केंद्र सरकार ने बजट 2024-25 में स्वर्ण पर आयात शुल्क 15% से घटाकर 6% करने की घोषणा की।इसके अलावा, सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB) के भविष्य पर अपने निर्णय को अंतिम रूप देना चाहती है।
भारत में स्वर्ण उद्योग की स्थिति
भारत में स्वर्ण भंडार
- राष्ट्रीय खनिज सूची के अनुसार, 2015 तक भारत में स्वर्ण अयस्क का कुल भंडार 501.83 मिलियन टन अनुमानित किया गया था।
- भारत में पाए जाने वाले कुल स्वर्ण अयस्क के प्रमुख भंडार में से बिहार में (44%) स्थित हैं, इसके बाद राजस्थान (25%), कर्नाटक (21%), पश्चिम बंगाल (3%), आंध्र प्रदेश (3%), और झारखंड (2%) में हैं।
भारत में स्वर्ण उत्पादन
- कर्नाटक देश के कुल स्वर्ण उत्पादन में लगभग 80% का योगदान करता है।
- कोलार ज़िले में स्थित कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) विश्व की सबसे प्राचीन और गहराई वाली स्वर्ण खदानों में से एक मानी जाती है।
स्वर्ण आयात
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता है।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का स्वर्ण आयात 30% बढ़कर 45.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था।
- हालांकि, मार्च 2024 में स्वर्ण आयात में 53.56% की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई।
सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB) योजना परिचय
- सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) एक प्रकार की सरकारी प्रतिभूति है, जिसका मूल्य सोने की मात्रा के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
- यह योजना भारत सरकार द्वारा 30 अक्टूबर, 2015 को प्रारंभ की गई थी।
- इसका उद्देश्य निवेशकों को भौतिक सोने के बजाय एक डिजिटल और सुरक्षित विकल्प प्रदान करना है।
सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना की मुख्य विशेषताएँ
मूल्यांकन और भुगतान
- एसजीबी का मूल्य ग्राम सोने की मात्रा के आधार पर निर्धारित होता है। इसका मतलब है कि बांड की कीमत सोने की मौजूदा बाजार कीमत पर आधारित होती है।
- निवेशक बांड की निर्गम मूल्य का भुगतान करते हैं, और परिपक्वता के समय बांड की राशि सोने की मौजूदा कीमत के अनुसार चुकाई जाती है।
लाभ और परिपक्वता
- एसजीबी एक सुरक्षित और लाभकारी निवेश का विकल्प प्रदान करता है।
- भारत में कोई भी निवेशक बांड की अवधि समाप्त होने पर या समय-समय पर प्राप्त ब्याज के माध्यम से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- बांड की परिपक्वता अवधि परिपक्वता तिथि के अनुसार निर्धारित की जाती है और इसे बांड के निर्गम मूल्य के अनुसार भुनाया जाता है।
जारीकर्ता
- गोल्ड बॉण्ड, सरकारी प्रतिभूति (GS) अधिनियम, 2006 के तहत भारत सरकार के स्टॉक के रूप में जारी किये जाते हैं।
- एसजीबी भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी किए जाते हैं, जो बांड के सुरक्षा और वैधता को सुनिश्चित करता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना में निवेश करने की पात्रता
एसजीबी में निवेश करने के लिए निम्नलिखित पात्रताएँ हैं
- व्यक्तिगत निवेशक : भारत के निवासी व्यक्ति, जो व्यक्तिगत रूप से, नाबालिग बच्चे की ओर से, या किसी अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से बांड खरीद सकते हैं।
- हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) : भारत में इस योजना के तहत हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) एक कानूनी इकाई के रूप में बांड में निवेश कर सकते हैं।
- ट्रस्ट : भारत में कोई भी कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त ट्रस्ट, अपने निवेश के लिए इस योजना के तहत बांड खरीद सकते हैं।
- शैक्षणिक संस्थान : भारत में कोई भी विश्वविद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान, जो अपनी पूंजी को सुरक्षित और लाभकारी निवेश में लगाना चाहते हैं, इस योजना में अपना निवेश कर सकता है।
- धर्मार्थ संस्थान : कोई भी धर्मार्थ संस्थान जो सामाजिक या धार्मिक गतिविधियों के लिए धन का प्रबंधन करते हैं, वे भी एसजीबी में अपना निवेश कर सकते हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना में निवेश करने की प्रक्रिया
- एसजीबी की बिक्री केवल भारतीय में निवास करने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों को ही की जाती है।
- यह योजना निवेशकों को सोने के भौतिक रूप को रखने की बजाय एक डिजिटल और सुरक्षित विकल्प प्रदान करती है, जिससे उनके निवेश को सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है।
निवेश की न्यूनतम सीमा
- सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना के तहत निवेश राशि की न्यूनतम सीमा एक ग्राम सोना होता है।
निवेश की अधिकतम सीमा
- व्यक्तिगत निवेशक के लिए : प्रत्येक व्यक्तिगत निवेशक के लिए अधिकतम निवेश सीमा 4 किलोग्राम सोना है।
- हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए : एचयूएफ के लिए इस योजना के तहत अधिकतम निवेश सीमा भी 4 किलोग्राम सोना है।
- ट्रस्ट और सरकारी संस्थाओं के लिए : इस योजना के तहत कोई भी ट्रस्ट अथवा सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित समान संस्थाओं के लिए अधिकतम निवेश सीमा 20 किलोग्राम सोना है।
- संयुक्त होल्डिंग के मामले में : इस योजना के तहत यदि कोई बांड संयुक्त होल्डिंग में हैं, तो 4 किलोग्राम तक की निवेश सीमा केवल प्रथम आवेदक पर लागू होगी।
बांड की अवधि
- इस योजना के तहत बांड की कुल अवधि 8 वर्ष की होती है।
- इसमें 5वें, 6वें, और 7वें वर्ष में ब्याज भुगतान की तिथि पर बाहर निकलने का विकल्प उपलब्ध होगा।