राजस्थान के चार उत्पादों सहित पूरे भारत के सात उत्पादों को चेन्नई में भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री द्वारा भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिया गया।जलेसर धातु शिल्प (धातु शिल्प), गोवा मानकु-राड आम, गोवा बेबिंका, उदयपुर कोफ्तगारी धातु शिल्प, बीकानेर काशीदाकारी शिल्प, जोधपुर बंधेज शिल्प और बीकानेर उस्ता कला शिल्प को जीआई टैग दिया गया है।
मुख्य बिंदु
- गोवा मनकुराड आम के लिए आवेदन ऑल गोवा मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन, पणजी, गोवा द्वारा दायर किया गया था। पुर्तगालियों ने इस आम का नाम मालकोराडा रखा था जिसका अर्थ है ख़राब रंग। यह शब्द समय के परिवर्तन के साथ ‘मानकुराड’ आमो(Aamo) के नाम से जाना जाने लगा। कोंकणी भाषा में आमो (Aamo) का मतलब आम होता है।
- गोवा बेबिंका (Goan Bebinca) के लिए, आवेदन ऑल गोवा बेकर्स एंड कन्फेक्शनर्स एसोसिएशन द्वारा दायर किया गया था।
- बेबिंका एक प्रकार का हलवा है जो एक पारंपरिक इंडो-पुर्तगाली मिठाई है। इसे गोवा की मिठाइयों की रानी के नाम से भी जाना जाता है।
- उत्तर प्रदेश में एटा जिले के जलेसर क्षेत्र में, जलेसर धातु शिल्प बनाने का कार्य 1,200 से अधिक छोटी इकाइयों के द्वारा किया जाता है जो पहले मगध राजा जरासंध की राजधानी थी। जलेसर क्षेत्र सजावटी धातु शिल्प के साथ-साथ पीतल के बर्तन बनाने के लिए भी जाना जाता है।
- राजस्थान के चार अलग-अलग शिल्पों को जीआई टैग दिए गए। उदयपुर कोफ्तगारी धातु शिल्प उनमें से एक था। जीआई कार्यालय को सौंपे गए दस्तावेजों में दिए गए विवरण के अनुसार, उदयपुर के कोफ्तगारी धातु शिल्पकार सजावटी हथियार बनाने में उपयोग की जाने वाली कोफ्तगारी की प्राचीन कला का अभ्यास करने के लिये जाने जाते हैं।
- इन हथियारों पर नक्काशी की उत्कृष्ट डिजाइन बनाने के लिये, इन्हें गर्म करने और फिर ठंडा करने की एक जटिल प्रक्रिया के साथ बनाया जाता है।
- इस धातु में सोने और चांदी के तारों को जोड़ने, इसे दबाने और चंद्रमा के पत्थर का उपयोग करके चिकनी सतह पर चपटा करने और अंत में पॉलिश करने की जटिल प्रक्रिया द्वारा उत्कृष्ट रूप से अलंकृत किया जाता है।
- राजस्थान का दूसरा उत्पाद बीकानेर काशीदाकारी शिल्प था। काशीदाकारी का काम मुख्य रूप से विवाह से जुड़ी वस्तुओं, विशेष रूप से उपहार की वस्तुओं पर किया जाता है, और इसमें दर्पण/शीशा के काम का उपयोग किया जाता है।
- जोधपुर बंधेज शिल्प बांधने और रंगने की राजस्थानी कला है। यह टाई और डाई विधि का उपयोग करके कपड़ों पर विभिन्न पैटर्न मुद्रित करने की कला है।
- बीकानेर उस्ता कला शिल्प को सोने की नक्काशी या सोने की मनौती के काम के रूप में भी जाना जाता है। इससे शिल्प दीर्घायु होता है।
जीआई टैग
- जीआई मुख्य रूप से कृषि, प्राकृतिक या एक निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) हैं, जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है।
- किसी वस्तु या उत्पाद की किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में हुई उत्पत्ति तथा उससे जुड़े गुणों को सूचित करने हेतु जी आई टैग दिया जाता है।
- यह उसी उत्पाद को दिया जाता है जो विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में 10 वर्ष या अधिक समय से निर्मित या उत्पादित किया जा रहा हो।
- जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिए पेरिस समझौते के तहत बौद्धिक संपदा अधिकार के तत्व के रूप में शामिल किया गया है।
जीआई टैग के लाभ
- किसी भी वस्तु या उत्पाद को जीआई टैग प्राप्त होने के पश्चात् कोई भी निर्माता समान उत्पादों को बाज़ार में लाने के लिए नाम का दुरुपयोग नहीं कर सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीआई टैग को डब्ल्यूटीओ के व्यापार संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों के ट्रिप्स समझौते के तहत नियंत्रित किया जाता है।
- भारत में जीआई को वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और सुरक्षा) अधिनियम 1999 के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह अधिनियम 2003 में लागू हुआ।
- पहला जीआई टैग 2004 में दार्जिलिंग चाय को दिया गया।