JAMA नेटवर्क जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चला है कि भारत में वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर बचपन में मधुमेह के मामलों और मृत्यु की सबसे अधिक संख्या देखी गई। अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (Disability-Adjusted Life Years- DALYs) भी सबसे अधिक है, जो पूर्ण स्वास्थ्य के एक वर्ष के नुकसान को दर्शाता है। वर्ष 1990 के बाद से बचपन में मधुमेह के मामलों में 39.4% की वृद्धि हुई है, वर्ष 2019 में 2,27,580 मामले और 5,390 मौतें दर्ज की गईं। बच्चों में टाइप 2 मधुमेह बढ़ रहा है और यह खराब जीवनशैली, वैश्विक स्तर पर बच्चों के मोटापे तथा माता-पिता के मधुमेह के इतिहास से जुड़ा है। बचपन में मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जहाँ बच्चे का शरीर इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग ठीक से नहीं कर पाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो ऊर्जा के लिये रक्त से शर्करा को कोशिकाओं में ले जाने में सहायता करता है। बचपन में मधुमेह के दो मुख्य प्रकार हैं: टाइप 1 और टाइप 2।
टाइप 1 मधुमेह
- T1D एक दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें अग्न्याशय बहुत कम अथवा कोई इंसुलिन, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिये आवश्यक हार्मोन, उत्पन्न नहीं कर पाता है। इस प्रकार का मधुमेह आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में होता है, हालाँकि यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।
- इंटरनेशनल डायबिटीज़ फेडरेशन एटलस 2021 के आँकड़ों के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में भारत में टाइप I मधुमेह मेलिटस (TIDM) बच्चों और किशोरों की संख्या 2.4 लाख है जो कि विश्व में सबसे अधिक है।
- यह एक स्व-प्रतिरक्षित रोग है, जिसका अर्थ है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। इस स्थिति का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन माना जाता है कि आनुवंशिक एवं पर्यावरणीय कारक इस रोग के लिये ज़िम्मेदार हैं।
उपचार
- टाइप 1 मधुमेह में सामान्यतः रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने हेतु इंसुलिन इंजेक्शन या इंसुलिन पंप की आवश्यकता होती है।
बच्चों में जटिलताएँ
- बच्चों में टाइप 1 मधुमेह की जटिलताओं में हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा), हाइपरग्लेसेमिया (उच्च रक्त शर्करा), केटोएसिडोसिस (संभावित जीवन-संकट वाली स्थिति, जब शरीर ग्लूकोज़ के बजाय ऊर्जा हेतु वसा का विखंडन करता है), साथ ही दीर्घकालिक जटिलताओं में जैसे- आँख, किडनी, तंत्रिका और हृदय संबंधी क्षति शामिल हो सकती है।
टाइप 2 मधुमेह
- यह शरीर द्वारा इंसुलिन के उपयोग के तरीके को प्रभावित करता है, जबकि शरीर इंसुलिन उत्पादन करता रहता है।
- टाइप 2 मधुमेह किसी भी उम्र में, यहाँ तक कि बचपन में भी हो सकता है। हालाँकि इस प्रकार का मधुमेह अक्सर मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में होता है।
गर्भावस्थाजन्य मधुमेह
- यह मधुमेह गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में उस स्थिति में होता है जब शरीर कभी-कभी इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है। यह मधुमेह गर्भकालीन सभी महिलाओं में नहीं होता है और आमतौर पर बच्चे को जन्म देने के बाद ठीक हो जाता है।
भारत में बचपन में मधुमेह
- अध्ययन के अनुसार, भारत को 2019 में बचपन में मधुमेह के सबसे अधिक मामलों और मौतों का सामना करना पड़ा।
- यह आँकड़ा देश में बच्चों में मधुमेह की रोकथाम, प्रबंधन और उपचार की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है।
- इस बोझ में योगदान देने वाले कारकों को समझकर, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर और नीति निर्माता संबंधित रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने के लिए लक्षित रणनीतियां तैयार कर सकते हैं।