- केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 2022-23 से 2025-26 की अवधि के लिए 8,800 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2026 तक ‘कौशल भारत कार्यक्रम (एसआईपी)’ की निरंतरता और पुनर्गठन को मंजूरी दी गई है।
- सरकार ने तीन घटकों – प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 (पीएमकेवीवाई 4.0), प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना (पीएम-एनएपीएस) और जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना को समग्र केंद्रीय क्षेत्र योजना, कौशल भारत कार्यक्रम (एसआईपी) के अंतर्गत सम्मिलित कर दिया है।
- सरकार ने संरचित कौशल विकास, कार्यस्थल पर प्रशिक्षण (ओजेटी) और समुदाय आधारित शिक्षा प्रदान करने के लिए ये पहल शुरू की हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाशिए पर पड़े समुदायों सहित शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी को उच्च गुणवत्ता वाली व्यावसायिक शिक्षा तक पहुंच प्राप्त हो।
- सरकार उद्योग जगत की उभरती मांगों और नए युग की प्रौद्योगिकियों के आगमन के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए 6,000 करोड़ रुपये की पीएमकेवीवाई 4.0 योजना के तहत एआई, 5जी प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, हरित हाइड्रोजन और ड्रोन प्रौद्योगिकी पर 400 से अधिक नए पाठ्यक्रम शुरू करेगी।
- इसके अलावा, शिक्षा से लेकर काम तक निर्बाध परिवर्तन को समर्थन देने के लिए एनएपीएस के लिए 1,958 करोड़ रुपये का कुल परिव्यय आवंटित किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रशिक्षुओं को वास्तविक दुनिया के अनुभव के माध्यम से उद्योग-विशिष्ट कौशल प्राप्त हो।
- इसके तहत, 14 से 35 वर्ष की आयु के प्रशिक्षुओं को सरकार द्वारा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से 25% या अधिकतम 1,500 रुपये प्रति माह तक का वजीफा प्रदान किया जाएगा।
- समुदाय-केंद्रित कौशल पहल, जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) के लिए 858 करोड़ रुपये का परिव्यय आवंटित किया गया है, जिसमें महिलाओं, ग्रामीण युवाओं और 15 से 45 वर्ष की आयु के आर्थिक रूप से वंचित समूहों पर विशेष जोर दिया गया है।
