- हाल में खगोलविदों ने ब्रह्मांड की सुदूर गहराई से प्रकाश को विभाजित करने और उसे बढ़ाने वाले “आइंस्टीन क्रॉस” (Einstein Cross) का एक आश्चर्यजनक, दुर्लभ उदाहरण खोजा है।
- इसमें पृथ्वी से लगभग 6 अरब प्रकाश-वर्ष दूर स्थित विशाल अण्डाकार आकाशगंगा अपने से पीछे स्थित और हमारे ग्रह से लगभग 11 अरब प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक बैकग्राउंड आकाशगंगा से आने वाले प्रकाश की एक उज्ज्वल किरण को विकृत और चतुष्कोणित कर देती है यानी चार भागों में विभाजित कर देता है और क्रॉस बना देता है।
ये इतने दुर्लभ क्यों हैं
- यह पता चला है कि गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग ब्रह्मांड में हर जगह होती है , ज्यादातर तथाकथित “कमजोर लेंसिंग” के रूप में।
- आइंस्टीन क्रॉस बनाने के लिए लेंसिंग बॉडी और प्रकाश स्रोत के सटीक संरेखण की आवश्यकता होती है और खगोलविद इसे “मजबूत गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग” के रूप में संदर्भित करते हैं।
गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग
- यह तब होता है जब एक विशाल आकाशीय पिंड , जैसे कि आकाशगंगा समूह, अपने चारों ओर प्रकाश के पथ को देखने के लिए अंतरिक्ष समय की पर्याप्त वक्रता का कारण बनता है, जैसे कि एक लेंस द्वारा।
- तदनुसार प्रकाश को वक्रित करने वाले पिंड को गुरुत्वाकर्षण लेंस कहा जाता है।
- इस लेंसिंग विकृति का एक महत्वपूर्ण परिणाम आवर्धन है, जो हमें उन वस्तुओं का निरीक्षण करने की अनुमति देता है जो अन्यथा बहुत दूर और देखने में बहुत धुंधली होतीं।