- सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत को 2023-24 में सिंगापुर से सबसे अधिक एफडीआई प्राप्त हुआ।
- हालांकि, 2023-24 में सिंगापुर से एफडीआई 31.55% घटकर 11.77 बिलियन डॉलर रह गया है।
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण भारत में एफडीआई प्रवाह में लगभग 3.5% की गिरावट आई है।
- वित्त वर्ष 2024 में मॉरीशस, सिंगापुर, यू.एस., यू.के., यूएई, केमैन आइलैंड्स, जर्मनी और साइप्रस जैसे देशों से एफडीआई इक्विटी प्रवाह में गिरावट आई।
- नीदरलैंड और जापान से निवेश बढ़ा।
- 2018-19 से भारत के लिए एफडीआई निवेश का सबसे बड़ा स्रोत सिंगापुर रहा है।
- 2017-18 में भारत को मॉरीशस से सबसे अधिक एफडीआई प्राप्त हुआ।
- भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 2023-24 में 3.49% घटकर 44.42 बिलियन डॉलर रह गया।
- 2023-24 के दौरान कुल एफडीआई एक प्रतिशत घटकर 70.95 बिलियन डॉलर रह गया।
- कुल एफडीआई में इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल हैं। 2021-22 में भारत को अब तक का सबसे अधिक 84.83 बिलियन डॉलर का एफडीआई प्रवाह मिला।
- सेवाओं, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, ट्रेडिंग, दूरसंचार, ऑटोमोबाइल, फार्मा और रसायन जैसे क्षेत्रों में एफडीआई प्रवाह में गिरावट आई है।
- निर्माण (बुनियादी ढांचा) गतिविधियों, विकास और बिजली क्षेत्रों में प्रवाह में वृद्धि दर्ज की गई है।
- पिछले वित्त वर्ष में मॉरीशस से एफडीआई घटकर 7.97 बिलियन डॉलर रह गया।
- मॉरीशस दूसरा सबसे बड़ा निवेशक था। 2023-24 में अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक था। इसके बाद नीदरलैंड, जापान, यूएई, यूके, साइप्रस, जर्मनी और केमैन आइलैंड्स का स्थान था।
- अप्रैल 2000 से मार्च 2024 के दौरान भारत को मिले कुल एफडीआई में मॉरीशस की हिस्सेदारी 25% है। सिंगापुर की हिस्सेदारी 24% है, जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी 10% है।
