केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 24 जुलाई 2023 को छत्तीसगढ़ के महार समुदाय से संबंधित दो उप समुदायों को राज्य की अनुसूचित जाति सूची में जोड़ने के लिए लोकसभा में ‘संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2023 पेश किया।विधेयक महार समुदाय के पर्यायवाची के रूप में महारा और महरा को जोड़ता है, जिससे राज्य में अनुसूचित जाति के लिए सरकारी योजनाओं और लाभों का विस्तार लगभग 2 लाख से अधिक लोगों तक होगा।नियमों के अनुसार इन दोनों उप समुदायों को शामिल करने का प्रस्ताव सबसे पहले राज्य सरकार द्वारा किया गया था ।इसके बाद भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इसके लिए अपनी मंजूरी दे दी थी जिससे इस विधेयक को लाने की अनुमति मिल गई थी।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ की 12% से अधिक आबादी को अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है ।2002 में केंद्र ‘महार समुदाय’ को SC का दर्जा देने पर सहमत हुआ। चूंकि प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार का था, इसलिए मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में तीन समुदायों को शामिल कर लिया गया, लेकिन छत्तीसगढ़ में रहने वाले दो उप-समुदायों को छोड़ दिया गया।
अनुसूचित जातियों के संदर्भ में संवैधानिक प्रावधान
- संविधान अनुच्छेद 366(24) के अनुसार, ‘अनुसूचित जातियों से ऐसी जातियों, मूलवंश या जनजातियां अथवा ऐसी जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भाग या उनमें के युवा सम्मिलित हैं, जिन्हें इस प्रयोजन के लिए अनु. 341 के अधीन अनुसूचित जातियां समझा जाता है ।
अनुसूचित जनजाति विधेयक
- जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इसका लक्ष्य छत्तीसगढ़ में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, सौंरा और बिंझिया समुदायों को एसटी की सूची में शामिल करना है। यह बिल दिसंबर 2022 में लोकसभा में पेश किया गया था।