महिला और बाल विकास मंत्री, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने नई दिल्ली में “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य बाल विवाह को समाप्त करना और युवा लड़कियों को सशक्त बनाना है। यह अभियान 2047 तक एक विकसित भारत (विकसित भारत) के दृष्टिकोण से जुड़ा है। इसमें “बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल” का लॉन्च भी किया गया, जो नागरिकों को बाल विवाह की घटनाओं की रिपोर्ट करने और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को लागू करने के लिए एक अभिनव उपकरण है।
अभियान की मुख्य विशेषताएं
फोकस क्षेत्र
- सात उच्च बाल विवाह दर वाले राज्यों और 300 उच्च-प्रभाव वाले जिलों को प्राथमिकता।
- इन क्षेत्रों में बाल विवाह उन्मूलन पर विशेष ध्यान।
- सहयोगात्मक दृष्टिकोण: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 2029 तक बाल विवाह दर को 5% से कम करने की कार्य योजना बनाने का अनुरोध।
- बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल: एक अभिनव ऑनलाइन मंच जो नागरिकों को बाल विवाह की घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करने, शिकायत करने, और बाल विवाह निषेध अधिकारियों (CMPOs) की जानकारी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है।
भारत में बाल विवाह की स्थिति
बाल विवाह में गिरावट
- 2005-06 में 47.4% (NFHS-3) से घटकर 2015-16 में 26.8% (NFHS-4) हो गया।
- NFHS-5 के अनुसार, बाल विवाह में कमी जारी है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी चुनौती बनी हुई है।
आर्थिक असमानता
- आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में बाल विवाह अधिक प्रचलित है।
- निम्नतम पंचमांश में 40% लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है, जबकि उच्चतम पंचमांश में यह केवल 8% है।
- उच्च प्रसार वाले राज्य: पश्चिम बंगाल, बिहार, त्रिपुरा, झारखंड, असम, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, और तेलंगाना।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 (PCMA):यह अधिनियम बाल विवाह पर रोक लगाता है और इसे अपराध घोषित करता है।लड़कियों के लिए न्यूनतम विवाह आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष।
- संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन: भारत इस पर हस्ताक्षरकर्ता है और बाल अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR): बाल विवाह से लड़ने के लिए जागरूकता कार्यक्रम और कानूनी सहायता प्रदान करता है।
बाल विवाह के दुष्प्रभाव
- कम उम्र में शादी से मातृ और शिशु मृत्यु दर बढ़ती है।
- लड़कियों की शिक्षा बाधित होती है और उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक स्वतंत्रता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- सामाजिक और आर्थिक सुधार: यह अभियान न केवल बाल विवाह की कुप्रथा को समाप्त करने का प्रयास है, बल्कि समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, और लैंगिक समानता को भी बढ़ावा देता है।
- लक्ष्य: 2029 तक बाल विवाह की दर को 5% से कम करना और इसे समाप्त करने की दिशा में सामुदायिक, कानूनी, और प्रशासनिक प्रयासों को मजबूत करना।