शनि. जून 29th, 2024

वर्ष 1898 के 125 साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम के स्थान पर नया डाकघर अधिनियम 18 जून 2024 से लागू हो गया। इसे वर्ष 2023 के दिसंबर माह में ही राज्यसभा और लोकसभा से पारित किया गया था।

डाकघर अधिनियम 2023 की मुख्य विशेषताएँ

वस्तुओं का अवरोधन और निरोध

  • धारा 9: यह प्रावधान केंद्र को किसी भी अधिकारी को राज्य सुरक्षा, विदेशी संबंध आदि से संबंधित कारणों से किसी भी डाक वस्तु को रोकने या रोकने के लिये अधिकृत करने की अनुमति देता है।
  • जिन वस्तुओं में प्रतिबंधित सामान होने का संदेह हो या जिन पर सीमा शुल्क लगने का संदेह हो, उन्हें सीमा शुल्क प्राधिकारियों को सौंपा जा सकता है।

दायित्व से छूट

  • धारा 10: डाकघर और उसके अधिकारियों को सेवाएँ प्रदान करने के दौरान हानि, गलत वितरण, देरी या क्षति के लिये देयता से छूट दी गई है, सिवाय जैसा कि निर्धारित किया गया हो।
  • दंड और अपराधों का उन्मूलन: नया अधिनियम 1898 के अधिनियम में उल्लिखित सभी दंड और अपराधों को समाप्त कर देता है, जिनमें डाक अधिकारियों द्वारा कदाचार, धोखाधड़ी तथा चोरी से संबंधित दंड एवं अपराध भी शामिल हैं।इसमें भुगतान न किये गए सेवा शुल्क को भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूलने का प्रावधान शामिल है।
  • धारा 7 के अंतर्गत ज़ुर्माना: प्रत्येक व्यक्ति जो डाकघर द्वारा प्रदान की गई सेवा का लाभ उठाता है, उसे ऐसी सेवा के संबंध में शुल्क का भुगतान करना होगा।
  • केंद्र की विशिष्टता को हटाना: नया अधिनियम पत्रों को पहुँचाने के लिये केंद्र के विशेषाधिकार को हटा देता है, यह विशेषाधिकार 1980 के दशक में निजी कूरियर सेवाओं के उदय के कारण प्रभावी रूप से अप्रचलित हो गया था।यह अधिनियम अब स्पष्ट रूप से निजी कूरियर सेवाओं को अपने विनियामक दायरे में लाता है तथा सरकार की विशिष्टता की हानि को मान्यता देता है और साथ ही केवल पत्रों को ही नहीं, बल्कि किसी भी डाक सामग्री को बंद एवं रोकने के दायरे का विस्तार करता है।
  • डाक सेवा महानिदेशक: नया अधिनियम डाक सेवा के महानिदेशक को विभिन्न अतिरिक्त सेवाएँ प्रदान करने के लिये आवश्यक गतिविधियों से संबंधित विनियम बनाने के लिये अधिकृत करता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जा सकता है, साथ ही इन सेवाओं हेतु शुल्क निर्धारित करने के लिये भी अधिकृत करता है।यह विधेयक डाकघरों द्वारा प्रदान की जाने वाली किसी भी सेवा के लिये निर्धारित शुल्क में संशोधन करते समय संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता को समाप्त कर देता है।
  • पहचानकर्त्ता एवं पोस्ट कोड: अधिनियम की धारा 5(1) में कहा गया है कि “केंद्र सरकार वस्तुओं पर पते, पता पहचानकर्त्ता एवं पोस्ट कोड के उपयोग के लिये मानक निर्धारित कर सकती है”।यह प्रावधान एक दूरदर्शी अवधारणा है और साथ ही किसी परिसर की सटीक पहचान के लिये भौगोलिक निर्देशांक के आधार पर भौतिक पते को डिजिटल कोड से परिवर्तित कर देगा।

भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898

  • यह भारत में डाकघरों से संबंधित कानून को समेकित एवं संशोधित करने के उद्देश्य से 1 जुलाई 1898 को लागू हुआ।
  • यह केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली डाक सेवाओं के विनियमन का प्रावधान करता है।
  • यह केंद्र सरकार को पत्रों के संप्रेषण पर विशेष विशेषाधिकार प्रदान करता है और साथ ही पत्रों के संप्रेषण पर केंद्र सरकार का एकाधिकार स्थापित करता है।

डाकघर अधिनियम 2023 में मुद्दे

  • डाक सेवाओं का विनियमन कूरियर सेवाओं से भिन्नताएँ: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भारतीय डाक द्वारा सेवाओं पर लागू नहीं होता है, लेकिन यह निजी कूरियर सेवाओं पर लागू होता है। डाकघर अधिनियम, 2023 जो वर्ष 1898 के अधिनियम को प्रतिस्थापित करने का प्रयास कर रहा है, वह इन प्रावधानों को बनाए रखता है।
  • प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के अभाव से मूल अधिकारों का उल्लंघन: विधेयक में डाक वस्तुओं के  अंतर्रोधन के विरुद्ध कोई प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय निर्दिष्ट नहीं किया गया है। इससे निजता के अधिकार और वाक् एवं अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
  • दूरसंचार के अंतर्रोधन के मामले में पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (PUCL) बनाम भारत संघ (1996) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि अंतर्रोधन की शक्ति को विनियमित करने के लिये एक उचित एवं सम्यक प्रक्रिया मौजूद होनी चाहिये।
  • अन्यथा अनुच्छेद 19(1)(a) (वाक् एवं अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य) और अनुच्छेद 21 (प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार के एक भाग के रूप में निजता का अधिकार) के तहत नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना संभव नहीं होगा।
  • ‘आपातकाल’ का आधार उचित प्रतिबंधों से परे है: 1898 अधिनियम की ही तरह, वर्तमान अधिनियम में आपातकाल को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।
  • सेवाओं में चूक की दशा में दायित्व से छूट: अधिनियम के तहत प्रदत्त रूपरेखा रेलवे के मामले में लागू कानून के विपरीत है, जिसमें रेलवे दावा अधिकरण अधिनियम, 1987 के माध्यम से माल की हानि, क्षति, डिलीवरी न होने और किराया वापसी जैसी शिकायतों का समाधान किया जाता है।
  • सभी अपराधों और दंडों को हटाना: वर्ष 1898 के अधिनियम के तहत, डाक अधिकारी द्वारा डाक वस्तुओं को अवैध रूप से खोलना दो वर्ष तक की कैद, ज़ुर्माना या दोनों से दंडनीय था। इसके विपरीत, वर्ष 2023 के अधिनियम के तहत ऐसे कृत्यों के विरुद्ध कोई दंड नहीं होगा। इससे व्यक्तियों की निजता के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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