विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट 2024 जारी की।इस रिपोर्ट में 187 देशों के आंकड़ों को लिया गया है।वायरल हेपेटाइटिस से होने वाली मौतों की अनुमानित संख्या वर्ष 2019 के 1.1 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2022 में 1.3 मिलियन हो गई है। इनमें से 83% मौतें हेपेटाइटिस B के कारण और 17% मौतें हेपेटाइटिस C के कारण हुई।हर दिन हेपेटाइटिस B और C संक्रमण के कारण वैश्विक स्तर पर 3,500 लोगों की मृत्यु हो रही है।क्रोनिक हेपेटाइटिस B और C का लगभग 50% संक्रमण 30-54 वर्ष के लोगों में है, 12% 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में है। सभी मामलों में 58% मामले पुरुषों में हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं
भारत में हेपेटाइटिस की स्थिति
भारत में व्यापकता
- भारत वायरल हेपेटाइटिस के सर्वाधिक मामलों वाले देशों में से एक है।
- भारत में अनुमानित 2.9 करोड़ लोग हेपेटाइटिस B से तथा 0.55 करोड़ लोग हेपेटाइटिस C से संक्रमित हैं।
- वर्ष 2022 में भारत में 50,000 से अधिक नए हेपेटाइटिस B मामले एवं हेपेटाइटिस C के 1.4 लाख नए मामले सामने आए।
- इन वायरल हेपेटाइटिस संक्रमणों से वर्ष 2022 में भारत में 1.23 लाख लोगों की मृत्यु हो गई।
भारत में हेपेटाइटिस संक्रमण के कारक
- हेपेटाइटिस B तथा C दोनों संक्रमण विभिन्न माध्यमों से फैलते हैं, जिनमें माँ से बच्चे में संचरण, असुरक्षित रक्त संक्रमण, संक्रमित रक्त के साथ संपर्क एवं दवा उपयोगकर्त्ताओं के बीच सुईयों का लेनदेन करना शामिल है।
- रक्त सुरक्षा प्रोटोकॉल में प्रगति के बावजूद, भारत में माँ से बच्चे में हेपेटाइटिस B का संचरण संक्रमण का प्राथमिक माध्यम बना हुआ है।
निदान और उपचार कवरेज
- भारत में हेपेटाइटिस B के केवल 2.4% मामलों और हेपेटाइटिस C के 28% मामलों का ही निदान किया जाता है।
- सस्ती जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता के बावजूद, हेपेटाइटिस B के लिये 0% तथा हेपेटाइटिस C के लिये 21% उपचार कवरेज और भी कम है।
हेपेटाइटिस के परिणामों में सुधार में बाधाएँ
- राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम की सीमित पहुँच और उपयोग।
- कार्यक्रम के तहत किफायती निदान और उपचार सेवाओं तक पहुँच का विस्तार करने की आवश्यकता है।
- स्वास्थ्य परिणामों और संचरण को कम करने के लिये, बीमारी के चरण की परवाह किये बिना, सभी निदान किये गए व्यक्तियों का उपचार करने की आवश्यकता है।
वैश्विक
मृत्यु दर रुझान
- वायरल हेपेटाइटिस के कारण वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर तपेदिक के बराबर अनुमानित 1.3 मिलियन मौतें हुईं।
- इन मौतें में से 83% हेपेटाइटिस B के कारण, जबकि 17% मौतें हेपेटाइटिस C के कारण हुईं।
- मृत्यु दर में बढ़ोतरी लिवर कैंसर एवं हेपेटाइटिस के कारण होने वाली मौतों में वृद्धि की ओर संकेत करती है।
- नए वायरल हेपेटाइटिस संक्रमणों की संख्या वर्ष 2019 में 2.5 मिलियन से घटकर वर्ष 2022 में 2.2 मिलियन हो गई।
व्यापकता
- वैश्विक स्तर पर, वर्ष 2022 में अनुमानित कुल 304 मिलियन लोग हेपेटाइटिस B और C से पीड़ित थे।
- WHO के अनुमान से पता चलता है कि वर्ष 2022 में 254 मिलियन लोग हेपेटाइटिस B से और 50 मिलियन लोग हेपेटाइटिस C से पीड़ित थे।
- इसमें विशेषकर हेपेटाइटिस B से पीड़ित बच्चे कुल 12% थे।
परीक्षण और उपचार को बढ़ाने में बाधाएँ
- फंडिंग की कमी और सीमित विकेंद्रीकरण ने परीक्षण सेवाओं के विस्तार को प्रतिबंधित कर दिया है।
- कई देश अभी भी उपलब्ध जेनेरिक कीमतों पर हेपेटाइटिस की दवाएँ नहीं खरीद रहे हैं, जिससे इन दवाओं की कीमतें बढ़ रही हैं।
- कुछ देशों में पेटेंट संबंधी बाधाएँ सस्ती हेपेटाइटिस C दवाओं तक पहुँच में बाधा बनी हुई हैं।
हेपेटाइटिस
- हेपेटाइटिस संक्रामक वायरस (वायरल हेपेटाइटिस) और गैर-संक्रामक एजेंटों के कारण होता है, जिससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं, जिनमें से कुछ घातक हो सकती हैं।
- हेपेटाइटिस वायरस के पाँच मुख्य प्रकार हैं: A, B, C, D, व E, इनमें प्रत्येक के संचरण, गंभीरता, भौगोलिक वितरण और रोकथाम के तरीके अलग-अलग हैं।
- B व C लीवर सिरोसिस (ऐसी स्थिति जिसमें लीवर ज़ख्मी तथा स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है), लीवर कैंसर और वायरल हेपेटाइटिस से संबंधित मौतों का सबसे आम कारण है।
- कुछ अन्य प्रकार के हेपेटाइटिस को टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है और टीकाकरण, नैदानिक परीक्षणों, दवाओं एवं शिक्षा अभियानों के माध्यम से 2030 तक अनुमानित 4.5 मिलियन असामयिक मौतों को रोका जा सकता है।
- WHO की वैश्विक हेपेटाइटिस रणनीति का लक्ष्य 2016 से 2030 के बीच नए हेपेटाइटिस संक्रमण को 90% और मौतों को 65% तक कम करना है।
लक्षण एवं गंभीरता
- हेपेटाइटिस A, B, C, D, और E में हल्के या कोई लक्षण नहीं दिख सकते हैं।
- हेपेटाइटिस A, B व C के लक्षणों में बुखार, अस्वस्थता, भूख न लगना, दस्त, मतली, पेट में परेशानी, गहरे रंग का मूत्र और पीलिया शामिल हैं।
- क्रोनिक लिवर संक्रमण, सिरोसिस और लिवर कैंसर हेपेटाइटिस A, B व C के परिणामस्वरूप हो सकता है।
- हेपेटाइटिस D पहले से ही हेपेटाइटिस B से संक्रमित लोगों में पाया जाता है और अधिक गंभीर संक्रमण व सिरोसिस की तीव्र प्रगति का कारण बन सकता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस D दुर्लभ है।
- हेपेटाइटिस E के लक्षणों में हल्का बुखार, भूख में कमी, मतली, उल्टी, पेट में दर्द, खुजली, त्वचा पर लाल चकत्ते, जोड़ों में दर्द, पीलिया, गहरे पीले रंग का मूत्र, पीला मल और हेपेटोमेगाली या तीव्र यकृत विफलता शामिल हैं।