- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6 नवंबर 2024 को एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना, ‘ पीएम विद्यालक्ष्मी’ को मंजूरी दी ।
- यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य से संरेखित है, जो भारत में सार्वजनिक या निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में उच्च अध्ययन करने के लिए मेधावी छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का आह्वान करती है।
- केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत उच्च शिक्षा विभाग पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को लागू करेगा।
- विभाग एकीकृत पोर्टल “पीएम-विद्यालक्ष्मी” का भी प्रबंधन करेगा। पात्र छात्रों को पोर्टल पर शैक्षिक ऋण और ब्याज अनुदान के लिए आवेदन करना होगा।
प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना की विशेषताएं
- पात्र सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने वाले छात्र बैंकों और वित्तीय संस्थानों से संपार्श्विक-मुक्त, गारंटर-मुक्त ऋण के लिए पात्र होंगे ।
- ऋण राशि से छात्र की ट्यूशन फीस और अन्य खर्चे पूरे किये जायेंगे।
- इस योजना के तहत 7.5 लाख रुपये तक के लोन पर बकाया लोन डिफॉल्ट राशि का 75% क्रेडिट गारंटी के लिए पात्र होंगे। इसका मतलब यह है कि अगर लोन लेने वाला छात्र डिफॉल्ट करता है तो सरकार बैंक को बकाया लोन राशि का 75% वापस कर देगी।
प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना के अंतर्गत ब्याज अनुदान
- पीएम विद्यालक्ष्मी योजना के तहत, पात्र छात्रों को स्थगन अवधि (वह अवधि जिसके दौरान छात्र को ऋण की किस्त वापस नहीं चुकानी होती है) के दौरान प्रदान किए गए 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए 3 प्रतिशत की ब्याज सहायता (सब्सिडी) सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
- ऐसे छात्र जिनके परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है और वे अन्य सरकारी छात्रवृत्ति या ब्याज अनुदान योजनाओं के लाभार्थी नहीं हैं, वे पात्र होंगे।
- सरकार का लक्ष्य प्रति वर्ष एक लाख छात्रों को ब्याज अनुदान प्रदान करना है।
- वर्ष 2024-25 से 2030-31 तक ब्याज अनुदान हेतु आबंटन 3600 करोड़ रुपये है।
- जो छात्र सरकारी शिक्षण संस्थानों में नामांकित हैं और व्यावसायिक/तकनीकी पाठ्यक्रम कर रहे हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।
- सरकार ई-वाउचर और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) वॉलेट के माध्यम से बैंकों और वित्तीय संस्थानों को प्रतिपूर्ति करेगी।