हम्पी में आयोजित तीसरी ‘G20 संस्कृति कार्य समूह’ (CWG) की बैठक के एक भाग के रूप में ‘लंबानी वस्तुओं के सबसे बड़े प्रदर्शन’ का गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया गया।
मुख्य बिंदु
- खजुराहो और भुवनेश्वर में ‘G20 संस्कृति कार्य समूह’ की पहली दो बैठकों के बाद तीसरी बैठक 9 से 12 जुलाई 2023 तक हम्पी में हुई।
- G20 के प्रतिनिधियों को विजय विट्टल मंदिर, रॉयल एनक्लोजर और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, हम्पी समूह के स्मारकों के येदुरु बसवन्ना परिसर जैसे विरासत स्थलों का भ्रमण कराया जा रहा है।
- इसी क्रम में यह प्रदर्शनी संस्कृति मंत्रालय के ‘संस्कृति कार्य समूह’ द्वारा आयोजित किया गया।
- इसका शीर्षक , ”एकता के धागे’ ‘(Threads of Unity) है।
- प्रदर्शनी का विषय है, ‘संस्कृति सभी को जोड़ती है।’
- संदुर कुशल कला केन्द्र (SKKK) से जुड़ी 450 से अधिक लंबानी महिला कारीगरों और सांस्कृतिक कलाकारों ने 1755 पैच वर्क वाली लंबानी कढ़ाई का उपयोग करके इन वस्तुओं को तैयार किया था।
- गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का यह प्रयास प्रधानमंत्री के मिशन ‘लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) अभियान और ‘G20 संस्कृति कार्य समूह’ की पहल पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवनशैली और स्थिरता की दिशा में एक ठोस कार्य ‘जीवन के लिए संस्कृति’ से जुड़ा है।
- हमारी साझा विरासत का जश्न मनाते हुए और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देकर, यह प्रदर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के सार को समाहित करते हुए, संस्कृतियों के बीच एकता, विविधता, परस्पर जुड़ाव और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व की शक्ति के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
लंबानी कढ़ाई
- लंबानी , कर्नाटक में रहने वाली एक खानाबदोश समुदाय द्वारा बनाई जाने वाली कढ़ाई शिल्प है।
- इसे जीआई-टैग भी प्राप्त है।
- लंबानी कढ़ाई रंगीन धागों, कांच या मिरर वर्क और सिलाई पैटर्न की एक समृद्ध शृंखला द्वारा चित्रित कपड़ा अलंकरण का एक जीवंत और जटिल रूप है।
- इसमें फेंके गए कपड़ों के छोटे-छोटे टुकड़ों को कुशलतापूर्वक जोड़कर एक सुंदर कपडा बनाया जाता है।
- यह समृद्ध कढ़ाई परंपरा मुख्य रूप से आजीविका के स्रोत के रूप में लंबानी समुदाय की कुशल महिलाओं ने जीवित रखा है।
- यह कर्नाटक के कई गांवों जैसे संदुर, केरी टांडा, मरियम्मनहल्ली, कादिरामपुर, सीताराम टांडा, बीजापुर और कमलापुर में प्रचलित है।
संदूर कुशल कला केंद्र (SKKK)
- एक सोसायटी के रूप में 1988 में पंजीकृत ‘संदुर कुशल कला केन्द्र’ का उद्देश्य पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करना और शिल्पकारों की आजीविका, कौशल और उनके उत्पादों को बढ़ावा देकर एक स्थिर आय सुनिश्चित करना है।
- वर्तमान में संदुर कुशल कला केन्द्र लगभग 600 कारीगरों के साथ काम करता है और 20 स्वयं सहायता समूहों का पोषण करता है।
- यह पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुआ है और लंबानी शिल्प ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त की है।
- इन वर्षों में संदुर कुशल कला केन्द्र ने लंबानी शिल्प के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की है।
- 2004 और 2012 में संदुर कुशल कला केन्द्र ने दक्षिण एशिया में हस्तशिल्प के लिए प्रतिष्ठित यूनेस्को सील ऑफ़ एक्सीलेंस प्राप्त की।
- इसने ‘संदूर लम्बानी हाथ की कढ़ाई’ के लिए वर्ष 2008 में जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग प्राप्त किया है।