शनि. सितम्बर 28th, 2024

केंद्र सरकार ने केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ‘जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान नवाचार और उद्यमिता विकास (बायो-राइड)’ योजना शुरू करने की मंजूरी दे दी है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की दो मौजूदा योजनाओं का विलय बायो-राइड योजना में कर दिया गया है, और उसमे एक नया घटक बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री को जोड़ा गया है।नव स्वीकृत बायो-राइड 15वें वित्त आयोग की अवधि 2021-22 से 2025-26 तक जारी रहेगा।2021-2025-26 से तक योजना का प्रस्तावित परिव्यय 9197 करोड़ रुपये है।

बायो-राइड योजना का घटक

  • नव स्वीकृत बायो-राइड में पिछली दो जैव प्रौद्योगिकी विभाग योजनाओं का विलय किया गया है और इसमें एक नया घटक शामिल है।

योजना के घटक हैं

  • जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास ;
  • औद्योगिक एवं उद्यमिता विकास;
  • बायोमैन्यूफैक्चरिंग एवं बायोफाउंड्री

बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री

  • बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री बायो-राइड के नई  शुरू की नई  घटक हैं।
  • बायोमैन्युफैक्चरिंग का तात्पर्य भोजन, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, ऊर्जा आदि में उपयोग के लिए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण बायोमोलेक्यूल्स का निर्माण करने के लिए जैविक प्रणालियों (जीवित जीव, पशु / पौधे कोशिकाएं, ऊतक, एंजाइम इत्यादि) का उपयोग करना है। यह एक अंतःविषय क्षेत्र है जिसमें सूक्ष्म जीव विज्ञान, जैव रसायन , और केमिकल इंजीनियरिंग शामिल है।
  • फाउंड्री एक ऐसा कारखाना है जहां धातुओं को पिघलाया जाता है और वांछित वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए विशेष रूप से निर्मित कंटेनरों में डाला जाता है।
  • इसी तरह, बायो-फाउंड्री में, वांछित जैव प्रौद्योगिकी उत्पाद बनाने के लिए जीवों के डीएनए का उपयोग और उसमे  वांछित बदलाव किया जाता है।
  • बायो-फाउंड्री में, सभी बायोमैन्युफैक्चरिंग प्रक्रियाएं अत्यधिक स्वचालित होती हैं, जो उत्पादों को जल्दी और कुशलता से वितरित करने के लिए डिज़ाइन-बिल्ड-टेस्ट-लर्न वर्कफ़्लो में तेजी लाने में मदद करती हैं।

बायो-राइड योजना का उद्देश्य

  • जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र  में स्टार्टअप के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना और उसका पोषण करना।
  • धन उपलब्ध कराकर बायोप्लास्टिक्स, सिंथेटिक बायोलॉजी, बायोफार्मास्यूटिकल्स और बायोएनर्जी जैसे उन्नत क्षेत्रों में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  • अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और उद्योग के बीच तालमेल बनाएं ताकि प्रौद्योगिकी का बेहतर व्यावसायीकरण किया जा सके।
  • भारत के हरित लक्ष्यों के अनुरूप पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ जैव-विनिर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  • जैव प्रौद्योगिकी में अत्यधिक कुशल मानव संसाधनों का निर्माण करना।

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