बुध. जनवरी 1st, 2025
  • एनएमसीजी, आईआईटी (बीएचयू) और डेनमार्क के बीच रणनीतिक गठबंधन द्वारा वाराणसी में स्वच्छ नदियों पर नवाचारी स्मार्ट प्रयोगशाला (एसएलसीआर) परियोजना का अनावरण किया गया।
  • भारत और डेनमार्क की सरकारों के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी से महत्वपूर्ण सहयोग को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप वाराणसी में स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (एसएलसीआर) की स्थापना हुई है।
  • यह गठबंधन भारत सरकार (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान – बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (आईआईटी-बीएचयू) और डेनमार्क सरकार के बीच एक अनूठी त्रिपक्षीय पहल है।
  • इसका उद्देश्य छोटी नदियों के संरक्षण और प्रबंधन में उत्कृष्टता लाना है।
  • एसएलसीआर का उद्देश्य दोनों देशों की विशेषज्ञता का लाभ उठाकर एक स्थायी दृष्टिकोण का उपयोग करके वरुणा नदी का संरक्षण करना है।
  • इसके उद्देश्यों में सरकारी निकायों, ज्ञान संस्थानों और स्थानीय समुदायों के लिए ज्ञान साझा करने और स्वच्छ नदी जल के लिए समाधान विकसित करने के लिए एक सहयोगी मंच बनाना भी शामिल है।
  • इस पहल में आईआईटी-बीएचयू में एक हाइब्रिड लैब मॉडल और वरुणा नदी पर ऑन-फील्ड लिविंग लैब की स्‍थापना शामिल है, ताकि वास्‍तविक रूप से परीक्षण और मानदंड समाधान किया जा सके।
  • इंडो-डेनमार्क संयुक्त संचालन समिति (जेएससी) एसएलसीआर के लिए सर्वोच्च मंच है जो रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करती है और प्रगति की समीक्षा करती है।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), आईआईटी-बीएचयू और डेनमार्क के शहरी क्षेत्र परामर्शदाता के सदस्यों वाली परियोजना समीक्षा समिति (पीआरसी) परियोजना स्तर पर गुणवत्ता नियंत्रण की देखरेख करेगी।
  • एसएलसीआर सचिवालय को जल शक्ति मंत्रालय से 16.80 करोड़ रुपये का प्रारंभिक वित्त पोषण और डेनमार्क से 5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त अनुदान मिलेगा, ताकि दीर्घकालिक स्थिरता और परियोजना विकास में सहायता प्रदान किया जा सके।

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