शनि. जुलाई 6th, 2024

संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन  के अंतर्गत आने वाली एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण  ने अपनी 30वीं वर्षगाँठ मनाई।इसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय जल में निर्जीव समुद्री संसाधनों के अन्वेषण और उपयोग की देख-रेख के लिये की गई थी।

ISA के संबंध में मुख्य तथ्य

  • यह एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) और UNCLOS के भाग XI के कार्यान्वयन से संबंधित 1994 के समझौते के तहत की गई थी।
  • मुख्यालय: किंग्स्टन, जमैका।
  • सदस्य: 168 सदस्य राज्य (भारत सहित) और यूरोपियन यूनियन।
  • इसके अधिकार क्षेत्र में विश्व के महासागरों के कुल क्षेत्रफल का लगभग 54% हिस्सा शामिल है।
  • ISA गहरे समुद्र में होने वाली गतिविधियों के हानिकारक प्रभावों से समुद्री पर्यावरण की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

जनादेश

  • सभी अन्वेषण गतिविधियों और गहरे समुद्र में खनिजों के दोहन के संचालन को विनियमित करना।
  • गहरे समुद्र तल से संबंधित गतिविधियों के हानिकारक प्रभावों से समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा।
  • समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करें।

भारत एवं ISA

18 जनवरी 2024 को भारत ने हिंद महासागर के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में अन्वेषण के लिये दो आवेदन प्रस्तुत किये।

  • हिंद महासागर कटक (कार्ल्सबर्ग रिज) में पॉलीमेटेलिक सल्फाइड।
  • मध्य हिंद महासागर में अफानसी-निकितिन सीमाउंट की कोबाल्ट-समृद्ध फेरोमैंगनीज़ परतें।

वर्तमान में भारत के पास हिंद महासागर में अन्वेषण के लिये दो अनुबंध हैं।

  • मध्य हिंद महासागर बेसिन और रिज में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल तथा सल्फाइड।

सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS)

  • ‘समुद्री कानून संधि’, जिसे औपचारिक रूप से समुद्री कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) के रूप में जाना जाता है, को वर्ष 1982 में महासागरीय क्षेत्रों पर अधिकार क्षेत्र की सीमाएँ स्थापित करने के लिये अपनाया गया था।
  • इस अभिसमय में आधार रेखा से 12 समुद्री मील की दूरी को प्रादेशिक समुद्री सीमा तथा 200 समुद्री मील की दूरी को अनन्य आर्थिक क्षेत्र सीमा के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • इसमें विकसित देशों से अविकसित देशों को प्रौद्योगिकी तथा धन हस्तांतरण का प्रावधान है और साथ ही इसमें शामिल पक्षों से समुद्री प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये नियमों एवं कानूनों को लागू करने की अपेक्षा भी की गई है।
  • भारत ने वर्ष 1982 में UNCLOS पर हस्ताक्षर किये।

UNCLOS के तहत तीन नए संस्थान

  1. समुद्री कानून पर अंतर्राष्ट्रीय अधिकरण: यह एक स्वतंत्र न्यायिक निकाय है जिसकी स्थापना UNCLOS के संदर्भ में उत्पन्न होने वाले विवादों को सुलझाने के लिये की गई है।
  2. अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण: यह महासागरों के निर्जीव संसाधनों की खोज एवं दोहन को विनियमित करने हेतु स्थापित एक संयुक्त राष्ट्र निकाय है।
  3. महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं से संबंधित आयोग: यह 200 समुद्री मील से परे महाद्वीपीय शेल्फ की बाहरी सीमाओं की स्थापना के संबंध में समुद्री कानून (अभिसमय) पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के कार्यान्वयन से संबंधित है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Login

error: Content is protected !!