केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के लिए पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन (Naphithromycin) का औपचारिक रूप से शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु
- लॉन्च: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत का पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक ‘नफिथ्रोमाइसिन’ लॉन्च किया।
- विकास: इसे बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) के समर्थन से विकसित किया गया।
- ट्रेड नाम: इसे फार्मा कंपनी वॉकहार्ट द्वारा ‘मिकनैफ’ (Miqnaf) के नाम से बाजार में लाया गया।
- उद्देश्य: यह एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) से लड़ने के लिए विकसित किया गया है।
- समस्या का समाधान: नफिथ्रोमाइसिन ड्रग-रेजिस्टेंट निमोनिया के इलाज में क्रांतिकारी साबित होगा, जो हर साल 2 मिलियन से अधिक मौतों का कारण बनता है।
- प्रभाव: यह आज़िथ्रोमाइसिन से 10 गुना अधिक प्रभावी है और केवल तीन दिनों के उपचार में समान परिणाम देता है।
- निशाना: यह सामान्य और असामान्य दोनों प्रकार के रोगजनकों को लक्षित करता है।
- शोध और निवेश: इसे विकसित करने में 14 साल और ₹500 करोड़ का निवेश हुआ।
- क्लिनिकल ट्रायल: अमेरिका, यूरोप, और भारत में सफल परीक्षण।
- मंजूरी: इसे केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से अंतिम स्वीकृति का इंतजार है।
अन्य जानकारी
- अद्वितीय समाधान: नफिथ्रोमाइसिन नई पीढ़ी की दवा है, जो तेज, सुरक्षित और अधिक सहनशील उपचार प्रदान करती है।
- दवा की आवश्यकता: भारत में निमोनिया के 23% मामलों में वर्तमान दवाओं के प्रति प्रतिरोध देखा जाता है।
- सहयोग: यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- दुनिया में पहली बार: इस श्रेणी की कोई नई एंटीबायोटिक पिछले 30 वर्षों में नहीं विकसित की गई थी।
निष्कर्ष
- ‘नफिथ्रोमाइसिन’ एंटीबायोटिक के विकास से भारत एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) से लड़ने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह न केवल देश के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।
एंटीबायोटिक
- एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं।
- ये बैक्टीरिया को मारती हैं या उनके प्रजनन को रोकती हैं।
नैफिथ्रोमाइसिन
- यह एक एंटीबायोटिक दवा है।
- इसको विशेष रूप से सामुदायिक-अधिग्रहित जीवाणु निमोनिया के इलाज के लिए डिज़ाइन किया गया है।
निमोनिया
- यह गंभीर बीमारी दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण होती है।
- यह बच्चों, बुजुर्गों और मधुमेह या कैंसर के रोगियों जैसे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों को असमान रूप से प्रभावित करती है।
- इसमें फेफड़े सर्वाधिक प्रभावित होते है।
श्वसन संबंधी समस्याएं और निमोनिया का बढ़ता खतरा
श्वसन समस्याओं का प्रभाव:
- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियां स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव बढ़ाती हैं।
- फेफड़ों के संक्रमण से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
निमोनिया का गंभीर प्रभाव:
- हर साल लाखों लोगों की मौत का कारण।
- बच्चों और बुजुर्गों पर विशेष रूप से घातक।
- डब्ल्यूएचओ के अनुसार, हर वर्ष 5 वर्ष से कम उम्र के 25 लाख से अधिक बच्चों की मृत्यु निमोनिया से होती है|