शुक्र. नवम्बर 15th, 2024

केंद्र सरकार ने आधिकारिक डेटा के लिए आंतरिक निरीक्षण तंत्र के लिए एक बड़े सुधार की घोषणा की है, जिसमें आर्थिक सांख्यिकी पर स्थायी समिति (एससीईएस) की जगह सांख्यिकी पर एक नई स्थायी समिति (एससीओएस) बनाई गई है।

सांख्यिकी पर स्थायी समिति

  • सरकार ने दिसंबर 2019 में गठित आर्थिक सांख्यिकी पर स्थायी समिति (Standing Committee on Economic Statistics- SCES) का नाम बदलकर और इसके कवरेज का विस्तार करते हुए इसे सांख्यिकी पर स्थायी समिति (Standing Committee on Statistics- SCoS) कर दिया है।
  • पहले SCES में 28 सदस्य थे और उनका कार्य औद्योगिक क्षेत्र, सेवा क्षेत्र एवं श्रम बल के आँकड़ों से संबंधित आर्थिक संकेतकों की रूपरेखा की समीक्षा करना था, जिसके अंतर्गत आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण, आर्थिक जनगणना से संबंधित डेटा शामिल था।
  • समीक्षा का यह कार्य अब नए SCoS द्वारा किया जाएगा।

सदस्य

  • SCoS में 14 सदस्य हैं जिनमें से 4 गैर-आधिकारिक सदस्य, 9 आधिकारिक सदस्य और 1 सदस्य सचिव है।
  • इस समिति में सदस्यों की कुल संख्या 16 हो सकती है जिसे समय-समय पर आवश्यकता के आधार पर बढ़ाया जा सकता है।

कार्य

  • मौजूदा संरचना की समीक्षा करना तथा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) द्वारा SCoS के समक्ष लाए गए सभी सर्वेक्षणों से संबंधित विषय/परिणाम/कार्यप्रणाली आदि पर समय-समय पर उठाए गए मुद्दों का समाधान करना।
  • यह सैंपलिंग फ्रेम, सैंपलिंग डिज़ाइन, सर्वेक्षण उपकरण आदि सहित सर्वेक्षण पद्धति पर सलाह देने तथा सर्वेक्षणों की सारणीबद्ध योजना को अंतिम रूप प्रदान करने का कार्य करता है। इसके साथ सर्वेक्षण परिणामों को अंतिम रूप देता है।
  • इस समिति का कार्य सभी डेटा संग्रह और डेटा उत्पादन प्रयासों को डिज़ाइन करना है।
  • यह सुनिश्चित करना कि MoSPI द्वारा जो भी डेटा एकत्र किया जाता है, वह उचित आँकड़ों के मानक को पूरा करता हो।

समीक्षा की आवश्यकता

अप्रचलित और पुरातन पद्धतियाँ

  • कुछ विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS), राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) और आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) जैसे राष्ट्रीय सर्वेक्षणों में उपयोग की जाने वाली अप्रचलित सर्वेक्षण पद्धतियों पर चिंता जताई है, जिससे भारत के विकास को व्यवस्थित रूप से कम करके आँका जा रहा है। 
  • उनका तर्क है कि यह पुरातन पद्धति पिछले कुछ समय से वास्तविक आँकड़े प्रदर्शित करने में विफल रही है क्योंकि “भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले 30 वर्षों में अविश्वसनीय रूप से गतिशील रही है।”

राष्ट्रीय स्तर के डेटा का महत्त्व

  • राष्ट्रीय स्तर का डेटा अनुसंधान, नीति निर्धारण और विकास योजना के लिये एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। इस प्रकार मौजूदा साक्ष्यों के आलोक में दावों तथा प्रतिवादों की जाँच करना आवश्यक है।
  • इस उद्देश्य के लिये यह पैनल NFHS डेटा पर बारीकी से निगरानी रखेगा, जो पिछले 30 वर्षों से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा नोडल एजेंसी/केंद्रक अभिकरण के रूप में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज़ (IIPS) के साथ आयोजित किया गया है।

ग्रामीण पूर्वाग्रह का मुद्दा

  • आलोचकों का तर्क है कि NFHS जैसे राष्ट्रीय सर्वेक्षण ग्रामीण पूर्वाग्रह प्रदर्शित करते हैं, ये पुराने जनगणना आँकड़ों पर अधिक निर्भरता के कारण ग्रामीण आबादी को अधिक आँकते हैं।
  • हालाँकि NFHS डेटा के पाँच दौर का बारीकी से विश्लेषण इस दावे का समर्थन नहीं करता है। इसके बजाय साक्ष्य NFHS-3 में ग्रामीण आबादी को कम आँकने के उदाहरणों का सुझाव देते हैं, NFHS -2 और NFHS -5 में अधिक अनुमान लगाए गए हैं।
  • NFHS-1 और NFHS-4 के अनुमान की विश्व बैंक के अनुमानों और जनगणना अनुमानों के साथ बहुत समानता है, जो व्यवस्थित पूर्वाग्रह के बजाय यादृच्छिक त्रुटियों का संकेत देते हैं।

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