- पंजाब, हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में PM2.5 में केवल 14% का योगदान होता है।
- एक अध्ययन के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं और दिल्ली-एनसीआर में सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) की सघनता के बीच कोई रैखिक संबंध नहीं है।
- अध्ययन के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में पार्टिकुलेट मैटर सांद्रता में केवल 14% योगदान होता है।
- पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 2015 से 2023 तक 50% से अधिक की गिरावट के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में PM2.5 स्थिर बना हुआ है।
- 2023 और 2022 में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में क्रमशः 31% और 37% की गिरावट आई है।
- स्थिर हवाओं, कम मिश्रण ऊंचाई और व्युत्क्रम स्थितियों के कारण दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक “बहुत खराब” से “गंभीर” श्रेणी में बना हुआ है।
- इस अध्ययन के नतीजे क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए थे।
