विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा स्थापित 20-सदस्यीय अफ्रीका विशेषज्ञ समूह (AEG) ने ‘भारत-अफ्रीका साझेदारी: उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और रोडमैप 2030’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।यह रिपोर्ट अफ्रीका के साथ भारत की महत्त्वपूर्ण साझेदारी पर प्रकाश डालती है और आपसी संबंधों को मज़बूत करने के लिये नियमित नीति समीक्षा एवं कार्यान्वयन के महत्त्व पर बल देती है।कुल वैश्विक आबादी की लगभग 17% जनसंख्या अफ्रीका में निवास करती है और वर्ष 2050 तक इसके 25% तक पहुँचने का अनुमान है, एक उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में भारत की भूमिका इस साझेदारी में महत्त्वपूर्ण है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
अफ्रीका में परिवर्तन
- अफ्रीका में जनसांख्यिकीय, आर्थिक, राजनीतिक और समाजिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन देखे जा रहे हैं। यह धीरे-धीरे क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में बढ़ रहा है तथा लोकतंत्र, शांति और प्रगति को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है।
- हालाँकि इथियोपिया, सूडान और मध्य अफ्रीकी गणराज्य जैसे कुछ देश अभी भी विद्रोह, जातीय हिंसा और आतंकवाद से उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
प्रतिस्पर्द्धा और बाह्य साझेदार
- चीन, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई बाह्य साझेदार अफ्रीका के विभिन्न हिस्सों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने के लिये सक्रिय रूप से प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
- उनका उद्देश्य बाज़ार पहुँच, ऊर्जा एवं खनिज संसाधनों को सुरक्षित करने के साथ ही क्षेत्र में अपने राजनीतिक तथा आर्थिक प्रभाव को बढ़ाना है।
चीन की भागीदारी
- चीन वर्ष 2000 से अफ्रीका के सबसे बड़े आर्थिक भागीदार के रूप में है। यह अफ्रीका में बुनियादी ढाँचे के विकास में सहायता करने, संसाधन प्रदाता तथा वित्तपोषक के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- चीन द्वारा वित्त, सामग्री तथा राजनयिक प्रयासों में अफ्रीका का पर्याप्त सहयोग किया गया है।
भारत के लिये अफ्रीका का महत्त्व
- इस दशक में सबसे तेज़ी से विकसित होते रवांडा, सेनेगल, तंज़ानिया आदि आधा दर्जन से अधिक देश अफ्रीका में हैं जो अफ्रीका को विश्व के विकास ध्रुवों में से एक बनाता है।
- पिछले दशकों में अफ्रीका और उप-सहारा अफ्रीका में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 1980-90 के दशक की तुलना में दोगुने भी अधिक दर से बढ़ गई है।
- अफ्रीकी महाद्वीप की जनसंख्या एक अरब से अधिक है और संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 2.5 ट्रिलियन डॉलर है जो इसे एक विशाल संभावित बाज़ार बनाता है।
- अफ्रीका एक संसाधन संपन्न देश है जहाँ कच्चे तेल, गैस, दालें, चमड़ा, सोना और अन्य धातुओं का विशाल भंडार है जिनकी भारत में पर्याप्त मात्रा में कमी है।
- नामीबिया और नाइजर यूरेनियम के शीर्ष दस वैश्विक उत्पादकों में से हैं।
- दक्षिण अफ्रीका विश्व में प्लैटिनम और क्रोमियम का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- भारत अपनी तेल आपूर्ति में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है जो मध्य पूर्व में दूर स्थित है तथा अफ्रीका भारत की ऊर्जा आवश्यकतओं को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।