मंगल. मार्च 25th, 2025 12:46:03 AM
  • एसबीआई रिसर्च के एक अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण गरीबी अनुपात वित्त वर्ष 2024 में पहली बार 5% से नीचे गिरकर वित्त वर्ष 2023 में 7.2 प्रतिशत से 4.86 प्रतिशत हो गया।
  • वित्त वर्ष 2024 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में तेज़ी से कमी आई। शहरी क्षेत्रों में गरीबी अनुपात उसी दौरान 4.6 प्रतिशत से घटकर 4.09 प्रतिशत हो गया।
  • ग्रामीण गरीबी अनुपात में इस कमी का कारण 0-5% के बीच उच्च उपभोग वृद्धि है।
  • परिणामस्वरूप, गरीबी रेखा वित्त वर्ष 2023 में 5-10% दशमक से बदलकर वित्त वर्ष 2024 में 0-5% दशमक हो गई।
  • रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसे हस्तांतरण कार्यक्रमों में वृद्धि ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम करने में योगदान देने वाला एक अन्य कारक है।
  • एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 24 के लिए संशोधित गरीबी स्तर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 1,632 रुपये प्रति माह और शहरी क्षेत्रों के लिए 1,944 रुपये प्रति माह होगा, जिसमें दशकीय मुद्रास्फीति और सुरेश तेंदुलकर की गरीबी रेखा में आरोपण घटक को शामिल किया गया है।
  • तेंदुलकर के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समूह ने पहले 2011-12 में गरीबी रेखा की गणना शहरी क्षेत्रों में 1,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 816 रुपये की थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत की गरीबी दर वर्तमान में 4% से 4.5% के बीच हो सकती है।
  • ईआरडी के अनुसार, अधिकांश उच्च आय वाले राज्यों में बचत दर राष्ट्रीय औसत (31%) से अधिक है।
  • बिहार और उत्तर प्रदेश में बचत दर कम है, जो बढ़ते पलायन के कारण हो सकता है।

Login

error: Content is protected !!