- जम्मू और कश्मीर का नमदा शिल्प विलुप्त होने का सामना कर रहा था, लेकिन प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत कौशल भारत पायलट परियोजना के माध्यम से इसे सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया गया है।
- जम्मू और कश्मीर के छह जिलों के लगभग 2,200 उम्मीदवारों ने नामदा कला में प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिससे इस पारंपरिक शिल्प को संरक्षित किया गया और स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को सशक्त बनाया गया।
- यह परियोजना स्थानीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से कौशल विकास में एक सफल सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को प्रदर्शित करती है।
नमदा शिल्प
- नमदा एक पारंपरिक कश्मीरी शिल्प है जिसमें भेड़ के ऊन का उपयोग करके फेल्टेड कालीन बनाना और रंगीन हाथ की कढ़ाई को शामिल करना शामिल है।
- कश्मीरी लोगों को नमदा से परिचित कराने का श्रेय शाह-ए-हमदान नामक सूफी संत को दिया जाता है।
- पारंपरिक बुने हुए कालीनों के विपरीत, नमदा को फेल्टिंग प्रक्रिया के माध्यम से बनाया जाता है, जहां ऊनी रेशों को बुने जाने के बजाय एक साथ उलझा दिया जाता है।
- नमदा की विशिष्टता इसके जटिल विषयों और पुष्प पैटर्न में निहित है, जो प्रकृति से प्रेरित हैं।
- डिज़ाइन में अक्सर फूल, पत्तियां, कलियाँ और फल होते हैं, जो देखने में आकर्षक रूपांकन बनाते हैं।
- नमदा कला केवल कश्मीर तक ही सीमित नहीं है बल्कि ईरान, अफगानिस्तान और भारत सहित कई अन्य एशियाई देशों में भी प्रचलित है।