बुध. अप्रैल 2nd, 2025 9:29:32 AM
  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कोडरमा, झारखंड में आयोजित एक कार्यक्रम में झारखंड की अभ्रक खदानों को ‘बाल श्रम-मुक्त’ घोषित किया।
  • भारत में 14 वर्ष तक की आयु के कामकाजी बच्चों को बाल श्रमिक कहा जाता है।
  • अभ्रक एक चमकदार, पारभासी खनिज है जिसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और निर्माण जैसे विभिन्न उद्योगों में किया जाता है।
  • यह झारखंड के कोडरमा और गिरिडीह जिलों में प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। कोडरमा को कभी भारत की अभ्रक राजधानी या अभ्रक नगरी कहा जाता था।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) एक वैधानिक निकाय है जिसे बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया था।
  • एनसीपीसीआर, 2007 में अस्तित्व में आया।
  • एनसीपीसीआर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है।
  • एनसीपीसीआर की स्थापना संविधान और देश के अन्य कानूनों में दिए गए बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए की गई है ।
  • एनसीपीसीआर को शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण ( पीओसीएसओ) अधिनियम 2012 द्वारा प्रदान किए गए बच्चों के अधिकारों को भी सुनिश्चित करना है।
  • एनसीपीसीआर द्वारा 18 वर्ष तक के बच्चों को बच्चा माना जाता है।
  • एनसीपीसीआर में  एक अध्यक्ष और 6 सदस्य होते हैं, जिनमें से दो सदस्य महिलाएँ होती हैं ।
  • अध्यक्ष: प्रियांक कानूनगो

अभ्रक का उत्पादन

  • चीन विश्व में अभ्रक का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  • भारत दुनिया में अभ्रक का आठवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  • भारत दुनिया में अभ्रक का सबसे बड़ा निर्यातक देश है, उसके बाद चीन है।
  • भारत में आंध्र प्रदेश सबसे बड़ा अभ्रक उत्पादक राज्य है, उसके बाद राजस्थान है।

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