भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) दिसंबर 2023 में संसद में पारित किए गए थे।
वे क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे।
तीन नए आपराधिक कानूनों को 21 दिसंबर, 2023 को संसद की मंजूरी मिली।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर, 2023 को स्वीकृति दी।
वे सजा के बजाय न्याय पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उनका उद्देश्य त्वरित न्याय प्रदान करना है।
भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएँ (आईपीसी में 511 धाराओं के बजाय) होंगी।
बिल में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं। इनमें से 33 के लिए कारावास की सजा बढ़ा दी गई है।
23 अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है।
छह अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।
यौन अपराधों से निपटने के लिए भारतीय न्याय संहिता ने “महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध” शीर्षक से एक नया अध्याय जोड़ा है।
सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों में 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान है तथा 18 वर्ष से कम आयु की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार को अपराध की नई श्रेणी में रखा गया है।
पहली बार भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद को परिभाषित किया गया है। इसे दंडनीय अपराध बनाया गया है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएँ (सीआरपीसी में 484 धाराओं के बजाय) होंगी।