मंगल. जून 25th, 2024

हाल ही में,भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नई दिल्ली में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या के समाधान के लिए अपनाए जा रहे अपर्याप्त उपायों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर ध्यान दिलाया कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 11,000 टन ठोस कचरे में से लगभग 3,800 टन का उचित निपटान नहीं किया जाता है। इस अनुपचारित अपशिष्ट का बड़ा हिस्सा लैंडफिल में जमा हो रहा है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न हो रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने इसे राजनीतिक संघर्षों से दूर रखते हुए तत्काल समाधान की आवश्यकता पर बल दिया है।

भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी मुद्दे

  • ठोस अपशिष्ट में ठोस या अर्द्ध-ठोस घरेलू अपशिष्ट, स्वच्छता अपशिष्ट, वाणिज्यिक अपशिष्ट, संस्थागत अपशिष्ट, खानपान और बाज़ार अपशिष्ट के साथ ही अन्य गैर-आवासीय अपशिष्ट शामिल होते हैं।
  • इसमें सड़क की सफाई, सतही नालियों से एकत्र गाद, बागवानी अपशिष्ट, कृषि और डेयरी अपशिष्ट, उपचारित बायोमेडिकल अपशिष्ट (औद्योगिक, जैव-चिकित्सा एवं ई-अपशिष्ट को छोड़कर), बैटरी तथा रेडियोधर्मी अपशिष्ट शामिल हैं।
  • भारत में विश्व की लगभग 18% जनसंख्या है और यह वैश्विक नगरपालिका अपशिष्ट का 12% हिस्सा उत्पन्न करता है।
  • द एनर्जी एंड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट (The Energy and Resources Institute-TERI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत हर साल 62 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न करता है। लगभग 43 मिलियन टन (70%) एकत्र किया जाता है, जिसमें से लगभग 12 मिलियन टन का निपटान किया जाता है और 31 मिलियन टन लैंडफिल साइट्स पर डंप कर दिया जाता है।
  • बदलते उपभोग प्रतिरूप तथा तीव्र आर्थिक विकास के साथ यह अनुमान लगाया गया है कि शहरी नगरपालिका ठोस अपशिष्ट वर्ष 2030 में बढ़कर 165 मिलियन टन हो जाएगा।

मुद्दे

नियमों का अप्रभावी क्रियान्वयन

  • अधिकांश मेट्रो शहर कूड़ेदानों से भरे पड़े हैं जो या तो पुराने, क्षतिग्रस्त हैं या ठोस अपशिष्ट रखने के लिये अपर्याप्त हैं।
  • एक प्रमुख मुद्दा स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण की कमी है, जिसके कारण ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के उल्लंघन में असंसाधित मिश्रित अपशिष्ट लैंडफिल में प्रवेश कर रहा है।
  • इसके अतिरिक्त कुछ क्षेत्रों में नियमित अपशिष्ट संग्रहण सेवाओं का अभाव है, जिसके कारण अपशिष्ट एकत्र हो जाता है तथा कूड़ा-कचरा फैल जाता है।

डंपिंग साइट्स की समस्या

  • मेट्रो शहरों में अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों को भूमि की कमी का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण अपशिष्ट अनुपचारित रह जाता है तथा अवैध डंपिंग और हितधारक समन्वय की कमी के कारण नगरपालिका अपशिष्ट प्रबंधन जटिल हो जाता है।
  • मेट्रो शहरों में अपशिष्ट-प्रसंस्करण सुविधाओं के बावजूद बड़ी मात्रा में ठोस अपशिष्ट असंसाधित रहता है, जिससे मीथेन उत्सर्जन, लीचेट और लैंडफिल आग जैसे पर्यावरणीय परिसंकट उत्पन्न होते हैं, जो अक्सर पुराने अपशिष्ट में परिवर्तित हो जाते हैं।
  • वर्ष 2019 में शुरू किये गए बायोमाइनिंग प्रयासों को अब वर्ष 2026 तक पूर्ण किये जाने का अनुमान है, जिससे ताज़ा अपशिष्ट का उचित प्रबंधन होने तक पर्यावरणीय प्रभाव लंबे समय तक रहेगा, जिससे लैंडफिल की वृद्धि जारी रहेगी।

डेटा संग्रहण तंत्र का अभाव

  • ऐतिहासिक डेटा (समय शृंखला) या कई क्षेत्रों (पैनल डेटा) पर डेटा के बिना, निजी कंपनियाँ अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं में भाग लेने की संभावित लागत और लाभों का प्रभावी तरीके से आकलन नहीं कर पाती हैं।
  • आँकड़ों की यह कमी निजी संस्थाओं के लिये समग्र बाज़ार आकार और संभावित लाभप्रदता के साथ भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों का आकलन करना चुनौतीपूर्ण बनाती है।
  • औपचारिक और अनौपचारिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली: निम्न आय वाले समुदायों में नगरपालिका अपशिष्ट संग्रहण सेवाओं में कमी देखी जाती है, जिस कारण से अनौपचारिक क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
  • अनौपचारिक तौर पर अपशिष्ट एकत्रित करने वालों को अक्सर अस्वच्छ परिस्थितियों और सुरक्षा उपकरणों की कमी के कारण स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है, कुछ क्षेत्रों में बाल श्रम एक चिंता का विषय है।
  • जनजागरूकता का अभाव: इसके अलावा सामान्यतः सार्वजनिक जागरूकता और उचित अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकों की कमी अनुचित निपटान प्रथाओं और अपशिष्ट के योगदान में वृद्धि करती है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016

  • इन नियमों ने नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2000 को प्रतिस्थापित किया और स्रोत पर कचरे के पृथक्करण, स्वच्छता एवं पैकेजिंग के साथ कचरे के निपटान के लिये निर्माता की ज़िम्मेदारी तथा थोक उत्पादक से संग्रह, निपटान एवं प्रसंस्करण के लिये उपयोगकर्त्ता शुल्क पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रमुख विशेषताएँ

अपशिष्ट उत्पादकों को इसे तीन श्रेणियों में विभाजित करने की ज़िम्मेदारी सौपी गई है:

  • गीला (जैव निम्नीकरण)
  • सूखा (प्लास्टिक, कागज़, धातु, लकड़ी आदि)
  • घरेलू खतरनाक अपशिष्ट (डायपर, नैपकिन, सफाई एजेंटों के खाली कंटेनर, मच्छर प्रतिरोधी आदि) और पृथक किये गए अपशिष्ट को अधिकृत रूप से अपशिष्ट एकत्रित करने वालों अथवा अपशिष्ट संग्रहकर्त्ताओं या स्थानीय निकायों को सौंप देना चाहिये।

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