केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा जल शक्ति मंत्रालय के तहत जारी की गई “भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2024” में भारत में भूजल की गुणवत्ता को लेकर महत्वपूर्ण चिंताएँ उठाई गई हैं।
भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 के मुख्य बिंदु
- भूजल निष्कर्षण: रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भूजल निष्कर्षण की दर 4% है।
- सुरक्षित ब्लॉक: विश्लेषित किए गए ब्लॉकों में लगभग 73% को ‘सुरक्षित’ श्रेणी में रखा गया है, जो भूजल संसाधनों के पर्याप्त पुनर्भरण को दर्शाता है।
- नाइट्रेट प्रदूषण: 2023 तक 440 जिलों में भूजल में अत्यधिक नाइट्रेट पाया गया है।
- राजस्थान (49%), कर्नाटक (48%), और तमिलनाडु (37%) में नाइट्रेट प्रदूषण की सबसे उच्च दर रिपोर्ट की गई है।
- यूरेनियम प्रदूषण: राजस्थान और पंजाब में यूरेनियम प्रदूषण की समस्या अधिक है, जहां सर्वेक्षण में सबसे अधिक नमूनों में 100 ppb (पार्ट्स पर बिलियन) से अधिक पाया गया।
- फ्लोराइड प्रदूषण: राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना जैसे राज्यों में फ्लोराइड प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय है।
भूजल प्रदूषण
- भूजल प्रदूषण तब होता है जब प्रदूषक पदार्थ भूजल में घुलकर उसे उपयोग के लिए असुरक्षित बना देते हैं।
भूजल प्रदूषण के कारण
उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग
- नाइट्रोजन आधारित रासायनिक उर्वरकों पर अधिक निर्भरता।
- नाइट्रेट का भूजल में रिसाव।
औद्योगिक अपशिष्ट
- अनुपचारित या अपर्याप्त उपचारित औद्योगिक अपशिष्ट का निष्कासन।
- भारी धातुओं और विषैले पदार्थों का भूजल में प्रवेश।
भौगोलिक संरचनाएँ:
- कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक प्रदूषक जैसे आर्सेनिक, फ्लोराइड और यूरेनियम का भूजल में मिश्रण।
अत्यधिक निष्कर्षण
- जल स्तर का गिरना।
- आर्सेनिक, यूरेनियम और फ्लोराइड जैसे प्राकृतिक प्रदूषकों का संकेंद्रण।
भूजल निष्कर्षण की स्थिति
भूजल निष्कर्षण दर
- भूजल निष्कर्षण दर 4% पर बनी हुई है, जो 2009 से अपरिवर्तित है।
- यह दर कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोगों के लिए भूजल निकासी के अनुपात को दर्शाती है, जो कुल उपलब्ध पुनर्भरण के मुकाबले है।
- भूजल का पुनर्भरण प्राकृतिक रूप से वर्षा और अन्य स्रोतों से होता है।
ब्लॉकों की सुरक्षा
- भारत में 73% भूजल ब्लॉक अब “सुरक्षित क्षेत्र” के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं, जहां पुनर्भरण, निष्कर्षण के बराबर या उससे अधिक है।
- 2022 में यह प्रतिशत 4% था, जो 2023 में बढ़कर 73% हो गया है।
भूजल गुणवत्ता में गिरावट के मुख्य कारण
- औद्योगिकीकरण: अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्टों का निष्कासन, जिसमें भारी धातुएं, रासायनिक पदार्थ और सॉल्वेंट शामिल हैं।
- कृषि प्रथाएँ: खेती में उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग।
- शहरीकरण: गलत तरीके से कचरा निपटान, सीवेज रिसाव और कचरे के डंप से प्रदूषण।
- जलवायु परिवर्तन: वर्षा के पैटर्न में बदलाव और अत्यधिक निष्कर्षण से जलमग्न क्षेत्रों का पुनर्भरण प्रभावित होता है।