महाराष्ट्र सरकार ने शहरी क्षेत्रों में नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए एक नया विधेयक पेश किया।भारत में नक्सलवाद की स्थिति: वर्ष 2018 से 2023 की अवधि के दौरान वामपंथी उग्रवाद से संबंधित 3,544 घटनाएँ घटित हुईं जिनमें 949 लोगों की मृत्यु हुई।
शहरी नक्सलवाद: ‘शहरी नक्सल’ या ‘अर्बन नक्सल’ शब्द माओवादी रणनीति पर आधारित है, जिसके तहत वे नेतृत्व, जनता को संगठित करने और कार्मिक तथा बुनियादी ढाँचा उपलब्ध कराने जैसे सैन्य कार्यों के लिये शहरी क्षेत्रों की ओर अग्रसर होते हैं। यह रणनीति CPI (माओवादी) के “शहरी परिप्रेक्ष्य” नामक डॉक्यूमेंट पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि इस रणनीति का ध्यान मज़दूर वर्ग को संगठित करने पर होना चाहिये, जो “हमारी क्रांति का नेतृत्व” है।यद्यपि, शहरी नक्सल या अर्बन नक्सल शब्द की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है।
महाराष्ट्र विशेष लोक सुरक्षा विधेयक, 2024 के प्रावधान
- सरकार का कहना है कि नक्सलवाद, जो परंपरागत रूप से दूर-दराज़ के क्षेत्रों तक ही सीमित रहा है, अब उन अग्रणी संगठनों के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में घुसपैठ कर रहा है जो सशस्त्र नक्सली कैडरों के लिये रसद (लॉजिस्टिक्स) और सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं।
- विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA-मकोका) सहित मौजूदा कानून इस उभरते खतरे से निपटने के लिये अपर्याप्त प्रतीत होते हैं।
- MSPS विधेयक छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के समान कानूनों के आधार पर तैयार किया गया है, जिन्होंने नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिये लोक सुरक्षा अधिनियम लागू किये हैं।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- सरकार किसी भी संगठन को उसकी गतिविधियों के आधार पर विधिविरुद्ध (unlawful) घोषित कर सकती है।
- विधेयक में विधिविरुद्ध संगठनों से संबंधित चार मुख्य अपराधों की रूपरेखा दी गई है: सदस्य बनना, धन जुटाना, प्रबंधन करना और विधिविरुद्ध गतिविधियों में सहायता करना।
- दंड के रूप में 2-7 वर्ष के लिये कारावास तथा 2-5 लाख रुपए के बीच ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- विधेयक के अंतर्गत अपराध संज्ञेय (cognisable)- जिनमें बिना वारंट के गिरफ्तारी की अनुमति होती है तथा गैर-ज़मानती (non-bailable) होते हैं।
- विधेयक ज़िला मजिस्ट्रेटों या पुलिस आयुक्तों को आवश्यक अनुमोदन प्रदान करने की अनुमति देकर, उच्च प्राधिकारियों से अनुमोदन की आवश्यकता को नज़रअंदाज़ करते हुए, त्वरित अभियोजन को सक्षम बनाता है।
UAPA से तुलना
- जहाँ UAPA विधिविरुद्ध क्रियाकलापों को भी लक्षित करता है वहीं MSPS विधेयक “विधिविरुद्ध क्रियाकलाप” की परिभाषा का विस्तार करता है ताकि उन कृत्यों को शामिल किया जा सके जो लोक व्यवस्था एवं कानून के प्रशासन में हस्तक्षेप करते हैं तथा जनता के बीच भय पैदा करते हैं।
- UAPA की परिभाषाओं को वर्षों से न्यायिक व्याख्या द्वारा परिष्कृत किया गया है, जबकि MSPS विधेयक की परिभाषाएँ स्पष्ट रूप से व्यापक हैं।
- इसके अलावा, MSPS विधेयक अभियोजन प्रक्रिया को सरल बनाता है, जिसके बारे में सरकार का तर्क है कि इससे देरी कम होगी और प्रवर्तन में सुधार होगा।
विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम
- विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 को व्यक्तियों और संगठनों के कुछ विधिविरुद्ध क्रिया-कलापों के अधिक प्रभावी रोकथाम, आतंकवादी गतिविधियों तथा उनसे संबंधित मामलों से निपटने के लिये अधिनियमित किया गया था।
- विधिविरुद्ध क्रियाकलापों को भारत के किसी भी हिस्से के हस्तांतरण या अलगाव का समर्थन करने अथवा उसे उकसाने वाली कार्रवाइयों या इसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर प्रश्न-चिह्न लगाने या उसका अनादर करने वाली कार्रवाइयों के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) को UAPA द्वारा देश भर में मामलों का अन्वेषण करने तथा मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया है।
- इसमें कई संशोधन किये गए (वर्ष 2004, 2008, 2012 और 2019 में) जिसमें आतंकवादी वित्तपोषण, साइबर आतंकवाद, किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने तथा संपत्ति की ज़ब्ती से संबंधित प्रावधानों का विस्तार किया गया।