रवि. नवम्बर 24th, 2024

भारत के शीर्ष उपभोक्ता निगरानी संगठन, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने हाल ही में डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन, 2023 के लिये दिशा-निर्देश अधिसूचित किये हैं।उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत जारी किये गए ये दिशा-निर्देश उपभोक्ताओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा नियोजित भ्रामक प्रथाओं से बचाने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं।

डार्क पैटर्न

  • डार्क पैटर्न, जिसे भ्रामक पैटर्न के रूप में भी जाना जाता है, वेबसाइट्स और एप्स द्वारा उपयोगकर्त्ताओं को ऐसे कार्य करने के लिये नियोजित रणनीतियों को संदर्भित करता है जो उनका इरादा नहीं है या उन व्यवहारों को हतोत्साहित करता है जो कंपनियों के लिये फायदेमंद नहीं हैं।
  • ये पैटर्न प्रायः संज्ञानात्मक पूर्वाग्रहों का फायदा उठाते हैं और झूठी तात्कालिकता, ज़बरन कार्रवाई, छिपी हुई लागत आदि जैसी रणनीति अपनाते हैं।

डार्क पैटर्न की रोकथाम तथा विनियमन हेतु प्रमुख दिशा-निर्देश

  • ये दिशा-निर्देश उपयोगकर्त्ताओं को भ्रमित करने अथवा विवश करने के लिये डार्क पैटर्न के उपयोग पर रोक लगाते हैं।
  • ये दिशा-निर्देश संस्थाओं से बिक्री बढ़ाने तथा उपयोगकर्त्ताओं को बनाए रखने के लिये नैतिक व उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करते हैं।
  • डार्क पैटर्न के संबंध में ये दिशा-निर्देश विज्ञापनदाताओं तथा विक्रेताओं सहित भारत में वस्तुओं एवं सेवाओं को प्रस्तुत करने वाले सभी प्लेटफाॅर्मों पर लागू होते हैं।
  • ई-कॉमर्स हितधारक, वेबसाइट तथा एप्स इन दिशा-निर्देशों द्वारा स्थापित नियामक ढाँचे के अधीन हैं।

CCPA ने अपनी अधिसूचना में 13 प्रकार के डार्क पैटर्न को रेखांकित किया है जो निम्नलिखित हैं

  • झूठी अत्यावश्यकता: इसका अर्थ है तत्काल खरीदारी हेतु प्रेरित करने के लिये तात्कालिकता या कमी की गलत धारणा पैदा करना अथवा संकेत देना ताकि उपयोगकर्त्ता को तत्काल खरीदारी करने अथवा तत्काल कार्रवाई करने के लिये गुमराह किया जा सके।
  • बास्केट स्नीकिंग: उपयोगकर्त्ता की सहमति के बिना चेकआउट के समय शॉपिंग कार्ट में अतिरिक्त उत्पाद शामिल करना, जिसके परिणामस्वरूप अधिक भुगतान प्राप्त किया जा सके।
  • कन्फर्म शेमिंग: व्यावसायिक लाभ के लिये उपयोगकर्त्ताओं को विशिष्ट कार्यों के लिये प्रेरित करने हेतु डर अथवा शर्म की भावना उत्पन्न करना।
  • ज़बरन कार्रवाई: उपयोगकर्त्ताओं को अतिरिक्त खरीदारी अथवा व्यक्तिगत जानकारी साझा करने जैसी आवश्यक कार्रवाई के लिये विवश करना।
  • सदस्यता जाल: रद्दीकरण को जटिल बनाना, विकल्पों को छिपाना या मुफ्त सदस्यता के लिये भुगतान विवरण को बाध्य करना।
  • इंटरफेस हस्तक्षेप: उपयोगकर्त्ताओं को इच्छित कार्यों से गुमराह करने के लिये कर्त्ताउपयोगकर्त्ता  इंटरफेस में हेर-फेर करना।
  • प्रलोभन और युक्ति: एक निश्चित उत्पाद या सेवा का विज्ञापन देकर प्रायः निम्न गुणवत्ता वाले उत्पाद का वितरण करना।
  • ड्रिप मूल्य निर्धारण: कीमतों छुपाना, पुष्टि के बाद उन्हें प्रकट करना या अतिरिक्त वस्तु खरीदे जाने तक सेवा के उपयोग को रोकना।
  • छद्म विज्ञापन: उपयोगकर्त्ताओं को आकर्षित व प्रेरित करने हेतु विज्ञापनों को अन्य सामग्री के रूप में प्रस्तुत करना।
  • परेशान करना: व्यावसायिक लाभ के लिये उपयोगकर्त्ताओं को बाधित और परेशान करने वाली बातचीत में उलझाना।
  • ट्रिक प्रश्न: उपयोगकर्त्ताओं को गुमराह करने के लिये जान-बूझकर भ्रमित करने वाली भाषा का उपयोग।
  • सास बिलिंग: एक सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर (SaaS) मॉडल में आवर्ती भुगतान उत्पन्न करना।
  • दुष्ट मैलवेयर: नकली मैलवेयर हटाने वाले टूल के भुगतान के लिये उपयोगकर्त्ताओं को गुमराह करने हेतु रैनसमवेयर और स्केयरवेयर का उपयोग करना।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत स्थापित CCPA, उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और बचाव करता है, उपभोक्ता अधिकारों के प्रभावी प्रवर्तन एवं वृद्धि के लिये दिशा-निर्देश जारी करता है।
  • CCPA का उद्देश्य एक वर्ग के रूप में उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना, उनकी सुरक्षा और लागू करना है।
  • इसे उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन की जाँच करने, शिकायत/मुकदमा चलाने, असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेने का आदेश देने, अनुचित व्यापार प्रथाओं एवं भ्रामक विज्ञापनों को बंद करने का आदेश देने, भ्रामक विज्ञापनों के निर्माताओं/समर्थकों/प्रकाशकों पर ज़ुर्माना लगाने का अधिकार होगा।

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