा भ्रामक दावों की जांच करने के लिए कीटनाशकों से संबंधित विज्ञापनों को विनियमित करने की भी योजना है। मसौदा विधेयक में हमारे देश की खाद्य और खेती प्रणाली को साफ करने का अवसर है, लेकिन निर्माताओं के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को और अधिक कठोर बनाने की आवश्यकता है। क्षतिपूर्ति निधि की स्थापना से जहर से प्रभावित किसानों के लिए आशा की किरण जगी है। लेकिन उन्हें मुआवजे का दावा करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के लिए सहारा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
भारत में कीटनाशकों के बारे में संक्षिप्त जानकारी: भारत में लगभग 234 कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इनमें से 4 WHO के Ia श्रेणी के कीटनाशकों से संबंधित हैं, 15 WHO के Ib वर्ग के कीटनाशक से संबंधित हैं। 76 कीटनाशक हैं जो WHO के वर्ग II कीटनाशकों के हैं। साथ ही, देश में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों का केवल 40% ही पंजीकृत है। WHO कीटनाशकों को उनके द्वारा बनाए गए खतरों के आधार पर वर्गीकृत करता है। वे इस प्रकार हैं:
Pic courtesy : Livemint
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