सोम. मार्च 24th, 2025 6:37:45 PM

मैग्नेटोफॉसिल्स मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित चुंबकीय कणों के जीवाश्म अवशेष लद्दाख में रॉक वार्निश परतों में देखे गए हैं। रॉक वार्निश एक गहरे भूरे से लेकर काले रंग की परत होती है जो शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में स्थिर, उपवायुमण्डलीय रूप से अनावृत चट्टानी सतहों को ढक लेती है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

  • लद्दाख से प्राप्त रॉक वार्निश नमूनों के विश्लेषण से वार्निश सतह पर ऑक्सीकृत मैंगनीज (Mn4+) और कार्बोक्जिलिक एसिड कार्यक्षमता की उच्च सांद्रता की पहचान की गई, जो कार्बनिक उपस्थिति का संकेत देती है।
  • इन निष्कर्षों से पता चलता है कि संभावित मार्टियन एनालॉग साइट, लद्दाख के रॉक वार्निश में जैविक स्रोतों से प्राप्त चुंबकीय खनिजों की समृद्ध सांद्रता शामिल है।
  • चुंबकीय खनिज वे होते हैं जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का रिकॉर्ड तब से सुरक्षित रखते हैं जब वे निर्मित हुए थे और ये चट्टानों, तलछटों एवं मृदा में पाए जा सकते हैं।

महत्त्व

  • यह अध्ययन खगोल-जीव विज्ञान के लिये बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि विषम वातावरण (जैसे कि लद्दाख जिसे “भारत का ठंडा रेगिस्तान” कहा जाता है) में जीवन किस प्रकार विद्यमान रह सकता है।
  • यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा मंगल अन्वेषण सहित भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों की योजना बनाने हेतु महत्त्वपूर्ण है, जहाँ रहने योग्य वातावरण की पहचान करना एक प्राथमिक लक्ष्य है।
  • रॉक वार्निश में जैविक उपस्थिति की पहचान करके, वैज्ञानिक मंगल ग्रह और अन्य ग्रह निकायों पर संभावित जैव-प्रमाणों/बायोसिग्नेचर (Biosignature) को बेहतर ढंग से लक्षित कर सकते हैं, जिससे अलौकिक जीवन/एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल लाइफ (Extraterrestrial Life) की खोज में सहायता मिल सकती है।
  • बायोसिग्नेचर कोई भी गुण, तत्त्व, अणु, पदार्थ या विशेषता है जिसका उपयोग पिछले या वर्तमान जीवन के साक्ष्य के रूप में किया जा सकता है।

मैग्नेटोफॉसिल्स

  • “मैग्नेटोफॉसिल्स” मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया (Magnetotactic Bacteria) के जीवाश्म अवशेषों को संदर्भित करता है जिनमें चुंबकीय खनिज होते हैं।
  • मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड में जीवाश्म युक्त चुंबकीय कण उत्सर्जित करते हैं।

मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया

  • मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया ज़्यादातर प्रोकैरियोटिक जीव होते हैं जो स्वयं को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ व्यवस्थित करते हैं। इसकी खोज वर्ष 1963 में साल्वाटोर बेलिनी ने की थी।
  • ये जीव उन स्थानों तक पहुँचने के लिये चुंबकीय क्षेत्र का अनुसरण करते हैं जहाँ इष्टतम ऑक्सीजन सांद्रता होती है। यह प्रक्रिया उनकी कोशिकाओं के भीतर लौह-समृद्ध क्रिस्टल की उपस्थिति से सुगम होती है।
  • मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया जल निकायों में बदलते ऑक्सीजन स्तर और तलछट संतृप्ति को नेविगेट करने के लिये अपनी कोशिकाओं के भीतर मैग्नेटाइट या ग्रेगाइट के छोटे क्रिस्टल बनाते हैं।
  • मैग्नेटोटैक्टिक बैक्टीरिया के भीतर क्रिस्टल मैग्नेटोटैक्सिस के माध्यम से एक शृंखला विन्यास में व्यवस्थित होते हैं।
  • दुर्लभ विशाल मैग्नेटो जीवाश्म पारंपरिक चुंबकीय जीवाश्मों की तुलना में इतने सामान्य नहीं हैं, ये संभवतः बैक्टीरिया के बजाय यूकेरियोट्स द्वारा निर्मित होते हैं।

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