- सीआईटीईएस ने भारत से अगरवुड के निर्यात को आसान बनाया।
- वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के महत्वपूर्ण व्यापार (RST) की समीक्षा में, भारत ने एक्विलारिया मैलाकेंसिस (अगरवुड) को सीआईटीईएस में शामिल किए जाने से सफलतापूर्वक रोका।
- सीआईटीईएस ने अप्रैल 2024 से भारत से एक्विलारिया मैलाकेंसिस (अगरवुड) की अत्यधिक मूल्यवान और सुगंधित रालयुक्त लकड़ी और तेल के नए निर्यात कोटा को अधिसूचित किया है।
- अगरवुड की खेती पूर्वोत्तर राज्यों असम, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा में की जाती है।
- पहली बार, एक्विलारिया मैलाकेंसिस को 1995 में सीआईटीईएस के परिशिष्ट II में सूचीबद्ध किया गया था।
- 2024-2027 के लिए, एनडीएफ द्वारा अनुशंसित निर्यात कोटा अगरवुड चिप्स और पाउडर/चूरा 1,51,080 किलोग्राम/वर्ष और अगरवुड तेल 7,050 किलोग्राम/वर्ष है।
- अध्ययन के अनुसार, भारत में अगरवुड के 13.989 करोड़ पौधे मौजूद हैं।
- अगरवुड का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है जैसे कि सुगंध उद्योग में, दवाइयों की तैयारी में, एयर फ्रेशनर और प्यूरीफायर में।
