गुरु. अप्रैल 10th, 2025 9:22:44 PM

केंद्र सरकार ने भारतीय पासपोर्ट नियमों में संशोधन किया हैं। ये संशोधित नियम आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित होने के बाद प्रभावी होंगे, जिससे पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण परिवर्तन आएंगे।

पासपोर्ट (संशोधन) नियम 2025

  • विदेश मंत्रालय ने 24 फरवरी 2025 को एक सार्वजनिक अधिसूचना (Public Notice) जारी की, जिसमें भारतीय पासपोर्ट से जुड़े संशोधित नियमों की जानकारी दी गई।
  • जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य: अब 1 अक्टूबर 2023 या उसके बाद जन्मे लोगों के लिए पासपोर्ट आवेदन में जन्म प्रमाणपत्र (Birth Certificate) अनिवार्य कर दिया गया है।
  • पहले आवेदनकर्ता अपनी जन्मतिथि सत्यापित करने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, आधार कार्ड, स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र जैसे अन्य दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते थे, लेकिन अब यह विकल्प नई पीढ़ी के लिए उपलब्ध नहीं रहेगा।संशोधित नियमों के तहत, पासपोर्ट के आखिरी पेज से माता-पिता का नाम नहीं लिखा जाएगा।
  • पते में बदलाव: अब पासपोर्ट के अंतिम पृष्ठ (Last Page) पर आवेदक का रेजिडेंशियल एड्रेस (Residential Address) प्रिंट नहीं किया जाएगा।
  • इसके बजाय, यह जानकारी डिजिटल रूप में बारकोड के माध्यम से उपलब्ध होगी, जिसे आव्रजन अधिकारी स्कैन करके सत्यापित करेंगे।

नए पासपोर्ट नियम क्यों लाए गए

  • फर्जीवाड़े पर रोक: सरकार ने पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए नए नियम लागू किए हैं। पहले, जन्मतिथि प्रमाणित करने के लिए कई दस्तावेजों का विकल्प उपलब्ध था, जिससे गलत जानकारी देकर पासपोर्ट बनवाने की संभावनाएं अधिक थीं। अब केवल जन्म प्रमाणपत्र (Birth Certificate) ही मान्य दस्तावेज होगा, जिससे फर्जी जन्मतिथि दर्ज कराने की प्रक्रिया पर अंकुश लगेगा।
  • दस्तावेजों की सटीकता: नए नियमों के तहत, पासपोर्ट आवेदन में प्रस्तुत जानकारी की शुद्धता सुनिश्चित की जाएगी। जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य करने से यह तय होगा कि जन्मतिथि से संबंधित कोई गलत या भ्रामक जानकारी न दी जाए। इससे पहचान संबंधी धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी और पासपोर्ट की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
  • निजता की सुरक्षा: पहले पासपोर्ट के अंतिम पृष्ठ पर आवेदक का रिहायशी पता (Residential Address) प्रिंट किया जाता था, जिससे निजी जानकारी सार्वजनिक होने का जोखिम बना रहता था। अब नए नियमों के तहत, यह जानकारी डिजिटल रूप से संरक्षित रहेगी और बारकोड स्कैन करने पर ही उपलब्ध होगी। इससे आवेदकों की व्यक्तिगत गोपनीयता (Privacy) की सुरक्षा मजबूत होगी।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता: नए नियमों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रक्रिया में कोई फर्जीवाड़ा न हो और पासपोर्ट धारकों की पहचान स्पष्ट और प्रमाणित हो। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय पासपोर्ट की विश्वसनीयता मजबूत होगी।

भारतीय पासपोर्ट: इतिहास और विकास

  • भारतीय पासपोर्ट का इतिहास ब्रिटिश शासन से लेकर स्वतंत्र भारत तक कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों से गुजरा है। यह न केवल नागरिकता (Citizenship) और पते का प्रमाण है, बल्कि विदेश यात्रा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक आवश्यक दस्तावेज भी है।

ब्रिटिश शासन में पासपोर्ट

  • 1915 में, “डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट” के तहत भारत से बाहर जाने और भारत में प्रवेश करने के लिए पासपोर्ट अनिवार्य किया गया। यह नियम ब्रिटिश सरकार की सुरक्षा नीतियों का हिस्सा था।
  • भारतीय पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत भारत में प्रवेश और बाहर जाने के लिए पासपोर्ट की आवश्यकता को कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया। इसके माध्यम से भारतीय नागरिकों और विदेशी यात्रियों की आवाजाही पर नियंत्रण स्थापित किया गया। यह पासपोर्ट 1920 में लीग ऑफ नेशंस (League of Nations) द्वारा तय किए गए प्रारूप पर आधारित था।

स्वतंत्र भारत में पासपोर्ट

  • स्वतंत्रता के बाद 1952 में भारत सरकार ने ब्रिटिश शासन में जारी किए गए सभी पुराने पासपोर्ट रद्द कर दिए।
  • नई पासपोर्ट नीति के तहत सिर्फ उन्हीं लोगों को पासपोर्ट जारी किया गया, जिन्हें “सम्मानित” (Respectable) माना गया। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देना था, लेकिन इससे कई नागरिकों के अधिकार प्रभावित हुए।
  • 1967 में, “सतवंत सिंह सावने बनाम डी. रामारथनाम” मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया कि पासपोर्ट प्राप्त करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। इस फैसले के बाद, सरकार ने “भारतीय पासपोर्ट अधिनियम, 1967” पारित किया। यह अधिनियम पासपोर्ट और यात्रा दस्तावेज जारी करने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इसमें भारतीय नागरिकों के विदेश जाने और देश छोड़ने से संबंधित नियमों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।

भारतीय पासपोर्ट की विशेषताएँ

  • राष्ट्रपति का संदेश: प्रत्येक भारतीय पासपोर्ट में भारत के राष्ट्रपति की ओर से एक आधिकारिक नोट लिखा होता है, जिसमें विदेशी अधिकारियों से अनुरोध किया जाता है कि पासपोर्ट धारक को सुरक्षित यात्रा की अनुमति दी जाए।
  • भाषा: पासपोर्ट में सभी जानकारियाँ केवल हिंदी और अंग्रेज़ी में ही छपी होती हैं। भारतीय पासपोर्ट का कवर सामान्यतः गहरे नीले रंग (Dark Blue) का होता है।
  • सुरक्षा उपाय: पासपोर्ट धारक की फोटो और उंगलियों के निशान (Fingerprints) दर्ज किए जाते हैं, जिससे पहचान की पुष्टि और सुरक्षा मजबूत होती है।
  • पासपोर्ट में एक विशेष ज़ोन (Machine-Readable Zone) होता है, जिसमें व्यक्तिगत जानकारी एन्कोडेड (Encoded) होती है।
  • यह ज़ोन स्वचालित मशीनों (Scanning Machines) द्वारा पढ़ा जा सकता है, जिससे सटीक और तेज़ी से पहचान सुनिश्चित की जा सके।
  • राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem) और पासपोर्ट धारक की फोटो को होलोग्राफ़िक छवियों के रूप में जोड़ा जाता है।
  • पासपोर्ट में कुछ विवरण, जैसे पासपोर्ट नंबर और व्यक्तिगत जानकारी, पराबैंगनी (UV) प्रकाश में चमकती हैं।
  • पासपोर्ट के पन्नों में विशेष Watermark मौजूद होता है, जो नकल करना लगभग असंभव बनाता है।
  • पृष्ठों की संख्या: यात्रा की आवश्यकताओं के अनुसार भारतीय पासपोर्ट 36 पन्नों (Standard Passport) और 60 पन्नों (Frequent Traveler Passport) में उपलब्ध होता है।

भारतीय पासपोर्ट के विभिन्न प्रकार

  • भारतीय पासपोर्ट को तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जो नागरिकों, सरकारी अधिकारियों और राजनयिकों की आवश्यकताओं के अनुसार जारी किए जाते हैं। प्रत्येक पासपोर्ट का विशेष रंग और उपयोग निर्धारित किया गया है।
  • सामान्य पासपोर्ट (P-टाइप): यह पासपोर्ट सामान्य नागरिकों के लिए जारी किया जाता है और इसका कवर गहरे नीले रंग (Dark Blue) का होता है। इसे छुट्टियों, शिक्षा, व्यावसायिक यात्राओं और अन्य निजी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। यह सबसे अधिक प्रचलित पासपोर्ट है और इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया अन्य श्रेणियों की तुलना में आसान होती है।
  • सरकारी पासपोर्ट (S-टाइप): सरकारी कामकाज के लिए यात्रा करने वाले अधिकारियों को सफेद कवर (White Cover) वाला पासपोर्ट जारी किया जाता है। इसे उन सरकारी कर्मियों को दिया जाता है, जो भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे विदेशों में तैनात भारतीय सशस्त्र बलों (Indian Armed Forces) के सदस्य। यह पासपोर्ट आधिकारिक कार्यों तक ही सीमित रहता है और इसे निजी यात्रा के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता।
  • राजनयिक पासपोर्ट (D-टाइप): गहरे लाल या मैरून (Maroon) रंग का यह पासपोर्ट राजनयिकों, संसद सदस्यों (MPs), केंद्रीय मंत्रिपरिषद (Union Council of Ministers) के सदस्यों, उच्च सरकारी अधिकारियों और राजनयिक संदेशवाहकों (Diplomatic Couriers) को जारी किया जाता है। इसके अतिरिक्त, इनके आश्रित (Dependents) भी इस पासपोर्ट का उपयोग कर सकते हैं।अब राजनयिक और सरकारी पासपोर्ट धारकों के लिए e-पासपोर्ट जारी किए जाते हैं। इन पासपोर्ट में बायोमेट्रिक डेटा (Biometric Data) जैसे फोटो, उंगलियों के निशान और इलेक्ट्रॉनिक चिप (Electronic Chip) होती है, जो सुरक्षा और पहचान को और अधिक सुरक्षित बनाती है।

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