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उत्तराखंड कैबिनेट ने समान नागरिक संहिता को मंजूरी दी

समान नागरिक संहिता (UCC) मसौदा रिपोर्ट को उत्तराखंड मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था और इसे अधिनियमन के लिये विधेयक के रूप में 6 फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा में प्रस्तुत किये जाने की संभावना है।UCC मसौदा समिति का नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने किया।

UCC उत्तराखंड के सभी निवासियों, चाहे उनका धर्म, जाति या लिंग कुछ भी हो, के लिये सामान्य कानूनों का एक प्रस्तावित सेट है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 162 स्पष्ट करता है कि किसी राज्य की कार्यकारी शक्ति उन मामलों तक विस्तृत है जिनके संबंध में राज्य के विधानमंडल को कानून निर्माण की शक्ति है। सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची की प्रविष्टि 5 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए, समान नागरिक संहिता (UCC) को क्रियान्वित तथा कार्यान्वित करने के लिये एक समिति के गठन को अधिकार क्षेत्र से बाहर के रूप में चुनौती नहीं दी जा सकती है।समवर्ती सूची की प्रविष्टि 5 “विवाह और तलाक” शिशु तथा नाबालिग; दत्तक ग्रहण, वसीयत, निर्वसीयत एवं उत्तराधिकार, संयुक्त परिवार व विभाजन से संबंधित है, सभी मामले जिनके संबंध में न्यायिक कार्यवाही में पक्ष इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले उनके व्यक्तिगत कानून के अधीन थे।इसका अर्थ यह है कि उत्तराखंड राज्य सरकार अपने क्षेत्र के भीतर UCC अधिनियमित कर सकती है।

उत्तराखंड की UCC मसौदा रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ

उत्तराखंड की UCC मसौदा रिपोर्ट के संबंध में क्या चिंताएं

समान नागरिक संहिता

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