भारत ने 2024-25 के लिए एशियाई आपदा तैयारी केंद्र (एडीपीसी) के अध्यक्ष का पदभार संभाला और वैश्विक एवं क्षेत्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।एडीपीसी एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जलवायु लचीलेपन पर केंद्रित है ।इसकी स्थापना भारत और आठ पड़ोसी देशों: बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, श्रीलंका और थाईलैंड द्वारा की गई थी।भारत ने इस अध्यक्षता का पद चीन से ग्रहण किया है, जो वर्ष 2023-24 में इस एशियाई आपदा तैयारी केंद्र का अध्यक्ष था। भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विभागाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने एशियाई आपदा तैयारी केंद्र की अध्यक्षता संभाली है। बैंकॉक में 25 जुलाई, 2024 को आयोजित हुए एशियाई आपदा तैयारी केंद्र की 5वीं बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक की अध्यक्षता भी राजेंद्र सिंह ने ही किया है।
एशियाई आपदा तैयारी केंद्र
एशियाई आपदा तैयारी केंद्र (ADPC) की स्थापना का मुख्य उद्देश्य
- एशियाई आपदा तैयारी केंद्र की स्थापना 1986 में एक गैर-लाभकारी, स्वायत्त, क्षेत्रीय संगठन के रूप में की गई थी।
- इस केंद्र का उद्देश्य एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जलवायु लचीलेपन के निर्माण में क्षेत्रीय सहयोग और कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करना है।
एशियाई आपदा तैयारी केंद्र (ADPC) का मुख्य कार्य और भूमिका
- एशियाई आपदा तैयारी केंद्र (ADPC) एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो विशेष रूप से एशिया और प्रशांत क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर केंद्रित है।
- यह केंद्र प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के मौजूदा और उभरते नकारात्मक प्रभावों को संबोधित करने के लिए एक सुसंगत तंत्र प्रदान करता है।
एशियाई आपदा तैयारी केंद्र द्वारा शुरू किया गया विशेष पहल और समर्थन
- एशियाई आपदा तैयारी केंद्र (ADPC) जलवायु लचीलेपन और शहरी लचीलेपन पर वैश्विक पहल का समर्थन करता है।
- इसका मुख्य उद्देश्य आपदाओं के प्रति मानवीय प्रतिक्रिया को अत्यंत प्रभावी बनाना है, जिससे समाज और क्षेत्रीय समुदाय बेहतर तैयारी और प्रतिक्रिया तंत्र के साथ आपदाओं का सामना कर सकें।
- इस प्रकार, एशियाई आपदा तैयारी केंद्र क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन और जलवायु लचीलापन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत ने विशेष रूप से आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) की स्थापना के माध्यम से आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत सेंदाई फ्रेमवर्क (SFDRR) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिस पर भारत ने 2015 में आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किया था। भारत में आपदा प्रबंधन के लिए कानूनी और संस्थागत ढांचा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित किया गया है। भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) आपदा के प्रबंधन से संबंधित नीति निर्माण के लिए जिम्मेदार शीर्ष निकाय है, जबकि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) राज्य और ज़िला स्तर की नीतियों और योजनाओं की देखरेख करते हैं।