नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि प्रशांत दशकीय दोलन (पीडीओ) के द्वारा, आने वाले वर्षों में भूमध्य रेखा के पास उत्पन्न होने वाले चक्रवातों की आवृत्ति और अधिक हो सकती है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात या निम्न अक्षांश चक्रवात
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात या निम्न अक्षांश चक्रवात (LLC) 5°N और 11°N के बीच उत्पन्न होते हैं। ये चक्रवात उच्च अक्षांशों की तुलना में आकार में बहुत छोटे होते हैं लेकिन अधिक तीव्र होते हैं।
- भूमध्य रेखा (कम अक्षांश) के पास बनने वाले चक्रवात आमतौर पर दुर्लभ होते हैं लेकिन जब पानी गर्म होता है, तो वे अधिक नमी प्राप्त कर सकते हैं और तीव्रता में वृद्धि कर सकते हैं।
- अधिकांश चक्रवात पश्चिमी प्रशांत महासागर में उत्पन्न होते हैं।
- भारत के पड़ोस में इस तरह का आखिरी बड़ा चक्रवात वर्ष 2017 का चक्रवात ओखी था जिसकी तीव्रता 2000 किमी. से अधिक थी जिसने केरल, तमिलनाडु और श्रीलंका में तबाही मचाई।
- मानसून के बाद का मौसम (अक्तूबर-नवंबर-दिसंबर) में उत्तर हिंद महासागर (NIO) निम्न अक्षांश चक्रवात के लिये एक बड़ा केंद्र है, जो NIO (1951 से) में बने सभी उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का लगभग 60% है, लेकिन इस पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया गया है।
प्रशांत दशकीय दोलन
- प्रशांत दशकीय दोलन (PDO) प्रशांत महासागर का एक दीर्घकालिक समुद्री विपर्यय है। यह एक चक्रीय घटना है जो हर 20-30 वर्षों में दोहराई जाती है और ENSO की तरह इसमें ‘ठंडा’ और ‘गर्म’ चरण होता है।
- सकारात्मक (गर्म) PDO = ठंडा पश्चिमी प्रशांत महासागर और गर्म पूर्वी भाग (नकारात्मक PDO के लिये इसके विपरीत)।
- PDO शब्द लगभग वर्ष 1996 में स्टीवन हेयर द्वारा गढ़ा गया था।
PDO का प्रभाव
- वैश्विक जलवायु पर: PDO चरण का वैश्विक जलवायु पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है, जो प्रशांत और अटलांटिक तूफान गतिविधि, प्रशांत बेसिन के आसपास सूखा एवं बाढ़, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की उत्पादकता तथा वैश्विक भूमि तापमान पैटर्न को प्रभावित कर सकता है।
- चक्रवातों पर: एक गर्म (सकारात्मक-चरणबद्ध) PDO का तात्पर्य कम भूमध्यरेखीय चक्रवातों से है।
- वर्ष 2019 में PDO ने ठंडे, नकारात्मक चरण में प्रवेश किया तथा यदि यह जारी रहा, तो इसका अर्थ है कि मानसून के बाद के महीनों में ऐसे और अधिक चक्रवात उत्पन्न हो सकते हैं।
- ENSO और PDO:
- सकारात्मक PDO वाला ENSO आमतौर पर अच्छा नहीं होता है, हालाँकि नकारात्मक PDO वाला ENSO से भारत में अधिक बारिश होती है।
- यदि ENSO और PDO दोनों एक ही चरण में हैं, तो ऐसा माना जाता है कि अल नीनो/ला नीना का प्रभाव बढ़ सकता है।
PDO बनाम ENSO
- अल नीनो या ला नीना घटनाएँ प्रशांत क्षेत्र में 2-7 वर्षों में दोहराई जाती हैं, हालाँकि PDO के पास लंबे समय तक (दशकीय पैमाने पर) संकेत होते हैं।
- PDO का ‘सकारात्मक’ या ‘गर्म चरण’ समुद्र के तापमान को मापने और वायुमंडल के साथ उनके परस्पर प्रभाव के कई वर्षों के बाद ही जाना जा सकता है (ENSO का चरण किसी भी वर्ष निर्धारित किया जा सकता है)।