- 14 जुलाई 2023 को भारत ने चंद्रयान-3 को एलवीएम3-एम4 रॉकेट से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
- इसरो के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से रूस (सोवियत संघ), अमेरिका और चीन के बाद भारत चौथा देश होगा, जिसने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग किया हो।
- इसरो ने 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया। 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया। 14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया।
- चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान और मून पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के इसके मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल (P Veeramuthuvel) हैं. वह 2019 में चंद्रयान 2 मिशन में भी शामिल थे.
चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर
- चंद्रयान-2 में जहां ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे। वहीं, चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर लगे हैं।
- चंद्रयान-3 का लैंडर+रोवर चंद्रयान-2 के लैंडर+रोवर से करीब 250 किलो ज्यादा वजनी है।
मिशन कितने समय तक कार्य करेंगे
- चंद्रयान-2 की मिशन लाइफ 7 वर्ष (अनुमानित) थी, वहीं चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को 3 से 6 महीने काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- चंद्रयान-2 के मुकाबले चंद्रयान-3 अधिक शीघ्रता से चांद की ओर बढ़ेगा।
- चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर्स लगाए गए हैं। करीब 40 दिन के सफर के बाद चंद्रयान-3 चांद की सतह तक पहुंच जाएगा। चंद्रयान-2 को चांद तक पहुंचने में 42 दिन लगे थे।
मिशन की लागत
- इस मिशन को लॉन्च करने में 615 करोड़ रुपये की लागत आई है। जबकि इसे लॉन्च करने में ही 500 करोड़ रुपये की लागत आई है।
मिशन का लक्ष्य
- चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चांद की सतह के बारे में अधिक जानकारी जुटाना है। इसके लिए लैंडर पर चार प्रकार के वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं।
जो मुख्यत
- चांद पर आने वाले भूकंपों,
- सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज,
- सतह के करीब प्लाज्मा में बदलाव
- चांद और पृथ्वी के मध्य की सटीक दूरी मापने का प्रयास और
- चांद की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना का अध्ययन करेगा।