भारत सरकार के स्वामित्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी, ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने झारखंड के जामताड़ा जिले में कस्ता कोयला ब्लॉक में यथास्थान भूमिगत कोयला गैसीकरण के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है। खदान से कोयला नहीं निकाला जाएगा और कोयला गैसीकरण की प्रक्रिया खदान के भीतर ही होगी।यदि परियोजना सफल होती है, तो यह भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी अवसर पैदा करेगी। यह देश के कोयला संसाधनों के दीर्घकालिक टिकाऊ और कुशल उपयोग को प्रदर्शित करेगी।
भूमिगत कोयला गैसीकरण पायलट परियोजना
- केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने 2015 में देश के कोयला और लिग्नाइट वाले क्षेत्रों के लिए भूमिगत कोयला गैसीकरण नीति को मंजूरी दी थी।
- कस्ता कोयला ब्लॉक को इस पायलट परियोजना के लिया चुना गया था।
- यह परियोजना कोल इंडिया लिमिटेड अनुसंधान और विकास बोर्ड द्वारा वित्त पोषित है।
- ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ,सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) रांची और कनाडा की कंपनी एर्गो एक्सर्जी टेक्नोलॉजीज इंक के सहयोग से इस परियोजना को कार्यान्वित कर रही है।
- पायलट प्रोजेक्ट, जिसे 22 जून 2024 को शुरू किया गया था, दो साल की अवधि में दो चरणों में लागू किया जाएगा।
कोयला गैसीकरण परियोजना का उद्देश्य
- परियोजना का लक्ष्य यह साबित करना है कि कोयला-युक्त स्थल पर भूमिगत गैसीकरण आर्थिक रूप से व्यवहार्य है।
- यह कोयले को मीथेन, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी मूल्यवान गैसों में बदल देगा।
- इन गैसों का उपयोग सिंथेटिक प्राकृतिक गैस, ईंधन, उर्वरक, विस्फोटक और अन्य औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए रासायनिक फीडस्टॉक का उत्पादन करने के लिए किया जाएगा।
- भारत को भूमिगत कोयला गैसीकरण क्षेत्र में अग्रणी बनाना।
ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड
- ईस्टर्न कोल लिमिटेड कोल इंडिया लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है। यह पश्चिम बंगाल और झारखंड के कोयला क्षेत्र में सक्रिय है।
- यह पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान, पुरुलिया और बांकुरा जिलों में स्थित रानीगंज कोयला क्षेत्र को संचालित करता है।
- यह झारखंड राज्य के धनबाद, देवघर और गोड्डा जिलों में स्थित सहरजुरी कोयला क्षेत्रों और राजमहल कोयला क्षेत्रों का संचालन करता है।
- ईस्टर्न कोलफील्ड का इतिहास 1774 में अंग्रेजों द्वारा रानीगंज कोयला क्षेत्रों में कोयला खनन की शुरुआत से देखा जाता है।