मंगल. मार्च 25th, 2025 9:29:54 PM

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी वर्ष 2023-24 के लिए “मुद्रा और वित्त (आरसीएफ) पर रिपोर्ट” के अनुसार, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2026 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद का 20% हिस्सा बनने का अनुमान है, जो वर्तमान में 10% है।  यह अनुमान वित्त में डिजिटलीकरण की परिवर्तनकारी क्षमता और भारत के आर्थिक परिदृश्य पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव पर प्रकाश डालता है।

मुद्रा एवं वित्त पर रिपोर्ट

  • यह RBI का वार्षिक प्रकाशन है।
  • रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।
  • मुद्रा एवं वित्त पर रिपोर्ट 2023-24 की थीम है ‘भारत की डिजिटल क्रांति (India’s Digital Revolution)’।
  • यह भारत के विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर वित्तीय क्षेत्र में डिजिटलीकरण के परिवर्तनकारी प्रभाव पर केंद्रित है।
  • इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि किस प्रकार डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ आर्थिक विकास, वित्तीय समावेशन, सार्वजनिक अवसंरचना और नियामक परिदृश्य को नया आकार दे रही हैं, साथ ही इससे संबंधित अवसरों तथा चुनौतियों का भी समाधान कर रही हैं।

मुद्रा एवं वित्त 2023-24 रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ

  • वित्तीय सेवाओं का विस्तार: तकनीकी प्रगति के विकास और कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप डिजिटल वित्तीय सेवाओं की गहराई में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है।मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए, डिजिटल प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग द्वारा भारत में वित्तीय समावेशन के विस्तार की संभावना अधिक है।पहला, भारत में वित्तीय समावेशन की प्रगति रिज़र्व बैंक के वित्तीय समावेशन सूचकांक तथा आय समूहों के बीच खाता पहुँच के अंतर में कमी से स्पष्ट है।दूसरा, ग्रामीण भारत में 46% आबादी वायरलेस फोन उपभोक्ताओं की है तथा 54% सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्त्ता हैं।तीसरा, यह देखते हुए कि फिनटेक उपभोक्ताओं में से आधे से अधिक अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण भारत से हैं तथा डिजिटल भुगतान उपयोगकर्त्ताओं में से एक तिहाई से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, डिजिटल पहुँच को आगे बढ़ाने तथा ग्रामीण-शहरी अंतर को कम करने की संभावना है।पिछले दशक में दो लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को भारतनेट के माध्यम से जोड़ा गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा और ई-गवर्नेंस जैसी सेवाएँ उपलब्ध कराना संभव हो गया है।
  • मोबाइल पहुँच: यद्यपि भारत में इंटरनेट पहुँच वर्ष 2023 में 55% थी, लेकिन हाल के तीन वर्षों में इंटरनेट उपयोगकर्त्ता  आधार में 199 मिलियन की वृद्धि हुई है।भारत में प्रति गीगाबाइट (GB) डेटा की खपत पूरे विश्व में सबसे कम है, जो औसतन 13.32 रुपए प्रति GB है। भारत विश्व में सबसे अधिक मोबाइल डेटा खपत वाले देशों में से एक है, जहाँ वर्ष 2023 में प्रति उपयोगकर्त्ता प्रति माह औसत खपत 24.1 GB होगी। देश में लगभग 750 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्त्ता हैं, जिनके वर्ष 2026 तक लगभग एक बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है। अगले पाँच वर्षों में भारत दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता बनने की उम्मीद है।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था: डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 10% हिस्सा है।वर्ष 2026 तक यह आँकड़ा दोगुना होकर सकल घरेलू उत्पाद का 20% हो जाने की उम्मीद है, जिसका श्रेय डिजिटल बुनियादी ढाँचे और वित्तीय प्रौद्योगिकी में तेज़ी से हो रही प्रगति को जाता है।डिजिटलीकरण बैंकिंग बुनियादी ढाँचे और सार्वजनिक वित्त प्रणालियों को मज़बूत कर रहा है, जिससे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण एवं कर संग्रह को अनुकूलित किया जा रहा है।
  • इंडिया स्टैक: आधार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और डिजिलॉकर जैसे प्रमुख घटकों ने सेवा वितरण में क्रांति ला दी है। UPI ने चार वर्षों में लेन-देन में दस गुना वृद्धि देखी है।
  • आधार: विश्व की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक-आधारित पहचान प्रणाली, जो 1.38 बिलियन ID  धारकों को शामिल करती है।
  • UPI: एक वास्तविक समय, कम लागत वाला लेन-देन प्लेटफॉर्म जो वित्तीय समावेशन में   महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
  • डिजिलॉकर: क्लाउड-आधारित स्टोरेज जो सुरक्षित दस्तावेज़ पहुँच प्रदान करता है।

Report on Currency and Finance (RCF) 2023-24

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