- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने फिर से तैयार किए गए आपराधिक विधेयक पेश किया।
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मौजूदा ब्रिटिश काल के आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए लोकसभा में फिर से तैयार किए गए तीन विधेयक पेश किए।
- नए विधेयकों में संसदीय समिति द्वारा अनुशंसित परिवर्तन शामिल हैं।
- भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक (बीएनएसएस), 2023 भारतीय दंड संहिता 1860 का स्थान लेगा।
- नए बिल के तहत आतंकवादी कृत्य की परिभाषा का विस्तार किया गया है।
- आतंकवादी की परिभाषा में “आर्थिक सुरक्षा” और “भारत या किसी विदेशी देश में भारत की रक्षा के लिए इस्तेमाल की गई या इस्तेमाल की जाने वाली किसी भी संपत्ति की क्षति या विनाश” को आतंकवादी की परिभाषा में शामिल किया गया है।
- नकली भारतीय कागजी मुद्रा, सिक्के या किसी अन्य सामग्री के उत्पादन या तस्करी या संचलन के माध्यम से भारत की मौद्रिक स्थिरता को होने वाली क्षति को भी आतंकवादी अपराध के अंतर्गत शामिल किया गया है।
- विधेयक में सज़ा के तौर पर मौत की सज़ा को बरकरार रखा गया है। इसमें प्रस्ताव है कि पुलिस अधीक्षक रैंक से ऊपर का अधिकारी यह तय करेगा कि यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया जाएगा या नहीं।
- बलात्कार मामले में अदालती कार्यवाही से संबंधित किसी भी मामले को बिना अनुमति के छापना या प्रकाशित करना दंडनीय अपराध बना दिया गया है।
- विधेयक ने “मानसिक बीमारी” को “अस्वस्थ दिमाग” से बदल दिया। इसमें विधेयक की धारा 85 के तहत एक महिला के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना भी अपराध माना गया है।
- भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 क्रमशः भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1898 का स्थान लेंगे।
