भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण निरसन विनियम, 2023 जारी करके नियामक परिदृश्य को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण
- भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) की स्थापना 20 फरवरी, 1997 को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 द्वारा की गई थी।
- TRAI में एक अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक सदस्य और दो अंशकालिक सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।
TRAI के कार्य
- दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करना, जिसमें दूरसंचार सेवाओं के लिए टैरिफ का निर्धारण/संशोधन शामिल है, जो पहले केंद्र सरकार में निहित थे।
- सेवा की गुणवत्ता और टैरिफ में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- नीतिगत मामलों और लाइसेंसिंग मुद्दों पर सरकार को सलाह देना
- TRAI की सिफारिशें केंद्र सरकार के लिये बाध्यकारी नहीं हैं।
अपीलीय प्राधिकरण
- TRAI अधिनियम को 24 जनवरी 2000 में संशोधित किया गया, जिसने TRAI के न्यायिक और विवादपूर्ण कार्यों को संभालने के लिये एक दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) की स्थापना की।
डायल-अप और लीज्ड लाइन इंटरनेट अभिगम
- डायल-अप इंटरनेट अभिगम, इंटरनेट अभिगम (Internet Access) का एक रूप है जो एक टेलीफोन लाइन के माध्यम से ISP से कनेक्शन स्थापित करने के लिये पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क (Public Switched Telephone Network- PSTN) का उपयोग करता है।
- यह इंटरनेट तक पहुँच का सबसे कम खर्चीला किन्तु सबसे धीमा माध्यम है।
- लीज्ड लाइन इंटरनेट अभिगम एक समर्पित पॉइंट-टू-पॉइंट डेटा सर्किट (Point-to-Point Data Circuit ) है जो गारंटीकृत बैंडविड्थ (Guaranteed Bandwidth) और सममित अपलोड और डाउनलोड गति प्रदान करता है।
- इनका उपयोग आमतौर पर उन व्यवसायों या संगठनों द्वारा किया जाता है जिन्हें अपने संचालन के लिये उच्च-प्रदर्शन तथा विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है।
डायल अप और लीज्ड लाइन इंटरनेट अभिगम का विनियमन
- डायल-अप और लीज्ड लाइन इंटरनेट अभिगम सेवा की गुणवत्ता पर विनियमन 2001, शुरुआत में भारत में बेसिक सर्विस ऑपरेटर्स (Basic Service Operators) और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (Internet Service Provider- ISP) द्वारा प्रदान की जाने वाली इंटरनेट सेवाओं की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिये पेश किया गया था।
- यह विनियमन BSNL, MTNL और VSNL जैसे मौजूदा ऑपरेटरों सहित सभी प्रदाताओं पर लागू होता है।
- जब नियम लागू किये गए थे तो डायल-अप सेवाएँ कम गति वाले इंटरनेट तक पहुँच का प्रमुख साधन थीं। हालाँकि समय के साथ, दूरसंचार नेटवर्क में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं।
- FTTH, LTE और 5G सहित विभिन्न प्रौद्योगिकियों के उद्भव ने उपभोक्ताओं के लिये हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड सेवाओं को व्यापक रूप से उपलब्ध कराया है।
- इसके अतिरिक्त लीज्ड लाइन पहुँच सेवाएँ मुख्य रूप से इंटरनेट गेटवे सेवा प्रदाताओं (IGSP) द्वारा उद्यमों को प्रदान की जाती हैं। ये सेवाएँ, सेवा स्तरीय समझौता (SLA) द्वारा अधिकृत होती हैं।
- SLA के अंतर्गत सेवा गुणवत्ता संबंधित चिंताओं को सुरक्षित रखने के पर्याप्त प्रावधान हैं, जो वर्ष 2001 के विनियमन को वर्तमान संदर्भ में कम प्रासंगिक बनाते हैं।
- भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण निरसन विनियमन, 2023 से इस नियामक बोझ को हटाने से सेवा प्रदाता अत्याधुनिक सेवाएँ प्रदान करने और ग्राहक अनुभवों को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा और नवाचार में वृद्धि हो सकती है, जिससे सेवा गुणवत्ता में वृद्धि, अधिक कवरेज़ और संभावित लागत दक्षता में वृद्धि होगी।