बुध. अप्रैल 9th, 2025 10:48:05 PM

अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने भारत में चावल और गेहूं की उपज पर कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन के प्रभाव का अध्ययन करते हुए पाया कि कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन से कुछ राज्यों में फसल की उपज में 10% तक की कमी आती है।अनुसंधान ने नाइट्रोजन ऑक्साइड, विशेष रूप से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂), के फसल वृद्धि पर पड़ने वाले प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया।NO₂ जैसे प्रदूषकों के फसलों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव पहले से ही ज्ञात थे, लेकिन यह अध्ययन भारत में फसल की पैदावार में कमी के साथ कोयला बिजली संयंत्र उत्सर्जन को व्यवस्थित रूप से जोड़ने वाला पहला अध्ययन है।अध्ययन ने भारत के 3 प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पंजाब, और 3 प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों, मध्य प्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश का विश्लेषण किया।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से प्रमुख उत्सर्जन

  • कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOₓ), सल्फर ऑक्साइड (SOₓ), पार्टिकुलेट मैटर, कालिख और ट्रेस गैसों जैसे प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं ।
  • ये प्रदूषक धुंध, अम्लीय वर्षा और वायु की गुणवत्ता में कमी लाते हैं, जिससे फसलों और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

फसलों पर नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOₓ) का प्रभाव

  • फाइटोटॉक्सिक गुण: NOₓ पौधों पर दबाव डालता है, कोशिकीय कार्य में बाधा डालता है, तथा महत्वपूर्ण एंजाइमेटिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करता है।
  • ओजोन निर्माण : NOₓ ओजोन उत्पादन में योगदान देता है, जिससे फसल की क्षति बढ़ जाती है।
  • कणिकीय पदार्थ का संचयन: सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करता है, जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्षमता कम हो जाती है।

NO के संपर्क में आने से फसल की पैदावार में नुकसान

  • चावल की उपज में हानि: NO₂ में प्रत्येक 1 ppb (प्रति बिलियन भाग) वृद्धि के लिए प्रति हेक्टेयर 0.0006 मीट्रिक टन ।
  • गेहूँ की उपज में हानि: शीत ऋतु में कोहरे और सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी के कारण चावल की तुलना में अधिक प्रभावित।

कोयला प्रदूषण प्रभाव में क्षेत्रीय अंतर

  • छत्तीसगढ़: कोयला संयंत्रों से NO₂ प्रदूषण का उच्चतम हिस्सा (मानसून में 19%, सर्दियों में 12.5%)।
  • उत्तर प्रदेश: कुल मिलाकर NO₂ का स्तर ऊंचा है, लेकिन इसका केवल एक छोटा हिस्सा ही कोयला बिजली से आता है।
  • तमिलनाडु : अपेक्षाकृत कम NO₂ प्रदूषण, लेकिन अधिकांश कोयला संयंत्रों से उत्पन्न होता है।

फसल हानि का आर्थिक प्रभाव

  • कोयला ऊर्जा उत्सर्जन से चावल और गेहूं की उपज को होने वाले नुकसान से भारत को प्रतिवर्ष 820 मिलियन डॉलर (7,000 करोड़ रुपये) का नुकसान होता है।
  • अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले बिजलीघरों को लक्ष्य करने से नुकसान में उल्लेखनीय कमी आ सकती है तथा कृषि उत्पादकता में सुधार हो सकता है।

नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOₓ) उत्सर्जन के स्रोत

स्रोतों की श्रेणीविवरण
प्राकृतिक स्रोतबिजली गिरना: वायुमंडल में उच्च तापमान प्रतिक्रियाओं से NOₓ उत्पन्न होता है। मृदा सूक्ष्मजीवी गतिविधि: सूक्ष्मजीवों द्वारा नाइट्रीकरण और विनाइट्रीकरण से NOₓ निकलता है। ज्वालामुखी विस्फोट : नाइट्रोजन युक्त यौगिकों के दहन से NOₓ उत्सर्जित होता है। जंगली आग और बायोमास जलाना : जंगलों और घास के मैदानों को जलाने से NOₓ निकलता है।
जीवाश्म ईंधन दहनविद्युत संयंत्र : कोयला, तेल और गैस से चलने वाले स्टेशन NOₓ उत्सर्जित करते हैं। औद्योगिक बॉयलर और कारखाने : सीमेंट, इस्पात और रासायनिक उद्योग महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वाहन : कार, ट्रक, रेलगाड़ी और हवाई जहाज ईंधन जलाते हैं, जिससे NOₓ उत्पन्न होता है। आवासीय हीटिंग और खाना पकाना: कोयला, लकड़ी और बायोमास स्टोव के उपयोग से उत्सर्जन बढ़ता है।
कृषि स्रोतसिंथेटिक उर्वरक और खाद: उर्वरक के विघटन और सूक्ष्मजीवी गतिविधि से NOₓ निकलता है। फसल अवशेष जलाना (स्टबल बर्निंग): फसल अपशिष्ट को मौसमी रूप से जलाने से NOₓ उत्सर्जित होता है। पशुपालन: पशु अपशिष्ट के अपघटन से NOₓ उत्पन्न होता है।
अपशिष्ट प्रसंस्करण और दहनलैंडफिल और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट: जैविक अपशिष्ट के अपघटन से NOₓ निकलता है। अपशिष्ट और बायोमास का दहन: नगरपालिका और औद्योगिक अपशिष्ट जलाने से NOₓ उत्सर्जित होता है। पेट्रोलियम शोधन एवं रासायनिक उद्योग: औद्योगिक शोधन प्रक्रियाएं NOₓ उत्सर्जन में योगदान करती हैं।

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