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समुद्र की गहराई में मिली “डार्क” ऑक्सीजन

वैज्ञानिकों ने महासागरीय तल पर  “डार्क ऑक्सीजन” की खोज की है। जाहिर तौर पर इसका उत्पादन महासागरीय तल पर बिखरे पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स धातु के ढेरों से होता है।नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक हालिया रिसर्च स्टडी से पता चलता है कि प्रशांत महासागर के क्लेरियन-क्लिपरटन ज़ोन (CCZ) के समुद्र तल पर समुद्र की सतह से 4,000 मीटर नीचे बिखरे खनिज भंडार से ऑक्सीजन उत्पादित होती है।क्लेरियन-क्लिपरटन ज़ोन में , कोयले जैसी खनिज चट्टानें हैं, जिन्हें पॉलीमेटेलिक नोड्यूल कहा जाता है, जिनमें आमतौर पर मैंगनीज और लोहा होता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि ये नोड्यूल प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) की प्रक्रिया के बिना ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।समुद्र में इतनी गहराई पर, जहाँ कोई सूर्य का प्रकाश प्रवेश नहीं कर सकता है, ऑक्सीजन, धातु के “नोड्यूल्स” द्वारा उत्पादित होती है। ये धातु समुद्री जल (H2O) को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करती है।बता दें कि दुनिया की लगभग आधी ऑक्सीजन समुद्र से आती है, लेकिन वैज्ञानिकों का पहले मानना था कि यह पूरी तरह से समुद्री पौधों द्वारा सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके प्रकाश संश्लेषण के लिए बनाई जाती है। भूमि पर पौधे भी इसी प्रक्रिया का उपयोग करते हैं, जहाँ वे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।

ऑक्सीजन एक ऐसी गैस है जो ग्रह पर जीवन को संभव बनाती है। यह एक सुस्थापित तथ्य है कि मनुष्य और कई अन्य जानवर ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, जिससे श्वसन का एक चक्र बनता है।हालाँकि, यह मानना ​​गलत हो सकता है कि ग्रह का सारा ऑक्सीजन केवल भूमि पर मौजूद है।

डार्क ऑक्सीजन

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